स्वास्थ्य क्षेत्रक चुनौती : भारत में बीमार पड़ना बन गया है महंगा सौदा

- हमारे देश में बीमार पड़ना बहुत महंगा सौदा बन चुका है क्योंकि भारत में दवाइयों की कीमत पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। भगवान ना करे कि किसी को कैंसर या ऐसी दूसरी गंभीर बीमारियां हो क्योंकि ये बीमारियां मरीज के साथ-साथ उसके परिवार को भी बर्बाद कर देती हैं। इस बर्बादी में मुख्य भूमिका निभाते हैं निजी और सरकारी अस्पताल.  

- इसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे लेकिन इससे पहले आपको दवाओं से जुड़ी कुछ जानकारियां देना ज़रूरी है।

भारत में जरूरी दवाओं के दामों को नियंत्रण में रखने के लिए एक National List of Essential Medicines बनाई गई है। इसे NLEM कहते हैं और इसमें शामिल दवाओं के दाम कंपनियां अपनी मर्ज़ी से नहीं बढ़ा सकती। फिलहाल इस लिस्ट में 376 दवाएं शामिल हैं। जबकि बाकी दवाएं इस लिस्ट से बाहर हैं। यानी भारत में बिकने वाली करीब 80 प्रतिशत दवाएं ऐसी हैं जिनके दामों पर किसी का नियंत्रण नहीं है।

  • इन दवाओं में कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज करने वाली दवाएं भी शामिल हैं।
    -ये दवाएं बाज़ार में अलग-अलग दामों पर मिलती है। इन दवाओं के दामों में अंतर जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।
    -Breast Cancer के इलाज में Can-mab नामक दवा का इस्तेमाल होता है।
    -Can-mab प्राइवेट अस्पतालों में करीब 57 हज़ार 500 रुपये की मिल रही है। यही दवा दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टियूट से करीब 41 हज़ार रुपये में मिल जाती है।
    -जबकि Chemist से ये दवा खरीदने के लिए करीब 32 हज़ार 999 रुपये देने पड़ते हैं।
    -ये कहानी सिर्फ एक दवा की नहीं है, बाज़ार में सैंकड़ों ऐसी दवाएं मौजूद हैं जिनके दाम कंपनियां, केमिस्ट, प्राइवेट अस्पताल और सरकारी अस्पताल अपनी मर्ज़ी से तय कर रहे हैं।
  • नियमों के मुताबिक जो दवाएं National List of Essential Medicines में शामिल नहीं है। उनके दाम कपनियां हर वर्ष 10 प्रतिशत की दर से बढ़ा सकती हैं। कई बीमारियां ऐसी हैं जो अब लाइलाज नहीं हैं अगर वक्त रहते इन बीमारियों का ठीक से इलाज़ किया जाए तो व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है। लेकिन भारत में करीब 6 करोड़ लोग ऐसे हैं जो महंगी दवाओं की वजह से आर्थिक रूप से बदहाल हो चुके हैं। और जिन्हें महंगे इलाज ने दीवालिया बना दिया है।
  • भारत में कुछ मेडिकल प्रक्रियाएं सबसे महंगी हैं। जैसे - कैंसर का इलाज, डायलिसिस, हार्ट अटैक का इलाज, दिल की धमनियों को खोलने के लिए की जाने वाली ग्राफ्टिंग और दिल के वाल्व बदलने के लिए होने वाली सर्जरी। भारत में हर साल कैंसर से करीब साढ़े 6 लाख लोगों की मौत हो जाती है। जबकि भारत में Dialysis करा रहे मरीज़ों की संख्या 55 हज़ार है और ये हर साल 10 से 20 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रही है।
  • इसी तरह दिल से जुड़ी बीमारियां भारत में होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह है। भारत में करीब 24 प्रतिशत मौतें दिल की बीमारियों की वजह से ही होती है। भारत में किसी मरीज़ के इलाज से फायदा उठाने वाला एक नेक्सस बन चुका है। इस नेक्सस में शामिल लोगों को बीमार लोगों में.. एक मरीज़ नहीं दिखता..एक इंसान नहीं दिखता बल्कि एक ग्राहक दिखता है जिसकी जेब से वो आखिरी सिक्का तक लूट लेना चाहते हैं। ये ऐसी मानसिकता है जो भारत के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है।


-लेकिन अक्सर प्राइवेट अस्पताल जहां आपको X ray के लिए भेजते हैं वहां इसके लिए 400 से 500 रुपये तक चुकाने पड़ते हैं।
-इसी तरह एक साधारण MRI दो हज़ार रुपये में हो जाना चाहिए लेकिन अस्पताल अक्सर इसके लिए आपसे 5 हज़ार रुपये से लेकर 7 हज़ार रुपये तक वसूल लेते हैं।
-खून में हिमोग्लोबिन का पता लगाने वाला टेस्ट 10 रुपये में हो जाना चाहिए लेकिन अक्सर Private Labs इसके लिए 50 रुपये वसूलती हैं। यानी करीब 5 गुना ज्यादा।
-इसी तरह जो CT स्कैन 700 से 1000 रुपए के बीच में हो जाना चाहिए उसके लिए अस्पताल आपसे 2500 रुपये तक वसूलते हैं। 

-          Common Civil Code की तरह देश  में एक Common Food Code भी होना चाहिए और ये सरकारों पर लागू होना चाहिए ताकि देश के हर नागरिक को खाने का अधिकार मिल पाए।

- इसी तरह देश में एक Common Medical Code भी होना चाहिए। जिसे देश भर के सरकारी और गैरसरकारी अस्पतालों, दवा कंपनियों, डॉक्टरों, केमिस्ट और Test LAbs पर लागू किया जाना चाहिए। 

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