विमुद्रीकरण : इसके प्रभाव

प्रधानमंत्री ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा कर काले धन के खिलाफ भारत में अब तक का सबसे कठोर फैसला लिया। बंद हुए नोटों का कुल मूल्य 14.2 लाख करोड़ रुपये है, जो कि 31 मार्च, 2016 के आंकड़ों के अनुसार चलन में मौजूद कुल नोटों का 86.4 प्रतिशत है। इस कदम का उद्देश्य :

  • काला धन रखने वालों को सबक सिखाना है
  • भ्रष्टाचार पर चोट करने के इरादे से
  •  नशे के कारोबार तथा तस्करी अवैध लेन-देन को ध्वस्त करना
  •  आतंकवाद और उग्रवाद की गतिविधियों के लिए अवैध लेन-देन को ध्वस्त करना

 

Positives:

  • बैंकिंग सेक्टर, क्रेडिट कार्ड और इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन के विस्तार को गति मिल सकती है
  • संपत्ति और सर्राफा बाजारों की सफाई के साथ ही अनाप-शनाप खर्चों पर अंकुश लगेगा और आतंकवाद, उग्रवाद पर प्रहार से देश को दीर्घकाल में लाभ मिलेगा
  • इस फैसले की वजह से बैंंकों का कॉस्ट ऑफ फंड कम होगा जिससे वो लोन पर ब्याज दर कम कर सकते हैं, और अगर बैंक लोन पर ब्याज की दर कम करेंगे तो अर्थव्यवस्था में ज्यादा निवेश होगा।
  • रियल एस्टेट’ में सबसे ज्यादा कालाधन लगा हुआ है। नोटबंदी से इस सेक्टर पर काफी असर पड़ सकता है। 
  • नोटबंदी के बाद अघोषित आय पर लगाए गए टैक्स और जुर्माने से सरकारी खजाने में बड़ी राशि आ सकती है।
  • नोटबंदी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.5 प्रतिशत (65 हजार करोड़ रुपये) टैक्स के रूप में पा सकती है। इससे वित्तीय कनसॉलिडेशन बढ़ेगा और सरकार इस पैसे का उपयोग आधारभूत ढांचे को विकसित करने में कर सकती है। 
  • नोटबंदी से अर्थव्यवस्था की एक तरह से सफाई भी होगी जिससे बचत और निवेश पर सकारात्मक असर पड़ेगा। अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आने से कारोबारी सहूलियत बढ़ेगी। निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था में भरोसा बढ़ेगा।
  • चुनावों में धन का प्रभाव कम होगा
  • cashless हस्तांतरण को बढ़ावा मिलेगा

Negatives

  • विश्व बैंक के पूर्व चीफ़ इकनॉमिस्ट कौशिक बासु का कहना है, भारत में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) अर्थव्यवस्था के लिए ठीक था लेकिन विमुद्रीकरण (नोटों का रद्द किया जाना) ठीक नहीं है. भारत की अर्थव्यवस्था काफ़ी जटिल है और इससे फायदे के मुक़ाबले व्यापक नुक़सान उठाना पड़ेगा
  • यदि अप्रत्यक्ष सेक्टर और कीमतों पर इसके प्रतिकूल प्रभाव को ठीक ढंग से नियंत्रित नहीं किया गया तो यह कदम अल्पकालिक आर्थिक मंदी का कारण भी बन सकता है या यदि नकदी का अभाव कुछ हफ्ते तक बना रहता है तो यह दौर लंबा भी खिंच सकता है।

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