रूस का एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 : भारत के लिए क्यों खास है

- गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत और रूस के बीच कई रक्षा समझौतों पर मुहर लगी लेकिन इमने सबसे महत्वपूर्ण रूस के साथ S-400 एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम करार है।
- 39 हजार करोड़ रुपए वाली इस डील पर भारत और रूस ने दस्तखत किये। इस करार से भारत का आसमान एक तरीके से अभेद हो जाएगा।

=>कैसे कार्य करता है एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 :-
- एंटी एयरक्राफ्ट डिफेंस सिस्टम की तैनाती से दुश्मन देशों की मिसाइलों को भारतीय वायु सीमा में दाखिल होना एक तरीके से नामुमकिन सा हो जाएगा।

- अत्याधुनिक S-400 एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम 400 किलो मीटर की दूरी से आ रहे दुश्मनों के विमान, मिसाइलों और ड्रोन को एक साथ ट्रैक कर सकता है।
- अपनी वायु सीमा को सुरक्षित और अभेद बनाने में जुटे करार भारत के लिए यह करार बेहद अहम है।
S-400 की ताकत से यहां तक कि अमेरिका भी खौफ खाता है।

- रूसी रक्षा विशेषज्ञों का दावा है कि S-400 सिस्टम पांचवीं पीढ़ी के अमेरिका के अत्याधुनिक एफ-35 जैसे लड़ाकू विमानों को भी मारकर गिरा सकता है।
- S-400 सिस्टम में 8 लॉन्चर्स, एक कंट्रोल सेंटर, एक शक्तिशाली रडार लगा होता है और इसमें 16 मिसाइलें रिलोड की जा सकती हैं।

- S-400 तीन प्रकार की मिसाइलों पर निशाना साधने में सक्षम हैं और यह दुनिया की सबसे आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली में शुमार है। यह अपनी तरफ आ रहे दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और यहां तक कि ड्रोनों को 400 किलोमीटर तक के दायरे में मार गिराने की क्षमता रखता है।

भारत चीन के बाद इस मिसाइल प्रणाली का दूसरा ग्राहक है। चीन ने पिछले साल तीन अरब डॉलर का करार किया था।

- एस-400 पहले केवल रूसी रक्षा बलों के लिए ही उपलब्ध था। यह एस-300 का उन्नत संस्करण है। अलमाज-आंते ने इसका उत्पादन किया है और रूस में 2007 से यह सेवा में है।

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