नेट न्यूट्रैलिटी पर ट्राई की मुहर: आजाद ही रहेगा इंटरनेट

दूरसंचार नियामक ट्राई ने नेट न्यूट्रैलिटी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए फेसबुक की 'फ्री बेसिक्स' और एयरटेल 'एयरटेस जीरो' जैसी फ्री इंटरनेट योजना को बड़ा झटका दिया है। ट्राई ने इन योजनाओं को नकार दिया है। 
** ट्राई ने भेदभाव आधारित कीमत तय करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इस तरह अब फेसबुक, एयरटेल या रिलायंस कम्युनिकेशंस फ्री इंटरनेट के आधार पर ग्राहकों से भेदभाव नहीं कर पाएंगी।

** नियामक ने कंटेंट, सेवा, एप्लीकेशन के आधार पर अलग-अलग टैरिफ पर पाबंदी लगा दी है। मतलब, ग्राहकों को सिर्फ इंटरनेट की कीमत चुकानी होगी। 
- हालांकि ट्राई ने लिमिटेड फ्री इंटरनेट सेवा देने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। इसके जरिए ग्राहक कोई भी वेबसाइट देख सकेगा।

**ट्राई ने कहा है कि भेदभाव आधारित डेटा सेवा पर प्रतिबंध इंटरनेट की आजादी के लिए लगाया गया है।

=>50 लाख रुपए तक लग सकती है पेनाल्टी 
- यदि कोई कंपनी ट्राई का नियम तोड़ती है तो उस पर 50 हजार से लेकर 50 लाख रुपए तक की पेनाल्टी लगाई जा सकती है। ट्राई के इस कदम से इंटरनेट की आजादी की लड़ाई लड़ने वालों की बड़ी जीत हुई है।

=>वॉट्सएप, फेसबुक के अलग डेटा पैक पर पाबंदी
- ट्राई के इस कदम से अब वॉट्सएप, फेसबुक और ट्विटर जैसे एप के लिए अलग से पैक बंद हो जाएंगे। टेलीकॉम कंपनियां केवल डेटा का चार्ज वसूल सकेंगी।

=>इमरजेंसी में छूट
- कंपनियों को इमरजेंसी के समय ही टैरिफ घटाने की छूट होगी। इसके लिए भी उन्हें सात दिन के भीतर ट्राई को जानकारी देनी होगी। कंपनियों को नए नियम लागू करने के लिए छह महीने का समय दिया गया है।

=>क्या था विवाद?
- वर्तमान में कोई भी पैसे देकर इंटरनेट सर्विस इस्तेमाल कर सकता है। इसमें टेलीकॉम कंपनियों की तरफ से किसी विशेष वेबसाइट या एप के लिए अलग से चार्ज लेने का नियम नहीं था।

=>यहां से आया था नेट न्यूट्रैलिटी का कॉन्सेप्ट ...

- नेट न्यूट्रैलिटी टर्मिनोलॉजी का इस्तेमाल सबसे पहले 2003 में कॉलंबिया यूनिवर्सिटी में हुआ था। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टिम वू ने कहा था कि इंटरनेट पर जब सरकारें और टेलिकॉम कंपनियां डेटा एक्सेस को लेकर कोई भेदभाव नहीं करेंगी, तब वह नेट न्यूट्रैलिटी कहलाएगी।

=>क्या है नेट न्यूट्रैलिटी?
> अगर आपके पास इंटरनेट प्लान है तो आप हर वेबसाइट को एक जैसी स्पीड के साथ एक्सेस कर सकें।
> आपका टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर कोई भी हो, आप हर तरह के डेटा को एक जैसी स्पीड पर एक्सेस कर सकें।
> इंटरनेट पर ऐसी आजादी जिसमें स्पीड या एक्सेस को लेकर किसी तरह का कोई भेदभाव न हो।

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