राष्ट्रीय प्रशिक्षु संवर्धन योजना

आदिकाल से ही कौशल का स्थानांतरण प्रशिक्षुओं की परम्परा के माध्यम से होता आ रहा है। एक युवा प्रशिक्षु एक मास्टर दस्कार से कला सीखने की परम्परा के तहत काम करेगा, जबकि मास्टर दस्तकार को बुनियादी सुविधाओं का प्रशिक्षु को प्रशिक्षण देने के बदले में श्रम का एक सस्ता साधन प्राप्त होगा। कौशल विकास की इस परम्परा के द्वारा नौकरी पर प्रशिक्षण देना समय की कसौटी पर खरा उतरा है और इससे दुनिया के अनेक देशों में कौशल विकास कार्यक्रमों को जगह मिली है।                                             

  • कौशल विकास की एक विधा के रूप में प्रशिक्षु के महत्वपूर्ण लाभ रहे हैं,जो उद्योग और प्रशिक्षु दोनों के लिए लाभदायक रहे हैं। इससे उद्योग के लिए तैयार कार्यबल का सृजन करने को बढ़वा मिल रहा है।
  • दुनिया के अनेक देशों ने प्रशिक्षुता मॉडल को लागू किया है। जापान में 10 मिलियन से अधिक प्रशिक्षु हैं, जबकि जर्मनी में तीन मिलियन, अमेरिका में 0.5 मिलियन प्रशिक्षु हैं, जबकि भारत जैसे विशाल देश में केवल 0.3 मिलियन प्रशिक्षु हैं। देश की भारी जनसंख्या और जनसांख्यिकीय लाभांश को देखते हुए देश में 18 से 35 वर्ष की आयु वर्ग के तीन सौ मिलियन लोग मौजूद होने के बावजूद यह संख्या बहुत कम है।                                                

भारत में इस और कदम

  • देश के अनुकूल जनसांख्यिकी लाभांश की क्षमता का एहसास करते हुए माननीय प्रधानमंत्री ने कौशल भारत अभियान और उसके बाद अलग से कौशल विाकस और उद्यमिता मंत्रालय का नवंबर, 2014 में गठन किया। इसका उद्देश्य भारत को दुनिया की कौशल राजधानी में परिवर्तित करना है। एक युवा और स्टार्ट-अप मंत्रालय ने बहुत कम समय में नीति निर्माण और प्रमुख कौशल विकास योजना- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना की शुरूआत प्रमुख रूप से की है और आईटीआई पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करने के अलावा उद्यमशीलता विकास की नई योजनाओं की भी शुरूआत की है।
  • इसी तरह मंत्रालय ने देश में प्रशिक्षु के मॉडल को अपनाने की भावना को बढ़ावा देने के लिए दो प्रमुख कदम उठाए हैं –
  • एक प्रशिक्षु अधिनियम 1961 में संशोधन और
  •  प्रशिक्षु प्रोत्साहन योजना की जगह राष्ट्रीय प्रशिक्षु प्रोत्साहन योजना की शुरूआत।                                      

राष्ट्रीय प्रशिक्षु संवर्धन योजना:

  • सरकार ने प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करने और नियोक्ताओं को प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने की प्रेरणा देने के लिए 19 अगस्त, 2016 को राष्ट्रीय प्रशिक्षु संवर्धन योजना की शुरूआत की थी। इस योजना ने 19 अगस्त, 2016 को प्रशिक्षु प्रोत्साहन योजना (एपीवाई) का स्थान ले लिया है। एपीवाई वजीफे के रूप में केवल पहले दो साल के लिए सरकार द्वार निर्धारित धनराशि का 50 प्रतिशत देता था। वहीं नई योजना में प्रशिक्षण और वजीफे के संबंध में निम्नलिखित प्रावधान किये गए हैं –
  • निर्धारित वजीफे के 25 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति जो नियोक्ता के लिए अधिकतम 1500 रुपये प्रति माह प्रति प्रशिक्षु होगी
  •  फ्रेशर प्रशिक्षु के संबंध में बुनियादी प्रशिक्षण की लागत को साझा किया जाना (जो कि बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के सीधे आए थे)
  • एनएपीएस को वर्ष 2020 तक प्रशिक्षुओं की संख्या 2.3 लाख से बढ़ाकर 50 लाख करने के महत्वाकांक्षी उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था।
  •  योजना, एप्रेंटाइसशिप चक्र की निगरानी और प्रभावी प्रशासन के लिए एक उपयोगकर्ता के अनुकूल ऑनलाइन पोर्टल (www.apprenticeship.gov.in) शुरू किया गया।
  •  पोर्टल पर नियुक्ति प्रक्रिया की सभी आवश्यक जानकारियां उपलब्ध रहती हैं। यहां पंजीकरण से लेकर रिक्तियों की संख्या, और प्रशिक्षु के लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर ऑफर लेटर स्वीकारने तक सभी जानकारियां उपलब्ध हैं।
    साभार : विशनाराम माली 

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