अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव : प्रक्रिया और घटनाक्रम

 सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका में हर चार साल बाद नवंबर के पहले सोमवार के बाद आने वाले पहले मंगलवार को ही राष्ट्रपति का चुनाव होना तय रहता है।   इसे अमेरिका के करीब 14 करोड़ 60 हजार वोटर तो तय करेंगे ही, लेकिन निर्णय पर अंतिम मुहर चुनाव की वह प्रक्रिया ही लगाएगी, जो कुछ मायनों में एकदम निराली है। यही वजह है कि चुनाव के लिए मतदान बेशक 8 नवंबर को होगा, पर नये राष्ट्रपति के नाम का फैसला 6 जनवरी को ही दुनिया के सामने आयेगा। चुनावी सर्वेक्षणों में हिलेरी का पलड़ा भारी बताया जा रहा है, पर सबकी नजरें उन वोटरों पर टिकी हैं जो अंतिम क्षणों तक अनिर्णय की स्थिति में रहते हैं। 

=>स्विंग स्टेट्स की भूमिका :-
- अमेरिका के 50 में से 9 राज्य ऐसे हैं जिन्हें ‘स्विंग स्टेट’ कहा जाता है, ऐसे राज्य जो झूले की तरह दाएं-बाएं झूलते रहते हैं। इन 9 राज्यों के वोटर कभी भी किसी पार्टी के प्रति निष्ठावान नहीं रहे हैं। पिछले चुनावों के दौरान वे कभी डेमोक्रेट तो कभी रिपब्लिकन प्रत्याशी के पाले में जाते रहे। 
- एरिजोना, फ्लोरिडा, नार्थ केरोलीना, ओहियो तथा वर्जीनिया जैसे इन ‘स्विंग स्टेट’ के मतदाता अंतिम समय तक अपना मन नहीं बना पाते। हिलेरी और ट्रंप दोनों में से जो भी इन वोटरों का मन जीत पायेगा, व्हाइट हाउस तक पहुंचने की उसकी राह आसान हो जाएगी। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों का अतीत बताता है कि ये ‘स्विंग स्टेट’ कई बार ‘निर्णायक’ साबित हुए हैं। 
- हालांकि, जीत का दारोमदार न्यूयार्क, न्यू जर्सी, कैलिफोर्निया व इलिनोइस जैसे बड़े राज्यों पर रहता है। 1992 के बाद राष्ट्रपति पद के 6 चुनावों में डेमोक्रेटिक प्रत्याशी ने 18 राज्यों और एक जिले कोलंबिया में जीत दर्ज की है, यानी कुल 242 इलेक्ट्रोरल वोट उसे मिले। इन सभी 6 चुनावों में रिपब्लिकन प्रत्याशी को 13 राज्यों में जीत हासिल हुई, यानी 102 इलेक्ट्रोरल वोट उसके खाते में गए। यादि इस बार हिलेरी भी डेमोक्रेट प्रत्याशियों का इतिहास दोहरा पाती हैं और एक ‘स्विंग स्टेट’ फ्लोरिडा (29 इलेक्ट्रोरल वोट) में जीत दर्ज कर पायीं तो उनका राष्ट्रपति बनना तय माना जा सकता है।

=>>अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली :- ‘इलेक्ट्रोरल कालेज’ 
- अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव ‘इलेक्ट्रोरल कालेज’ प्रणाली से होता है। अमेरिकी नागरिक प्रत्यक्ष मदतान कर अपना राष्ट्रपति नहीं चुनते। जनता ‘इलेक्टर’ चुनती है। कुल 538 इलेक्टरों का यह समूह ही ‘इलेक्ट्रोरल कालेज’ कहलाता है। 
- सभी 50 राज्यों और एक जिले कोलंबिया के खाते में जनसंख्या के हिसाब से इलेक्ट्रोरल कालेज वोट आते हैं। जिस राज्य से जितने लोग प्रतिनिधि सभा और सीनेट के सदस्य होते हैं, उतने ही इलेक्टर उस राज्य को अलाट किए जाते हैं। अमेरिकी प्रतिनिधिसभा यानी कांग्रेस में 435 सदस्य होते हैं। 
- 100 सीनेटर और डीसी (डिस्ट्रिक्ट कोलंबिया) को अलाट तीन इलेक्टरों को मिलाकर 538 का योग बनता है। ये ‘इलेक्टर’ ही हैं जो बैलेट के माध्यम से राष्ट्रपति चुनते हैं। इलेक्टर अपने वोटरों से वादा करते हैं कि वे उनकी पसंद के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को वोट डालेंगे, पर वे इसके लिए बाध्य नहीं होते।

=>>कैसे चुने जाते हैं इलेक्टर
- इलेक्टरों की चयन प्रक्रिया भी अपने आप में रोचक है। पहले चरण में आम चुनाव से पहले किसी भी समय विभिन्न राजनीतिक दल हरेक राज्य में अपने संभावित इलेक्टर चुनते हैं। ये संभावित दल पार्टी विशेष के निष्ठावान सक्रिय कार्यकर्ता होते हैं।
-  दूसरे चरण में आम चुनाव के दिन हर राज्य के वोटर जब अपनी पसंद के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को वोट डाल रहे होते हैं तो वास्तव में वे अपने प्रत्याशी के लिए इलेक्टर चुनने के लिए मतदान कर रहे होते हैं। वोटर पार्टियों द्वारा चुने गए संभावित इलेक्टरों को सामने रखकर वोट डालते हैं। चुने गये इलेक्टर दिसंबर माह में अपने-अपने राज्यों में एकत्र होते हैं और अलग-अलग बैलेट पेपरों पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशियों को वोट डालते हैं। 
- इसके बाद 6 जनवरी को हर राज्य के इलेक्टोरल वोटों की गिनती कांग्रेस के संयुक्त अधिवेशन में होती है। इसके बाद सीनेट के अध्यक्ष यानी उपराष्ट्रपति घोषणा करते हैं कि कौन प्रत्याशी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुआ है। 
- 20 जनवरी की तय तिथि को निर्वाचित राष्ट्रपति को पद व गोपनीयता की शपथ दिलायी जाती है। तो फिर 20 जनवरी को किसे दिलायी जाएगी राष्ट्रपति पद की शपथ? यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अमेरिकी जनता हिलेरी का ‘स्ट्रांगर टुगेदर अमेरिका’ चाहती है या फिर ट्रंप का ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’।

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