क्या भारत को चीन पर अपनी रणनीति पूरी तरह से बदलने की जरूरत है?

#Editorial Asian Age (http://www.asianage.com/opinion/edit/240217/china-dialogue-replay.html )

  • अहम मुद्दों पर भारत और चीन की बातचीत से ऐसा लगता है कि सब कुछ वैसे ही हो रहा है जैसे अब तक होता आया है
  • चीन ने मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध को लेकर भारत की उत्सुकता के प्रति कोई सकारात्मक रुख नहीं दिखाया है. बल्कि देखा जाए अब यह कोशिश भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश कर रहे हैं और खुद पाकिस्तान भी ऐसे कदम उठा रहा है जिनसे संकेत मिलता है कि उसे भी मसूद अजहर के संगठन के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत महसूस हो रही है.
  • लेकिन इस सब का चीन पर कोई असर होता नहीं दिखता जो इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में किसी भी प्रस्ताव को वीटो करना जारी रखेगा.
  • परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह यानी एनसजी में भारत का दाखिल होना एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति की अभिलाषा है.
  • लेकिन यहां भी चीन इस पुराने तर्क पर अड़ा हुआ है कि जिन देशों ने परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तखत नहीं किए हैं, उन्हें एनएसजी में प्रवेश न दिया जाए.
  • विदेश सचिव एस जयशंकर की इस हफ्ते चीन के उप विदेश मंत्री झांग येसु से हुई बातचीत कहीं पहुंचती नहीं दिखी है. भारत ने भी यह जताने में कोई संकोच नहीं बरता है कि हमारे नजरिये अलग-अलग हैं
  • चीन का मानना है कि अजहर और एनसजी को लेकर भारत की मांग दो देशों का नहीं बल्कि बहुपक्षीय मुद्दा है
  •  इसने भारत को अपनी सिल्क रूट योजना में शामिल होने का आकर्षक प्रस्ताव दिया है जो भारत स्वीकार नहीं कर सकता क्योंकि इसके तहत बनने वाला चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा उस इलाके से भी गुजरता है जिस पर भारत दावा करता है और जो इस समय पाकिस्तान के कब्जे में है
  • चीन को ऐसी बातचीत पसंद है जहां वह अपने नजरिये पर जोर देता है लेकिन भारत का पक्ष समझने से इनकार करता है. अब भारत को चीन को लेकर अपनी सारी रणनीति बदले की जरूरत है या फिर उसे संवाद की इसी प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए, यह सरकार की नीति का विषय है. यह जरूर है कि बातचीत से कभी कोई नुकसान नहीं होता

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