Background:
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति और प्रोत्साहन विभाग ने मई 2017 में नयी औद्योगिक नीति बनाने की प्रक्रिया प्रारम्भ की थी। 1991 में घोषित औद्योगिक नीति के पश्चात भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है। पिछले तीन वर्षों में अर्थव्यवस्था के मजबूत आधार स्तंभों तथा अति महत्वपूर्ण सुधारों के परिणाम स्वरूप भारत विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने वाले भारतीय उद्योग के लिए नए विचार और रणनीतियां लागू करने के लिए तैयार है। नयी औद्योगिक नीति में राष्ट्रीय विनिर्माण नीति भी शामिल की जाएगी।
- औद्योगिक नीति के निर्धारण में विचार-विमर्श की नीति अपनाई गई है।
- इसके अंतर्गत 6 विषयों से संबंधित विशिष्ट समूह बनाये गए और इनपुट प्राप्त करने के लिए डीआईपीपी के वेबसाइट पर एक ऑनलाइन सर्वे किया गया।
- सरकारी विभागों, उद्योग परिसंघों, शिक्षा जगत के प्रतिनिधियों तथा विशेषज्ञों को विशिष्ट समूहों का सदस्य.बनाया गया है। ये समूह, उद्योग द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में सामना की जाने वाली चुनौतियों का अध्ययन करेंगे। 6 विशिष्ट क्षेत्र निम्न हैं:- विनिर्माण और लघु, छोटे व मझौले उद्यम (एमएसएमई), तकनीक और नवोन्मेष, व्यापार करने में आसानी, आधारभूत संरचना, निवेश, व्यापार और वित्तीय नीति तथा कौशल व भविष्य के लिए रोजगार उपलब्धता।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के संदर्भ में भारत के आर्थिक रूपांतरण के लिए एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है जो नीति-निर्माण के लिए आवश्यक इनपुट प्रदान करेगा।
औद्योगिक नीति का उद्देश्य
‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहित करने के साथ ही नयी औद्योगिक नीति का उद्देश्य भारत को विनिर्माण का केन्द्र बनाना है। इसके अंतर्गत तकनीकी रूप से आधुनिक विनिर्माण के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक्स जैसे अत्याधुनिक तकनीकों को शामिल किया गया है।
केन्द्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती निर्मला सीता रमन उद्योग जगत के प्रतिनिधियों, विशेषज्ञों तथा चेन्नई, गुवाहाटी और मुम्बई की राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श करेंगी। अक्टूबर, 2017 में नयी औद्योगिक नीति की घोषणा संभावित है।