चीन को चुनौती: भारत अरुणाचल के तवांग क्षेत्र तक पहुंचाएगा रेल

  •  चीन से लगी अरुणाचल प्रदेश की सीमा और सीमा पार हो रही गतिविधियों के मद्देनजर भारत ने भी इस दिशा में काम करने का मन बना लिया है।
  • सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करने और राज्‍य के लोगों की सहुलियत को देखते हुए यहां पर अब रेल नेटवर्क बिछाने पर काम किया जाएगा।  इसके लिए सरकार ने तवांग तक रेल नेटवर्क तैयार करने का ब्‍लू प्रिंट तैयार किया है।

◆ मौजूदा समय में असम के आखिरी रेलवे स्‍टेशन भालूखपोंग से लेकर तवांग तक बनने वाली रेलवे लाइन के लिए यहां संभावना तलाशी जाएगी। 

  •  इन दोनों के बीच करीब 378 किमी की दूरी है। सड़क मार्ग से इस दूरी को पूरा करने में करीब 18 घंटे का समय लगता है। यहां का सबसे नजदीक और बड़ा स्‍टेशन गुवाहाटी है। लिहाजा किसी तरह की इमरजेंसी में यहां के लोगों को इस पर ही निर्भर भी रहना होता है।
  • तवांग रेल लाइन के अलावा उत्‍तरी लखीमपुर-बामा-सिलापाथर तक की 249 किमी लंबी रेल लाइन के लिए भी सर्वे किया जाएगा।
  • यह पासीघाट एयरपोर्ट और अरुणाचल प्रदेश के रुपा के बीच में स्थित है। 
  • गौरतलब है कि तवांग रेल नेटवर्क का रणनीतिक और सामरिक महत्व है। भी है। इस इलाके पर चीन काफी समय से अपना अधिकार बताता रहा है।
  • तवांग समुद्रतल से 10 हजार फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। यह चीन से सटी भारतीय सीमा के पास है, जानकारी के मुताबिक इस प्रॉजेक्ट के लिए सर्वे का काम 2018 में शुरू कर दिया जाएगा।

तवांग क्यों महत्वपूर्ण ?
★ सीमा से लगे इलाकों में चीन लंबे समय से सड़क, हाइवे और रेल सेवा जैसी बुनियादी सुविधाएं मजबूत करने में लगा है।

★ भारत को भी अपने सीमांत प्रदेशों में सामरिक चुनौतियों के मद्देनजर सड़क, हवाईपट्टी और अन्य जरूरी ढांचा विकसित करने की जरूरत महसूस हो रही थी जिसके बाद केंद्र सरकार ने ये फैसला लिया है।

♂  इसके अलावा वह बौद्ध धर्म गुरू दलार्इ लामा के यहां प्रवेश को लेकर भी चीन लगातार शोर मचाता रहा है।

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