जनसांख्यिकी : जापान और भारत के मध्य तुलनात्मक आंकड़े

भारत दुनिया का सबसे युवा देशों में से है, जबकि जापान सबसे बूढ़ा देश है. जापान की कुल आबादी करीब 12 करोड़ 70 लाख है, और इसमें से 65 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या 3 करोड़ 41 लाख है, जो कुल जनसंख्या का करीब 27 प्रतिशत है. ऐसा अनुमान है कि 2050 तक जापान की करीब 36 प्रतिशत आबादी बूढ़ी होगी. और वर्ष 2060 आते आते जापान की 40 प्रतिशत आबादी बूढ़ी होगी. जापान में 2010 से लेकर 2015 तक के बीच 5 वर्षों में जनसंख्या में करीब 10 लाख की कमी आई है. 

इसकी वजह ये है कि जापान में बच्चों की जन्म दर बहुत गिर गई है. इसी का एक प्रभाव ये है कि वहां बुज़ुर्गों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है. जापान में 1995 में एक घर में औसतन 2.82 यानी कम से कम दो लोग रहते थे, 2015 में ये औसत घटकर 2.39 हो गया. जबकि भारत में एक घर में औसतन 4.8 यानी कम से कम 4 लोग रहते हैं. इसके अलावा आपको जानकर हैरानी होगी कि जापान में करीब 5 करोड़ 20 लाख लोग ऐसे हैं, जो अकेले हैं. ये पूरी जनसंख्या का साढ़े 32 प्रतिशत है. 

जापान में 15 वर्ष से ज्यादा उम्र के 32 प्रतिशत पुरुषों ने शादी ही नहीं की है, जबकि जापान की 23 प्रतिशत महिलाओं ने कभी भी शादी नहीं की. इसीलिए जापान में बच्चे कम हैं और बूढ़े ज्यादा.

 लेकिन बहुत जल्द जापान वाली ये समस्या भारत में भी आने वाली है. भारत में अभी सिर्फ साढ़े 8 प्रतिशत बुज़ुर्ग रहते हैं, लेकिन 2050 तक भारत की कुल आबादी के 19 प्रतिशत लोग बूढ़े हो जाएंगे. इसलिए भारत को भी आने वाले वक्त में इसके लिए तैयार रहना चाहिए.

 

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