दार्जीलिंग की आग

#Jansatta

In news:

  • जीजेएम यानी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के दफ्तरों पर पुलिस के छापों के बाद हालात और तनावपूर्ण हो गए। जीजेएम ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया। बंद के अलावा छिटपुट हिंसा की भी घटनाएं हुर्इं।
  • जीजेएम समेत दार्जीलिंग में रसूख रखने वाले क्षेत्रीय दलों तथा राज्य सरकार के बीच ठनी हुई है।
  • मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एक फैसला टकराव का कारण बना। उन्होंने राज्य के सभी स्कूलों में बांग्ला की अनिवार्य पढ़ाई का आदेश जारी किया।
  • दार्जीलिंग मुख्यत: नेपाली-भाषी गोरखा लोगों का इलाका है। राज्य सरकार के आदेश पर यहां तीखी प्रतिक्रिया हुई। नाफरमानी का स्वर तेज हुआ। नतीजतन, राज्य सरकार को दो कदम पीछे हटना पड़ा।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि बांग्ला की अनिवार्य पढ़ाई का आदेश दार्जीलिंग में लागू नहीं होगा। हैरत की बात है कि राज्य सरकार के इस स्पष्टीकरण के बावजूद विरोध-प्रदर्शन बंद नहीं हुए। उलटे राज्य सरकार के उस आदेश का विरोध जल्दी ही अलग गोरखालैंड राज्य की मांग में तब्दील हो गया। यों यह मांग नई नहीं है।

Demand of Gorkhaland (Historical context)

  • उन्नीस सौ अस्सी के दशक में सुभाष घीसिंग के नेतृत्व में गोरखालैंड के लिए उग्र आंदोलन चला था।
  •  इसकी परिणति दार्जीलिंग के लिए एक अर्ध-स्वायत्त व्यवस्था के रूप में हुई, कुछ मामलों में वहां गोरखा लोगों को स्व-शासन का अधिकार मिला।
  • पहले दार्जीलिंग पर्वतीय परिषद की स्थापना हुई, फिर गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन की। प्रत्यक्ष चुनाव के जरिए इसके प्रतिनिधि चुने जाते रहे हैं।
  •  बहरहाल, अलग गोरखालैंड राज्य की मांग ने जहां क्षेत्रीय स्तर पर सभी पार्टियों को एकजुट कर दिया है, वहीं भाजपा को दुविधा में डाल दिया है।

View of parties:

तृणमूल कांग्रेस, माकपा और कांग्रेस का रुख साफ है, ये तीनों पार्टियां गोरखालैंड की मांग के खिलाफ हैं। अलबत्ता माकपा और कांग्रेस हालात के इस हद तक बिगड़ने का दोष ममता बनर्जी पर जरूर मढ़ रही हैं। पर भाजपा की हालत विचित्र हो गई है। 2009 में भाजपा के जसवंत सिंह यहां से लोकसभा के लिए चुने गए थे, तो उसके पीछे जीजेएम का समर्थन ही था। दार्जीलिंग से भाजपा के सांसद एसएस अहलूवालिया ने गोरखालैंड की मांग पर विचार करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने की मांग की है, वहीं दार्जीलिंग में जीजेएम की ओर से गोरखालैंड के लिए बुलाई गई बैठक में स्थानीय संगठनों के साथ ही भाजपा के प्रतिनिधि भी शरीक हुए थे।

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