रेडियो-लिंक टेक्नोलॉजी व कॉल ड्राप

BACKGROUND:

कुछ समय से मोबाइल पर बात करते हुए बीच में फोन कट जाने की समस्या बढ़ती जा रही है। लेकिन मोबाइल कंपनियों की ओर से अब तक सिर्फ तकनीकी खराबी या कमी बता कर इस पर परदा डालने की कोशिश की जाती रही है।

कम्पनियों के पास नया हथियार अपनी जिम्मेदारी से बचने का

अब तक बीच में अचानक फोन कट जाने को नियामकीय ढांचे के तहत कॉल ड्रॉप के तौर पर दर्ज किया जाता है, जिसके लिए मोबाइल कंपनियों और उनकी सेवा की गुणवत्ता में कमी को जिम्मेदार माना जाता है। लेकिन नई तकनीकी का फायदा उठा कर मोबाइल कंपनियों ने अपने हिस्से की इस शिकायत से बचने का रास्ता निकाल लिया है। और आरएलटी यानी टेलिकॉम आपरेटर रेडियो-लिंक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल ने मोबाइल कंपनियों ने वह हथियार दिया है |

क्या है RLT:

  • यह एक ऐसी तकनीक है जिसके सहारे किसी कॉल के कट जाने या दूसरी तरफ से आवाज नहीं सुनाई देने के बावजूद फोन का कनेक्शन कृत्रिम रूप से जुड़ा हुआ दिखता है।
  •  अगर उपभोक्ता अपनी समझदारी से उस कॉल को न काटे तो वह जुड़ी दिखेगी और आगे जितनी देर तक कोई व्यक्ति उसे जुड़ा समझ कर बोलता रहेगा, उसके लिए पैसे उठते रहेंगे। इस तरह, यह प्रक्रिया कॉल ड्रॉप नहीं, बल्कि इस तरह दर्ज की जाएगी कि उपभोक्ता ने खुद फोन काटा।
  • इसमें कंपनी या उसकी सेवाओं की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती और उसके लिए उपभोक्ता से पूरे पैसे वसूल किए जाएंगे।

कॉल ड्राप के मामले में अब तक का सफ़र

अब तक ट्राई ने कॉल ड्रॉप सहित खराब सेवा के लिए मोबाइल कंपनियों पर दो लाख रुपए तक का जुर्माना तय किया हुआ है। लेकिन पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने ट्राई के उन नियमों को निरस्त कर दिया, जिनके तहत टेलिकॉम आॅपरेटर को प्रति कॉल ड्रॉप एक रुपया और एक ग्राहक को हर रोज अधिकतम तीन रुपए के भुगतान का निर्देश दिया गया था।

Conclusion

इस क्षेत्र में दर्जनों कंपनियों के बीच प्रतियोगिता का हासिल यह होना चाहिए था कि उपभोक्ता को कम खर्च पर बेहतर और अच्छी गुणवत्ता वाली सेवा मिले। लेकिन हाल के दिनों में बात करने से लेकर इंटरनेट तक के खर्चों में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि सेवाओं से संबंधित कई तरह की शिकायतें आने लगी हैं। बिना मांग किए कोई सेवा शुरू करके पैसे काट लेने की शिकायत आम रही है। यह ट्राई की जिम्मेदारी बनती है कि वह इस सब पर तत्काल रोक लगाए।

source: the hindu, jansatta, India express

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