मानवाधिकार आयोग के अपने अधिकार पर्याप्त नहीं हैं

द एशियन एज का संपादकीय

सन्दर्भ:- आयोग मानवाधिकारों के उल्लंघन की तरफ ध्यान तो खींचता है लेकिन, अक्सर सरकारों को इस पर कार्रवाई के लिए बाध्य नहीं कर पाता.

 

  • बस्तर के शीर्ष पुलिस अधिकारी एसआरपी कल्लूरी को लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया है और आदिवासियों और सक्रिय माओवादियों की खासी तादाद वाले इस इलाके का जिम्मा एक नए डीआईजी सौंपा गया है.
  • लेकिन इस नेतृत्व परिवर्तन के बाद भी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि बस्तर को लेकर व्यवस्था के नजरिये में कुछ बदलाव होगा. आदिवासियों के मानवाधिकारों पर हो रही बर्बर चोटों ने उन्हें एक स्थायी युद्ध जैसी स्थिति में ला खड़ा किया है.
  • बीते कई सालों के दौरान उन्होंने यौन हमले, बलात्कार, हिंसा और दूसरी कई तरह की प्रताड़नाएं झेली हैं और वैचारिक अतिवाद से लड़ाई की आड़ में इन्हें अंजाम देने वाली पुलिस का दुस्साहस लगातार बढ़ता गया है.
  • बीते कुछ समय के दौरान मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने बस्तर में खुल्लेआम हिंसा की कई घटनाएं विस्तार से दर्ज की हैं. इन्हें जो तत्व अंजाम देते रहे हैं उनमें वे भी हैं जो व्यवस्था का हिस्सा हैं और वे भी जिन्हें नॉन स्टेट एक्टर्स कहा जाता है.
  • एक अहम अधिकारी के जाने के बाद इस तरह की घटनाओं में कमी आ सकती है. इस अधिकारी ने व्यवस्थित रूप से एक बर्बर अभियान चलाया और जो भी उसके रास्ते में आया उसे डराया गया उदाहरण के लिए सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार जिन पर इस अधिकारी ने कई मामले थोप दिए जिनमें हत्या जैसे आरोप तक लगाए गए हैं. खनिज संसाधनों से समृद्ध इस इलाके के कॉरपोरेट कंपनियों द्वारा दोहन का नतीजा यह हुआ है कि आदिवासियों को जबरन उनकी जमीनों से वंचित कर दिया गया है. इस दौरान पुलिस बड़े कारोबारियों के साथ मिली रही है.
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को इस बात का श्रेय दिया जा सकता है कि आखिरकार भाजपा सरकार को आखिर में कार्रवाई करनी पड़ी. यह संस्था अक्सर मानवाधिकारों के उल्लंघन की तरफ ध्यान खींच सकती है लेकिन, अक्सर यह सरकार से कोई कार्रवाई करवाने में विफल रहती है.
  • बस्तर के आदिवासियों को लेकर इसने जो कठोर टिप्पणियां की थीं शायद उन्हीं का असर है कि सरकार परोक्ष रूप समस्या का वजूद स्वीकारती दिख रही है.अगर हम आयोग को यह ताकत दे सकें कि वह एक समूची आबादी से दुर्व्यवहार के इस तरह के मामलों में सरकार को कार्रवाई के लिए बाध्य कर सके तो यह न सिर्फ खुशी की बात होगी बल्कि इससे कानून का राज सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी.

https://gshindi.com/category/rstv/sarokaar-role-and-efficacy-of-nhrc 

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