Shell companies और सेबी

The recent order of SEBI to suspend the trading of suspected shell companies require thoughtful consideration. It should be based on through decision although good move but implementation is in question.

#Jansatta

In news:

भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड यानी SEBI ने उन 331 सूचीबद्ध कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है जिन पर मुखौटा कंपनी (Shell Companies) के रूप में काम करने का संदेह है। इनमें ज्यादातर जमीन-जायदाद, जिंस और शेयर ब्रोकिंग, फिल्म और टीवी, प्लांटेशन और गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं से संबद्ध इकाइयों से जुड़ी हैं। साथ ही, SEBI ने सौ गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के विरुद्ध भी कार्रवाई शुरू की है जिन पर शक है कि वे काले धन को सफेद बनाने में लगी हुई हैं।

सेबी के अलावा इन कंपनियों की जांच आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय भी कर रहे हैं।

What are Shell Companies:

  • Shell Companies: वे संदिग्ध कंपनियां होती हैं जो आमतौर पर लॉन्ड्रिंग के लिए अवैध फंड का इस्तेमाल करती हैं। कारोबार की आड़ में, या कोई कारोबार न करते हुए, अवैध रूप से धन या संपत्ति जमा करने, काले धन को सफेद करने और कर-चोरी के लिए इस्तेमाल की जाती है।
  •  Shell Companies के संचालन की बात की जाए तो इनमें किसी तरह का कोई काम नहीं होता, इनमें केवल कागजों पर एंट्रीज दर्ज की जाती हैं। हालांकि, कंपनीज एक्ट में शेल कंपनी शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है।
  • बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के अनुसार, इन सूचीबद्ध सिक्योरिटीज में ट्रेडिंग को ग्रेडेड सर्वेलन्स मेशर (जीएसएम) के स्टेज VI में तुरंत प्रभाव से रखना चाहिए। अगर कोई सूचीबद्ध कंपनी पहले से जीएसएम के किसी भी स्टेज के तहत पहचान कर ली गई है तो उसे जीएसएम के स्टेज VI में सीधे तौर पर भेजना होगा।
  • जानकारी के लिए बता दें कि जीएसएम फ्रेमवर्क के स्टेज VI के तहत इन कंपनियों में महीने में केवल एक बार ट्रेडिंग होगी। निवेशकों को ट्रेडिंग के लिए 200 फीसद मार्जिन रखना होगा। इन सिक्योरिटीज में किसी भी तरह की तेजी पिछले बंद भाव के स्तर से ऊपर नहीं होंगी। साथ ही एक्सचेंज इन कंपनियों के फंडामेंटल्स की जांच करेगा।

Analysis:

काले धन के खिलाफ सरकार की कार्रवाई के दायरे में अब मुखौटा (शेल) कंपनियां भी आ गई हैं। इसके बिना इस मुहिम का कोई मतलब नहीं होता, या वह एकदम आधी-अधूरी होती।

Shell Companiesअवैध लेन-देन और कर-चोरी का सबसे संगठित रूप हैं। ऐसी कंपनियों के खिलाफ सरकार की सख्ती का अंदाजा शेयर बाजार की नियामक संस्था यानी सेबी के ताजा कदमों से लगाया जा सकता है।

  • Shell Companies के खिलाफ शायद पहली बार सरकार के स्तर पर ऐसा अभियान छिड़ा है। इससे स्वाभाविक ही, शेयर बाजार में किसी हद तक घबराहट का माहौल है।
  •  सरकार के मजबूत इरादे का संकेत कंपनी कानून में संशोधन के लिए लाए गए विधेयक से भी मिल जाता है। इस विधेयक में, पहली बार, शेयर में लाभकारी हित को परिभाषित करने का प्रस्ताव है। साथ ही, किसी कंपनी में उल्लेखनीय लाभकारी हित वाले व्यक्तियों का रिकार्ड रखना अनिवार्य किया गया है।  इससे पारदर्शिता लाने में मदद मिलेगी।
  • ऐसे भी बहुत-से लोग हैं जो भारत में रहते नहीं हैं पर यहां की किसी कंपनी में खास प्रभाव या हिस्सेदारी रखते हैं। अब ऐसे लोग परदे में नहीं रह पाएंगे।
  • इस विधेयक के अलावा, पिछले दिनों एक और अहम कदम उठाया गया, वह यह कि पूंजी बाजार की निगरानी में सुधार के उपाय सुझाने के लिए सेबी ने ‘निष्पक्ष बाजार आचरण’ पर एक समिति गठित कर दी। पर सारी मुहिम अपनी जगह सही होते हुए भी, सरकार को कुछ सावधानी बरतने की जरूरत है।

Defining Shell Companies?

Shell Companies की परिभाषा को लेकर भ्रम का माहौल है। कई बड़ी कंपनियां सशंकित हैं कि उन्हें नाहक घसीटा जा रहा है, वहीं अनेक बाजार विश्लेषकों का मानना है कि जिन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, उन्हें पहले अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए।

Securities Appellate Tribunal  order Against SEBI

SEBI ने संदिग्ध मुखौटा कंपनियों के शेयरों में कारोबार पर पाबंदी का फैसला किया था। फिर हुआ यह कि कुछ कंपनियों ने सैट यानी प्रतिभूति व अपीलीय न्यायाधिकरण में इस मामले को चुनौती दी, और सैट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया, पर जांच को आगे बढ़ाने की इजाजत दे दी ताकि यह पता चले कि इन्होंने प्रतिभूति-नियमों का उल्लंघन किया या नहीं। कंपनी-पंजीयक के स्तर पर मुखौटा या गैर-कार्यशील कंपनी की पहचान हो पाना मुश्किल है। लेकिन एकल राजस्व, परिसंपत्ति, कर्मचारी-क्षमता और अन्य परिचालन मानकों के आधार पर मुखौटा कंपनियों की परिभाषा तय की जा सकती है, साथ ही समय-समय पर छानबीन भी, ताकि कंपनी के नाम पर फर्जीवाड़े का सिलसिला बंद हो।

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