क्यों खबरों में
सुप्रीम कोर्ट ने ‘इंडियन ज्यूडिशियरी एनुअल रिपोर्ट 2015-16’ और ‘सब-ऑर्डिनेट कोर्ट्स ऑफ इंडिया : ए रिपोर्ट ऑन एक्सेस टू जस्टिस 2016’ शीर्षक से दो रिपोर्ट जारी की हैं। इसमें अदालतों में लंबित मुकदमों की भयावह तस्वीर सामने आई है।
- नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, विभिन्न जिला अदालतों में तकरीबन 2.81 करोड़ मुकदमे लंबित हैं।
- वहीं इन अदालतों में करीब 5,000 जजों की कमी है
- इन रिपोर्टो में वर्तमान स्थिति से पार पाने के लिए अगले तीन साल में करीब 15,000 और जजों की नियुक्ति की जरूरत जताई गई है।
- आंकड़ों के मुताबिक, जिला अदालतों में 1 जुलाई 2015 से 30 जून 2016 की अवधि में 2,81,25,066 मुकदमें लंबित रहे।
- वहीं इस अवधि में कुल 1,89,04,222 मामलों का निस्तारण हुआ। रि
- पोर्ट में लंबित मुकदमों के लिए जजों की कमी को जिम्मेदार बताया गया है। इसके अनुसार, निचली अदालतों में जजों की स्वीकृत संख्या 21,324 है, इनमें से 4,954 पद खाली हैं।