प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) - सभी के लिए आवास मिशन

आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने प्रधानमंत्री  की घोषणा के अनुरूप देश के शहरी क्षेत्रों में उल्लिखित उद्देश्य को पूरा करने के लिए ' प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) (शहरी )- सभी के लिए आवास (एचएफए) मिशन' तैयार किया है। प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि देश के सभी बेघरों और कच्चे घरों में रहने वाले लोगों को आवश्यक बुनियादी सुविधाओं से युक्त बेहतर पक्के घर 2022 तक सुलभ कराये जायेंगे।

  • प्रधानमंत्री ने 25 जून , 2015 को पीएमएवाई (शहरी )- एचएफए का शुभारंभ किया था।
    यह योजना सभी 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों के सभी 4,041
    शहरों और कस्बों में कार्यान्वित की जायेगी।
  • यह योजना मूल रूप से ईडब्ल्यूएस और एलआईजी के लाभार्थियों के हित में बनायी गयी थी।
  • प्रधानमंत्री ने 31 दिसंबर 2016 को पीएमएवाई (शहरी )
    योजना का दायरा बढ़ाकर इसमें मध्यम आय वर्ग (एमआईजी ) को भी लाने की घोषणा की। 
  • 2011 में आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय द्वारा गठित तकनीकी समूह ने अनुमान लगाया कि मरम्मत न होने योग्य कच्चे घरों में रहने वाले 0.99 मिलियन शहरी परिवारों , जीर्ण- क्षीर्ण हो चुके घरों में रहने वाले 2.27 मिलियन परिवारों , तंग मकानों में रहने वाले
    14.99 मिलियन परिवारों और 0.53 मिलियन बेघर शहरी परिवारों के लिये 18.78 मिलियन आवासीय इकाइयों की किल्लत है। शहरीकरण में होने वाले विस्तार को ध्यान में रखते हुए पीएमएवाई (शहरी ) योजना के शुभारंभ के समय शहरी इलाकों में लगभग दो करोड़ आवासीय इकाईयों की मांग होने का आकलन किया गया था। इसके बाद राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों से नई मांग का आकलन करने को कहा गया है और यह कार्य लगभग संपन्न होने वाला है।                                   

पीएमएवाई (शहरी )- एचएफए की मुख्य विशेषताएं* :---- 

  • लक्षित लाभार्थियों में 3 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस ), 3 से 6 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले निम्न आय वर्ग (एलआईजी ), 6 से
    12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले एमआईजी (1) और 12 से 18 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले एमआईजी (2) को शामिल किया गया है।
    लक्षित लाभार्थियों के लिए तय की गयी 18 लाख रुपये की ऊपरी आय सीमा भारत के लिहाज से काफी ज्यादा है , इसलिए पीएमएवाई (शहरी ) - एचएफए से समाज का बड़ा तबका लाभान्वित होता है और यह सरकार के ' सबका साथ- सबका विकासके दर्शन के अनुरूप है।
    पीएमएवाई (शहरी ) के तहत केंद्रीय सहायता
  • केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 17 जून , 2015 को पीएमएवाई (शहरी ) एचएफए को अनुमोदित किया है। इस योजना के विभिन्न घटकों के तहत प्रत्येक लाभार्थी को 1 लाख से लेकर 2.30 लाख रुपये तक की केंद्रीय सहायता देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गयी है। ये घटक निम्नलिखित   :--- 
    :
    ( 1 ). मूल स्थान पर ही झुग्गी बस्तियों का पुनर्विकास (आईएसएसआर ): -- इस घटक के अंतर्गत परियोजना की लागत निकालने के लिए संसाधन के रूप में भूमि का इस्तेमाल कर मूल स्थान पर ही झुग्गी बस्तियों का पुनर्विकास किया जायेगा , ताकि झुग्गियों में रहने वाले परिवारों को निःशुल्क बुनियादी ढांचागत सुविधाओं से युक्त बहुमंजिला भवनों में पक्के आवास उपलब्ध हो सकें। परियोजनाओं को व्यवहार्य बनाने के लिए आवश्यकतानुसार एक लाख रुपये तक की केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • साझेदारी में किफायती आवास (एएचपी ):--  न्यूनतम 250 इकाइयों वाली परियोजनाओं में यदि 35 प्रतिशत मकान ईडब्ल्यूएस के लिए निर्धारित किए जाते हैं तो राज्यों / केंद्र शासित प्रदशों / शहरों / निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी कर निर्मित किए जाने वाले आवासों के लिए प्रत्येक ईडब्ल्यूएस लाभार्थी को 1.50 लाख रुपये की केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
    ( 3.)लाभार्थी के नेतृत्व में निर्माण (बीएलसी ): -- ईडब्ल्यूएस लाभार्थियों को 1.50–1.50 लाख रुपये की केंद्रीय सहायता दी जाती है , ताकि वे स्वयं ही नए मकानों का निर्माण कर सकें या अपने मौजूदा मकानों का विस्तार कर सकें।

(4.) ऋण से जुड़ी सब्सिडी योजना (सीएलएसएस ):-- ईडब्ल्यूएस , एलआईजी , एमआईजी श्रेणियों के लाभार्थियों द्वारा नया निर्माण करने और अतिरिक्त कमरे , रसोईघर, शौचालय इत्यादि के निर्माण हेतु लिए गए आवासीय ऋणों पर ब्याज सब्सिडी के रूप में केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है। 6.00 लाख रुपये के 20 वर्षीय ऋण पर 6.50 प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी ईडब्ल्यूएस और एलआईजी के लाभार्थियों को दी जाती है। इसी तरह 6.00 लाख से लेकर 12.00
लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वाले एमआईजी के लाभार्थियों को
9.00 लाख रुपये के 20 वर्षीय ऋण पर 4 प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी दी जाती है। वहीं , 12 लाख रुपये से लेकर 18 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वाले एमआईजी के लाभार्थियों को 9 लाख रुपये के ऋण पर 3 प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी लगभग 2.30 लाख रुपये से लेकर 2.40 लाख रुपये तक बैठती है जिसका अग्रिम भुगतान किया जाता है , ताकि लाभार्थियों पर ईएमआई का बोझ घट सके। जहां तक ईडब्ल्यूएस और एलआईजी के लाभार्थियों के लिए आवास का सवाल है , निर्मित होने वाले आवासों का परिवार की वयस्क महिला सदस्य के नाम पर अथवा परिवार के वयस्क महिला एवं पुरुष सदस्यों के नाम पर संयुक्त रूप से होना आवश्यक है। एमआईजी के लिए सीएलएसएस के तहत आय अर्जित करने वाले वयस्क सदस्यों को ब्याज सब्सिडी पाने का पात्र माना गया है , भले ही वे अविवाहित ही क्यों न हो।
किफायती आवास परियोजनाओं को स्मार्ट सिटी मिशन के तहत भी बढ़ावा दिया जा रहा और इनमें से कुछ ने इस तरह की परियोजनाओं का प्रस्ताव किया है।

ज्यादा आवास निर्माण का असर* :---

निर्माण क्षेत्र का जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद ) पर अत्यंत महत्वपूर्ण गुणक प्रभाव पड़ता है और इसके साथ ही यह 250 सहायक उद्योगों के लिए भी मददगार साबित होता है। निर्माण क्षेत्र दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है। इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं। किफायती आवास खंड को ‘ बुनियादी ढांचागत ’ प्रदान करना और 20 से अधिक रियायतें एवं प्रोत्साहन देना इन कदमों में शामिल हैं। वहीं , किफायती आवास परियोजनाओं से होने वाले मुनाफे को आयकर से छूट, अचल संपत्ति
(नियमन एवं विकास ) अधिनियम , 2016 का अधिनियमन, इत्यादि इन रियायतों में शामिल हैं। इन कदमों से इस क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिलने की आशा है जिससे अतिरिक्त रोजगार अवसर सृजित होंगे।
 

पीएमएवाई (शहरी ) के कारगर क्रियान्वयन के लिए पहल*- एचएफए:-- 
- सरकार ने 2017-18 के बजट में किफायती आवास को बुनियादी ढांचागत दर्जा देने की घोषणा की है जिससे बढ़े हुए एवं निम्न लागत वाले ऋण प्रवाह के रूप में यह क्षेत्र लाभान्वित हो रहा है।
-  वर्ष 2004 से लेकर वर्ष 2014 तक की अवधि के दौरान जेएनएनयूआरएम के तहत आवास योजनाओं के क्रियान्वयन में हुए अनुभवों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने राज्यों/
केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए मास्टर प्लान में संशोधन / तैयार करना, किफायती आवास के लिए भूमि चिन्हित करना, लेआउट एवं भवन निर्माण योजनाओं के लिए एकल खिड़की मंजूरी को अनिवार्य कर दिया है और इसके साथ ही आवासीय क्षेत्रों के लिए भूमि को पहले ही चिन्हित कर दिए जाने की स्थिति में अलग गैर - कृषि अनुमति लेने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गयी है और झुग्गी पुनर्विकास परियोजनाओं इत्यादि के लिए अतिरिक्त एफएआर / एफएसआई / टीडीआर का प्रावधान किया गया है।
साभार : विशनाराम माली

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