लोकसभा व विधानसभाओ के एक साथ चुनाव का आयोजन

स्वतंत्रता के बाद देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होने शुरु हुए थे। यह क्रम में 1967 तक निर्बाध रूप से चलता रहा। इसके बाद कुछ राज्यों में विधानसभा भंग होने के कारण एक साथ चुनाव होने का सिलसिला थम गया और अब यह स्थिति है कि देश में हर चार-छह माह के अंतराल पर कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं। कभी विधानसभाओं के और कभी लोकसभा या फिर विधानसभाओं की समय से पहले रिक्त हुई सीटों के। 

इसके मायने

  • जब ऐसा होता है तो आदर्श चुनाव संहिता लागू हो जाती है और सरकारों के साथ विपक्षी राजनीतिक दलों का सारा ध्यान येन-केन प्रकारेण चुनाव जीतने में लग जाता है।
  • इससे पॉलिसी मेकिंग प्रभावित होती है| 
  • इससे देश के समय, धन और ऊर्जा की अनावश्यक बर्बादी होती है।
  • इसके अलावा प्रदेश एवं देश की प्राथमिकताओं से भी ध्यान भंग होता है। 
  •  रह-रहकर होने वाले चुनाव और उसके कारण प्रभावी होने वाली आचार संहिता  सरकार  के हाथ बांध देती है और वो सामान्य महत्व के नीतिगत निर्णय लेने में भी समर्थ नहीं रह जाते। 
  • एक अनुमान के अनुसार वर्तमान  सरकार को अपने पांच साल के कार्यकाल में करीब तीन सौ से अधिक दिन चुनाव आचार संहिता के साये में गुजारने होंगे। इसका मतलब है कि केंद्र सरकार लगभग एक वर्ष नीतिगत निर्णय लेने की स्थिति में नहीं रहेगी। स्पष्ट है कि इसका नुकसान देश को उठाना पड़ेगा। 
  • समय-समय पर होने वाले चुनावों के चलते किस तरह भारी भरकम धनराशि खर्च होती है। चुनावों में जो धन खर्च होता है उसमें एक हिस्सा काले धन का भी होता है। एक तरह से चुनावी राजनीति कालेधन को बढ़ावा देने का काम कर रही है।

हाल ही मे खबरो मे क्यों

पिछले कुछ सालों में विभिन्न स्तरों पर कई बार यह कहा गया कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ कराने के बारे में सोचा जाना चाहिए। संप्रग सरकार के समय इस बारे में एक संसदीय समिति इस नतीजे पर पहुंची थी कि ये दोनों चुनाव साथ-साथ कराने का सुझाव एक नेक विचार है, लेकिन इस मामले में आगे नहीं बढ़ा जा सका।

वर्तमान  सरकार ने  इस पर विचार के लिए नया मंत्रिमंडल गठित किया है  गठित मंत्रिसमूह को चुनाव की लागत कम किए जाने के मकसद से लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव एकसाथ कराए जाने की व्यवहार्यता पर गौर करने की  जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इस प्रस्ताव के लाभ

  • यदि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ होने लगें तो सरकारी खजाने के धन की भी बचत होगी और राजनीतिक दलों के धन की भी।
  •  राजनीति की शह से होने वाले भ्रष्टाचार में भी कमी आ सकती है।
  • एक लाभ यह भी होगा कि राजनीतिक दलों को रह-रह कर चुनाव की मुद्रा में आने की जरूरत नहीं रहेगी और वे सारा ध्यान अपने एजेंडे पर केंद्रित कर सकेंगे। 
  • कुछ राज्यों में विधानसभा भंग होने के कारण एक साथ चुनाव होने का सिलसिला थम गया और अब यह स्थिति है कि देश में हर चार-छह माह के अंतराल पर कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं। लोकसभा व विधानसभाओ के एक साथ चुनाव का आयोजन इस पर लगाम लगाएगा

इस प्रस्ताव की व्यवहारिकता

  • लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ कराने के लिए कुछ विधानसभाओं के कार्यकाल में या तो कटौती करनी होगी या फिर वृद्धि
  • सके लिए यदि संविधान संशोधन भी करना हो सकता
  •  यह भी देखना होगा कि लोकसभा अथवा विधानसभाओं के मध्यावधि चुनावों की नौबत न आने पाए| अल्पमत और मिलीजुली सरकारों के दौर में किसी सरकार के अपना कार्यकाल पूरे किए बिना बहुमत खोने के आसार ज्यादा होते हैं। 
  • राजनीतिक दलों के लिए केवल यही पर्याप्त नहीं कि वे लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के सुझाव का स्वागत करें। उन्हें इसके लिए आम सहमति भी बनानी चाहिए।
  • कानून एवं कार्मिक मामलों की स्थायी समिति ने लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराए जाने की व्यवहार्यतापर अपनी रिपोर्ट में कहा कि समिति को यह नहीं लगता कि हर पांच साल में एक साथ चुनाव निकट भविष्य में आयोजित नहीं कराए जा सकते हैं लेकिन धीरे धीरे यह चरणों में किया जाएगा, जिसके लिए कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल कम करना या बढ़ाना पड़ेगा। समिति ने एक साथ चुनाव आयोजित कराने के लिए एक वैकल्पिक एवं व्यावहारिक पद्धतिकी सिफारिश की है जिसमें दो चरणों में चुनाव कराया जाना शामिल है।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे इसकी आवश्यकता क्यों

यदि भारत को तेजी से आगे बढ़ना है और विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा होना है तो उसे बार-बार चुनावों के दौर का सामना करने से बचने के उपाय खोजने ही होंगे। चुनाव तय समय पर होने की व्यवस्था बन जाए तो राजनीतिक अस्थिरता से मुक्ति मिल जाएगी और ऐसा होने पर समाजिक-आर्थिक क्षेत्र के विकास पर कहीं गंभीरता से ध्यान देने का अवसर मिलेगा। इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

Q. why there need to hold simultaneous election in India? What benefit could be accrued from this?

 भारत में एक साथ चुनाव कराने की क्यों जरूरत है? इससे क्या लाभ  है?

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download