Times of India: Editorial
केन्द्र सरकार सुप्रीम कोर्ट और 24 उच्च न्यायालयों सहित देश के सभी जजों को यूनीक आईडी उपलब्ध कराने जा रही है. इसके जरिए उच्चतम न्यायालय हरेक जज के कामकाज पर नजर रख सकेगा.
◆ किसी जज ने अपने करियर में कितने मामलों की सुनवाई की, कितनी बार टाली, कितने फैसले दिए, इसमें कितना वक्त लगा, आदि पूरी जानकारी उच्चतम न्यायालय को मिल सकेगी.
◆ यह जानकारी जजों की यूनीक आईडी के साथ नेशनल ज्युडिशियल डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) पर रहेगी. अभी इस तरह की विशिष्ट जानकारी किसी केन्द्रीयकृत इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध नहीं है.
★एनजेडीजी पर उपलब्ध यह जानकारी आम जनता की पहुंच में भी रहेगी. केन्द्र अपनी ई-कोर्ट परियोजना के दूसरे चरण के तहत यह कवायद कर रहा है.
◆ इस परियोजना पर सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी निगरानी रख रही है. केन्द्र ने इस व्यवस्था के लिए नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) को प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं.
◆एनआईसी इसके लिए नया सॉफ्टवेयर तैयार कर रहा है. इसका नाम केस इन्फॉर्मेशन सिस्टम (सीआईएस) है. इस पर पूरी जानकारी उपलब्ध होगी.
★देश में इस वक्त निचली अदालतों में करीब 16 हजार जज हैं जबकि उच्च न्यायालयों (सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट) में यह संख्या लगभग 650 है. इन सभी के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे सीआईएस पर अपनी यूनीक आईडी के तहत अपने फैसलों/मामलों आदि की जानकारी अपडेट करें या कराएं.
◆अगर कभी किसी जज की अदालत में कोई नहीं हो सका तो उन्हें अपनी आईडी पर इसका कारण भी बताना होगा.
★अब तक अदालती फैसलों आदि की जानकारी अभी संबंधित न्यायालयों की वेबसाइट पर रहती है. लेकिन यह भी इस हिसाब से नहीं होती कि किस जज ने कितने फैसले दिए. यही नहीं, जजों के एक से दूसरी अदालत में तबादले के बाद या उच्च अदालतों में उनकी पदोन्नति के बाद उनके बारे में पिछली जानकारी मिलना भी खास मुश्किल होता है.
◆ ई-कोर्ट परियोजना के दूसरे चरण में देश के सभी न्यायाधीशों को लैपटॉप भी दिए जाएंगे. ताकि वे अपील और मुकदमों की प्रति उसी पर देख सकें और निर्देश व फैसले भी इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में अपने डिजिटल सिग्नेचर के साथ जारी कर सकें.
★ अदालतों के कामकाज को पेपरलेस बनाने की दिशा में यह कवायद की जा रही है