NSG में प्रवेश से भारत को क्या फायदा?
- वर्तमान में न्यूक्लीयर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी), मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेज़ीम (एमटीसीआर), वासेनार अरेंजमेंट (डब्ल्यूए) और ऑस्ट्रेलिया ग्रुप (एजी) प्रमुख टेक्नोलॉजी निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाएं हैं।
- ये कोई वैश्विक स्तर पर वार्ता के जरिये की गई संधियां या समझौते नहीं हैं।
- ये वास्तव में क्षेत्रीय व्यवस्थाएं हैं, जिन्हें समान विचारों वाले देशों ने बनाया है।
NSG में भारत की सदस्यता:
सिओल में एनएसजी का पूर्ण सम्मेलन भारत को सदस्यता देने के प्रश्न पर फैसला लेने में नाकाम रहा। ऐसा मुख्यत: इसलिए हुआ, क्योंकि ये सारी व्यवस्थाएं आम सहमति पर काम करती हैं। एनएसजी के एक सदस्य देश (चीन) को भारत के प्रवेश पर कड़ी आपत्ति है, जबकि कुछ अन्य सैद्धांतिक स्तर पर भारतीय सदस्यता को समर्थन देने के बावजूद प्रवेश देने की प्रक्रिया में अधिक स्पष्टता चाहते हैं।
क्या है भारत को फायदे
- तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के लिए इन निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में सक्रिय रूप से सहभागी होना महत्वपूर्ण है ताकि इनमें होने वाला कोई भी घटनाक्रम इसके हितों पर विपरीत असर डाल सके। ऐसा 1992 में हो चुका है, जब एनएसजी के सदस्यों ने परमाणु व्यापार के लिए पूर्ण परमाणु निगरानी की शर्तें लागू कर दी थीं।
- अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत के बढ़ते आर्थिक राजनीतिक प्रभाव के साथ उसे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को आकार देने वाली वैश्विक संस्थाओं में भी सक्रिय होना चाहिए। इस प्रकार ऐसी संस्थाओं की सदस्यता भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिकाओं के अनुरूप है।
- इनकी सदस्यता से भारत अन्य सदस्य देशों के राष्ट्रीय कानूनों की अनिश्चितताओं से बच सकेगा। जैसे अमेरिकी कानून के मुताबिक यदि एमटीसीआर द्वारा नियंत्रित चीजों का कोई गैर सदस्य देश किसी दूसरे गैर-सदस्य को निर्यात करता है तो उस पर अमेरिकी प्रतिबंध अपने आप लग जाएंगे।