#दैनिक ट्रिब्यून
In news:
- स्वदेशी कंपनी टाटा ने अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते के तहत अत्याधुनिक एफ-16 लड़ाकू विमान भारत में ही बनाए जा सकेंगे।
Other deals in defence production:
- लड़ाकू विमान बनाने के लिए अडानी समूह ने स्वीडन की कंपनी से हाथ मिलाया है।
- अंबानी बंधुओं और महिंद्रा समूह समेत कई अन्य कारपोरेट घराने भी लड़ाकू विमानों के 20 अरब स्टर्लिंग पौंड के सौदे के लिए विदेशी विमानन कंपनियों के साथ साझेदारी कर सकते हैं।
Why corporate towards defence production :
भारतीय कंपनियों के बीच इस होड़ की वजह यह है कि भारतीय वायुसेना के बेड़े में लड़ाकू विमानों की भारी कमी के चलते भारत सरकार चिंतित है। भारतीय वायुसेना प्रमुख साफ तौर पर स्वीकार कर चुके हैं कि दो-दो मोर्चों पर एक साथ लड़ने के लिए वायुसेना के पास पर्याप्त लड़ाकू विमान नहीं हैं। भारतीय वायुसेना के बेड़े में लड़ाकू विमानों की रिकार्ड कमी अचानक नहीं हुई है। कोई एक दशक से ज्यादा समय से ऐसे विमानों की कमी महसूस की जाने लगी थी। जहां एक ओर डीआरडीओ निर्मित हल्के लड़ाकू विमान तेजस में अभी भी कुछ खामियां हैं, वहीं सरकार बहु-उद्देश्यीय लड़ाकू विमान खरीद सौदे को सिरे नहीं चढ़ा सकी। भारतीय वायुसेना मुख्यत: सुखोई-30 लड़ाकू विमानों पर आश्रित है।
India & Defence equipment
- चीन समेत कई देश अपनी वायुसेना में स्टेल्थ तकनीक वाले लड़ाकू विमान शामिल कर रहे हैं परंतु भारत अभी तक अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के लिए रूस के साथ साझदेारी को अंतिम रूप नहीं दे पाया है।
- पूर्णकालिक रक्षामंत्री न होना तथा भारत की अमेरिका के साथ बढ़ती सामरिक नजदीकी भी ऐसे पूरक कारण हैं जिनके चलते भारतीय वायुसेना की जरूरतों की अनेदखी लगातार जारी है।