सरकार अल्‍पसंख्‍यकों के आमूल विकास और सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध

- राजग सरकार सबका साथ, सबका विकास के सिद्धांत के अनुरूप अल्‍पसंख्‍यकों के समावेशी विकास के लिए प्रतिबद्ध है तथा अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्रालय के योजना बजट में लगातार बढोतरी की जा रही है। वर्ष 2016-17 में इस संबंध में 3800 करोड़ रुपए का आबंटन किया गया जो वर्ष 2015-16 के खर्च स्‍तर से 168 करोड़ रुपए अधिक है। पिछले वर्ष 2015-16 में मोदी सरकार ने वर्ष 2013-14 में पूर्व सरकार द्वारा किए गए खर्च से बीस प्रतिशत अधिक खर्च किया है, जो भारी वृद्धि है।

=>नई मंजिल:- एकीकृत शिक्षा और आजीविका पहल के संदर्भ में वर्ष 2015 में एक नई योजना नई मंजिल शुरू की गई। इस योजना के लिए 650 करोड़ रुपए स्‍वीकृत किए गए जिससे लगभग एक लाख अल्‍पसख्‍ंयक युवाओं को फायदा होगा। अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण कार्यक्रमों के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि जब विश्‍व बैंक ने ऐसे कार्यक्रम के लिए 50 प्रतिशत वित्‍तीय सहायता देने के लिए सहमति दी है। कार्यक्रम के क्रियान्‍वयन के संबंध में वर्ष 2016-17 के लिए 155 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं। यह योजना इसलिए भी महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि इसमें बीच में पढ़ाई छोड़ने वालों की औपचारिक शिक्षा तथा कौशल विकास को महत्‍व दिया गया है, जिससे उनके रोजगार के अवसरों का विकास होगा।       

सरकार के स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया प्राथमिकता के अनुपालन में अल्‍पसंख्‍यकों के कौशल विकास के लिए सीखो और कमाओ को मजबूती दी गई है। इसके अलावा, इस योजना के लिए वर्ष 2015-16 में आबंटित धनराशि को मोदी सरकार द्वारा लगभग 11 गुना (वर्ष 2013-14 के 17 करोड़ रुपए के स्‍तर से ऊपर) तक बढ़ाया गया है। लगभग 1.23 लाख अल्‍पसंख्‍यक युवाओं के प्रशिक्षण के लिए 191.96 करोड़ रुपए स्‍वीकृत किए गए। वर्ष 2014-15 और 2015-16 को मिलाकर 1.43 लाख अल्‍पसंख्‍यक युवाओं को प्रशिक्षित किया गया। वर्ष 2016-17 में 1.25 लाख अल्‍पसंख्‍यक युवाओं के प्रशिक्षण के लिए बजट में 210 करोड़ रुपए का और इजाफा किया गया।

अल्‍पसंख्‍यक महिलाओं के नेतृत्‍व विकास के लिए मंत्रालय ने एक विशेष योजना नई रोशनी को क्रियान्वित किया है ताकि सरकारी प्रणाली, बैंकों और अन्‍य माध्‍यमों के साथ बातचीत करने के लिए महिलाओं को जानकारी उपलब्‍ध हो तथा उनमें आत्‍मविश्‍वास पैदा किया जा सके। राजग सरकार के पिछले दो वर्षों (2014-15 और 2015-16) के दौरान अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्रालय ने 28.98 करोड़ रुपए खर्च करके 24 राज्‍यों की 1.30 लाख से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया। अभी हाल में नीति आयोग ने स्‍वतंत्र रूप से योजना के कार्यान्‍वयन का मूल्‍यांकन किया है और उसने देखा है कि समाज के ज्‍यादातर वर्गों ने कार्यक्रम की प्रशंसा की है। इस कार्यक्रम से अल्‍पसंख्‍यक महिलाओं में आत्‍मविश्‍वास बढ़ा है और उनमें नेतृत्‍व की भावना का विकास हुआ है।

सरकार पारंपरिक दस्‍तकारों/हस्‍तशिल्पियों की समस्‍याओं से अवगत है। गरीबी और विश्‍व रुझानों के अनुरूप कौशन उन्‍नयन न होने के कारण कई दस्‍तकार और हस्‍तशिल्‍पी अपना कौशल छोड़कर दूसरे रोजगार तलाश रहे हैं। सरकार देश की विरासत में होने वाले इस भारी नुकसान की उपेक्षा नहीं कर सकती। इसलिए अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्रालय ने एक नई योजना उस्‍ताद (अपग्रेडिंग द स्किल्‍स एंड ट्रेनिंग इन ट्रेडिशनल आर्ट्स/ क्राफ्ट्स फॉर डेवलपमेंट) शुरू की है । 

इस योजना का उद्देश्‍य पारंपरिक कौशलों, डिजाइन विकास, क्षमता निर्माण और उस्‍ताद दस्‍तकारों और हस्‍तशि‍ल्पियों के पारंपरिक कौशल को बढ़ाने संबंधी मानक निर्धारित करना है। इसके अलावा कौशलों का संरक्षण भी इसके तहत किया जाएगा। योजना का यह उद्देश्‍य भी है  कि विभिन्‍न पारंपरिक कलाओं में संलग्‍न अल्‍पसंख्‍यक युवाओं को उस्‍ताद दस्‍तकारों और हस्‍तशिल्पियों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाए। मंत्रालय ने डिजाइन हस्‍तक्षेप, उत्‍पाद श्रेणी विकास, पैकेजिंग, प्रदर्शनी जैसी गतिविधियों के लिए राष्‍ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्‍थान (एनआईएफटी), राष्‍ट्रीय डिजाइन संस्‍थान (एनआईडी) और भारतीय पैकेजिंग संस्‍थान (आईआईपी) की सहायता ली है। इसके अलावा बिक्री बढ़ाने के लिए ई-बाजार पोर्टल और ब्रांड निर्माण के लिए इन संस्‍थानों का सहयोग लिया जाएगा। राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार के साथ सम्‍पर्क स्‍थापित करने के लिए मंत्रालय ने ई-वाणिज्‍य पोर्टल के साथ दस्‍तावेज समझौते पर दस्‍तखत भी किए हैं।

अल्‍पसंख्‍यक समुदायों की कौशल विकास आवश्‍यकताओं को पूरा करने और स्‍वरोजगार तथा उद्यमशीलता के जरिए उन्‍हें सतत रोजगार प्रदान करने के संबंध में ऋण उपलब्‍ध कराने के लिए मंत्रालय ने 2014-15 में विशेष पहल करते हुए मौलाना आजाद राष्‍ट्रीय कौशल अकादमी (एमएएनएस) की स्‍थापना की। एमएएनएस ने मदरसों और अन्‍य पारंपरिक शिक्षा संस्‍थानों के छात्रों के कौशल विकास के लिए कई विशेष प्रयास किए हैं। अब तक एमएएनएस ने 31 मदरसों सहित विभिन्‍न अल्‍पसंख्‍यक समुदायों के 39 पारंपरिक शिक्षा संस्‍थाओं के साथ सहयोग किया है। अल्‍पंख्‍यक बहुल क्षेत्रों में मुस्लिम लड़कियों के लिए उनके घर तक कौशल विकास सुविधा पहुंचाने के लिए मदरसों को प्रोत्‍साहित किया गया है। यदि मुस्लिम लड़कियों के लिए इस तरह के मदरसे उपलब्‍ध न हों तो ऐसी स्थिति में एमएएनएस उनके पड़ोस में प्रशिक्षण की व्‍यवस्‍था करता है। अपनी स्‍थापना से लेकर अब तक एमएएनएस ने कौशल प्रशिक्षण के लिए 65 हजार अल्‍पसंख्‍यक युवाओं को अपने दायरे में लिया है।

छात्रों के बैंक खातों में छात्रवृत्ति जमा करने के लिए मंत्रालय ने 2015-16 से राष्‍ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) के जरिए प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) का इस्‍तेमाल शुरू कर दिया है। इस कदम से धनराशि के अंतरण की प्रक्रिया छोटी हो गई है और भुगतान के विलम्‍ब में कमी आई है। इसके अलावा डीबीटी स्‍तर के बैंक खातों को आधार के साथ जोड़कर मंत्रालय को हितधारकों की पहचान करने और धनराशि के संबंध में गड़‍बडि़यों से निपटने में सहायता मिल रही है।

निशुल्‍क कोचिंग योजना के अंतर्गत प्रदान किए जाने वाली वित्‍तीय सहायता से अल्‍पसंख्‍यक समुदायों को मेडिकल, इंजीनियरिंग, सरकारी नौकरियों आदि की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में सहायता हो रही है । मोदी सरकार के पिछले दो वर्षों के दौरान धनराशि आबंटन 23 करोड़ रुपए से दोगुना होकर 45 करोड़ रुपए हो गया है और इसके दायरे में आने वाले अल्‍पसंख्‍यक अभ्‍यर्थियों की संख्‍या भी 9997 से बढ़कर 16,427 हो गई है।

अल्‍पसंख्‍यकों की समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए मंत्रालय द्वारा शुरू की गई हमारी धरोहर योजना के तहत द एवरलास्टिंग फ्लेम इंटरनेशल प्रोग्राम शुरू किया गया है जो अपने तरह का अनोखा कार्यक्रम है। इसमें पारसी संस्‍कृति पर तीन यात्रा प्रदर्शनियां शामिल हैं। द एवरलास्टिंग फ्लेम, पेंटटिड एनकाउन्‍टर्स, पारसी ट्रेडर्स एंड द कम्‍युनिटी एंड नो पारसी इज एन आइलैंड और थ्रेड्स ऑफ कंटीन्‍यूटी प्रदर्शनियों का आयोजन राष्‍ट्रीय संग्रहालय, राष्‍ट्रीय आधुनिक कला वीथिका और इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कला केन्‍द्र में मार्च-मई 2016 के दौरान किया गया। पहली बार प्रदर्शनी के लिए कृतियों को ब्रिटिश म्‍यूजियम, लंदन, हरमिटेज, रूस; इरान, उज्‍बेकिस्‍तान आदि से लाया गया ताकि पारसी संस्‍कृति को पेश किया जा सके।

मंत्रालय वक्‍फ सम्‍पत्तियों की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए भी कदम उठा रहा है। मंत्रालय आईआईटी कानपुर, रुड़की, मुम्‍बई और राष्‍ट्रीय दूर संवेदी केंद्र की सहायता से वक्‍फ संपत्तियों की जीआईएस मैपिंग कर रहा है। इससे वक्‍फ बोर्डों को मूल्‍यवान भू-संसाधनों के कब्‍जों को रोकने और निगरानी के लिए सहायता मिलेगी।

राष्‍ट्रीय अलपसंख्‍यक विकास एवं वित्‍त निगम (एनएमडीएफसी) अल्‍पसंख्‍यकों को स्‍वरोजगार के लिए कम दर पर ऋण उपलब्‍ध कराता है। वर्ष 2012-13 से ही एनएफडीसी को दी जाने वाले इक्विटी बाधित थी क्‍योंकि तत्‍कालीन सरकार ने अधिकृत शेयर पूंजी में वृद्धि नहीं की थी। पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान 2013-14 में कोई केंद्रीय सरकार इक्विटी नहीं दी जा सकी। एनएमडीएफसी के इतिहास में पहली बार मोदी सरकार ने 10 फरवरी 2015 को एनएमडीएफसी की अधिकृत शेयर पूंजी को एक बार में ही दोगुना करके उसे 1500 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 3000 रुपए कर दिया। तब से ही मंत्रालय ने एनएमडीएफसी को 290 करोड़ रुपए के रूप में इक्विटी योगदान किया है। इसके कारण एनएमडीएफसी अल्‍पसंख्‍यकों को अधिक ऋण देने में सक्षम हो गया है।

चूंकि शासन में पारदर्शिता मोदी सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है, इसलिए इसे ध्‍यान में रखते हुए मंत्रालय ने सीखो और कमाओ, एमएएनएस, नई रोशनी (महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम) और नई उड़ान (संघ लोकसेवा आयोग की प्रवेश परीक्षा और मुख्‍य परीक्षा में सफल उम्‍मीदवारों की सहायता के लिए कार्यक्रम) के ऑनलाइन पोर्टल शुरू किए हैं। इन पोर्टलों में जनता के लिए सभी महत्‍वपूर्ण जानकारियां उपलब्‍ध हैं

अल्‍पसंख्‍यक कार्य मंत्रालय प्रत्‍येक कार्यक्रम के उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने और उन्‍हें मैदानी स्‍तर तक पहुंचाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगा। मंत्रालय लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए प्रणाली को सरल बनाने पर भी ध्‍यान दे रहा है। जन अनुकूल प्रक्रियाओं को अपनाया जा रहा है ताकि सुशासन सुनिश्चित हो सके और हमारी कल्‍याण योजनाओं द्वारा लक्षित अल्‍पसंख्‍य समूहों को लाभ और सेवाएं प्रभावशाली तरीके से समय पर उपलब्‍ध हो सकें।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download