भारत में कोल खनन और खनन से जुड़ा आदिवासी विस्थापन

- भारत दुनिया में कोयला का तीसरा बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है. हमारी दो तिहाई बिजली कोयले से आती है. भारत सरकार की योजना 2020 तक कोयले का सालाना उत्पादन दोगुना करने की है ताकि बढ़ती ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जा सके. 
★करीब 70 फीसदी भारत का कोयला मध्य और पूर्वी भारत के राज्यों में है. छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा में करीब 2.8 करोड़ आदिवासी रहते हैं.
♂♂भारत की मुख्य खदानें♂♂
1.छत्तीसगढ़ में एईसीसीएल कुसमांडा खदान
2.झारखंड के तेतरियाखड़ में सीसीएल खदान
3.ओड़िशा के बसुंधरा में एमसीएल खदान

- एमनेस्टी के मुताबिक इन तीनों खदानों की वजह से 9,250 परिवार प्रभावित हैं। एमनेस्टी की रिपोर्ट में इन उल्लंघनों का जिक्र किया गया है.

 =>कोल बियरिंग एरियाज एक्ट 1957 :-
★एक्ट के मुताबिक अगर कोई सरकार धारा 4 के तहत किसी जमीन को अधिग्रहित करने की मंशा जाहिर करती है तो उसे प्रभावित समुदाय की सहमति लेने की कोई जरूरत नहीं होगी और नहीं उसे मूल निवासियों से पूर्व में इसके लिए अनुमति लेनी होगी. 
★अधिकारियों को जमीन लेने के बदले में कोई मुआवजा देने की भी जरूरत नहीं होगी. साथ ही मानवाधिकार के हनन को लेकर आकलन किए जाने की भी जरूरत नहीं होगी. इन अवधि के दौरान सभी लोगों के जमीन खरीदने और बेचने के अधिकार निलंबित रहेंगे.

=>पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1986
- पर्यावरण मंजूरी लेने की प्रक्रिया के तहत राज्य के प्रदूषण नियंत्रण विभाग को प्रभावित समुदाय के लोगों के साथ सार्वजनिक बातचीत करनी होती है. इस बैठक में वह अपनी चिंताओं को साझा करते हैं.

=>पंचायत अधिनियम 1996 :-
- पीईसीए एक्ट के तह अधिसूचित इलाकों में जमीन लेने से पहले पंचायतों और ग्राम सभाओं से बातचीत करनी होती है. एमनेस्टी की रिपोर्ट के मुताबिक इन अधिनियम को लागू करने की प्रक्रिया बेहद खराब रही है.  

=>राइट ओवर ट्रेडीशनल लैंड्स, फॉरेस्ट राइट्स एक्ट 2006
★ पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से 2009 में जारी आदेश के मुताबिक मंत्रालय से औद्योगिक परियोजना को मंजूरी मिलने के पहले राज्य सरकार को संबंधित परियोजना के लिए ग्राम पंचायत की सहमति लेनी होगी और इसमें कम से 50 फीसदी से अधिक सदस्यों का होना जरूरी होगा. इस सभी की वीडियो रिकॉर्डिंग कराई जाएगी. इस कानून की वजह से जबरन अधिग्रहण पर रोक लगती है.

=>रिपोर्ट की अहमियत
★पिछले पांच दशकों के दौरान भारत में बड़ी औद्योगिक परियोजनाओं की वजह से बड़ी संख्या में विस्थापन हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक यह आंकड़ा 5 करोड़ हो सकता है. 
★ मार्च 2015 में कोयला बिल में यह प्रावधान जोड़ा गया है कि कोयला और खनिज खदानों का ठेका उन्हीं को दिया जाएगा जो इसके लिए सबसे ज्यादा बोली लगाएंगे.

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