Assocham and deloitte की एक साझा रिपोर्ट के अनुसार
- नीतियों में अस्पष्टता व ढांचागत दिक्कतों के चलते केंद्र की महत्वाकांक्षी डिजिटल इंडिया परियोजना के सफल कार्यान्वयन के सामने अनेक चुनौतियां हैं।
- इसके मुताबिक टैक्सेशन व अन्य नियामकीय दिशा निर्देशों से जुडे मुद्दों के कारण इस कार्यक्रम के आगे बढ़ने में दिक्कत है।
- रिपोर्ट में कहा गया है,‘कुछ सामान्य नीतिगत बाधाओं में से एक एफडीआई नीतियों में स्पष्टता का अभाव भी है जिसने ई-कॉमर्स सेक्टर की ग्रोथ को प्रभावित किया है।
- नीतिगत ढांचे को लेकर उबर जैसी परिवहन सेवा फर्म का बार-बार स्थानीय सरकारों से विवाद होता है।’
- इसके अनुसार डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के सामने सबसे बड़ी चुनौती ढांचागत विकास में देरी है।
- रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत को बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए 80 लाख से अधिक वाई-फाई हॉटस्पॉट की जरूरत होगी, जबकि इस समय इनकी उपलब्धता लगभग 31000 है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल इंडिया अभियान का लोगों पर व्यापक प्रभाव पड़ने वाला है। इसके लिए सुदूर गांवों में भी पर्याप्त कनेक्टिविटी उपलब्ध कराकर डिजिटल गैप को खत्म करने की जरूरत है। देश में अब भी 55,000 से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां मोबाइल कनेक्टिविटी की भी सुविधा उपलब्ध नहीं है।
What is Digital India:
डिजिटल इंडिया भारत सरकार की एक पहल है जिसके तहत सरकारी विभागों को देश की जनता से जोड़ना है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बिना कागज के इस्तेमाल के सरकारी सेवाएं इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनता तक पहुंच सकें। इस योजना का एक उद्देश्य ग्रामीण इलाकों को हाई स्पीड इंटरनेट के माध्यम से जोड़ना भी है। डिजिटल इंडिया के तीन कोर घटक हैं-
- डिजिटल आधारभूत ढाँचे का निर्माण करना,
- इलेक्ट्रॉनिक रूप से सेवाओं को जनता तक पहुंचाना,
- डिजिटल साक्षरता।