दिव्यांग : अधिकार आधारित सशक्तिकरण:-

Differently abled population in India

2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 2.68 करोड़ (2.21 प्रतिशत) दिव्यांगजन हैं, लेकिन कुछ अन्य अनुमानों के अनुसार वास्तविक संख्या इससे ज्यादा हमारी आबादी का 5 प्रतिशत अधिक हो सकती है। Government schemes and Programme for disabled:

हालांकि पिछले कुछ वर्षों में दिव्यांगजनों के प्रति दृष्टिकोण में काफी बदलाव आया है। सरकार ने भी अब दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार आधारित आर्थिक सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित किया है।   

  • 3 दिसंबर- अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस।      
  •  भारत में 1995 के दिव्यांग व्यक्ति अधिनियम (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और संपूर्ण सहभागिता) लागू होने के साथ ही उनके अधिकार आधारित आर्थिक सशक्तिकरण के लिए पहला कदम बढ़ाया गया है। भारत का दूसरा कदम दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र समझौता (यू.एन.सी.आर.पी.डी) स्वीकार करना है। राज्यसभा में एक नया विधेयक पेश किया गया है, जिसमें इस प्रक्रिया को बढ़ाने का प्रावधान है। इस विधेयक को अभी संसद से मंजूरी मिलनी है।              

दिव्यांगों के सशक्तिकरण हेतु प्रयास :-                                             

सुगम्य भारत अभियान:-

  • यह अभियान लगभग एक वर्ष पहले 15 दिसंबर को शुरू किया गया था।
  • उद्देश्य:  सरकार के इस प्रमुख कार्यक्रम का उद्देश्य सक्षम और बाधारहित वातावरण तैयार कर दिव्यांगजनों के लिए सुगम्यता उपलब्ध कराना है।
  • इसे तीन उद्देश्यों- तैयार वातावरण में सुगम्यता, परिवहन प्रणाली में सुगम्यता और ज्ञान तथा आईसीटी पारिस्थितिकी तंत्र में पहुंच पर केंद्रित किया गया है।

दिव्यांगजन अधिकार विधेयक, 2014:- 

  • यह 1995 के अधिनियम का स्थान लेगा।
  • इस विधेयक में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार समूहों और कार्यकर्ताओं की कई मांगों को शामिल करने का प्रावधान है।
  • इस विधेयक के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों में कानून के अंतर्गत दिव्यांगजनों के लिए आवश्यक सुगम्यता को अनिवार्य करना, प्रस्तावित लाभार्थी श्रेणियों की संख्या 7 से बढ़ाकर 19 करना, कम से कम 40 प्रतिशत विक्लांगता वाले व्यक्तियों को भी कुछ लाभ की पात्रता देना शामिल है।
  • इसमें सभी सार्वजनिक भवनों, अस्पतालों और परिवहन के साधनों, मतदान केंद्रों आदि स्थानों पर दिव्यांगों के अनुकूल सुगम्यता उपलब्ध कराने का भी प्रावधान है।
  •  इस विधेयक के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करना कानून के अंतर्गत दंडनीय है।
    इसके अलावा प्रस्तावित कानून के जरिए सरकार ने दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण के कई उपाय किए हैं।         

सुगम्य पुस्तकालय:- 

  • सरकार ने इस वर्ष अगस्त में एक ऑनलाइन मंच“सुगम्य पुस्तकालय” का शुभारंभ किया, जहां दिव्यांगजन बटन क्लिक करते ही पुस्तकालय की किताबें पा सकते हैं।
  • दिव्यांग व्यक्ति अपनी पंसद के किसी भी उपकरण जैसे मोबाइल फोन, टैबलेट, कम्प्यूटर, डैजी प्लेयर यहां तक की ब्रेल डिस्पले पर ब्रेल लिपि में भी कोई प्रकाशन पड़ सकते हैं।
  •  ब्रेल प्रेस वाले संगठन के सदस्य के जरिए ब्रेल लिपि में भी प्रति के लिए अनुरोध किया जा सकता है।

 यूडीआईडी कार्ड:- 

  • सरकार ने वेब आधारित असाधारण दिव्यांग पहचान (यूडीआईडी) कार्ड शुरू करने का प्रस्ताव किया है। इस पहल से दिव्यांग प्रमाण पत्र की प्रमाणिकता सुनिश्चित करने में बड़ी मदद मिलेगी और अलग-अलग कार्यों के लिए कई प्रमाण पत्र साथ रखने की परेशानी दूर होगी, क्योंकि दिव्यांग का प्रकार सहित विभिन्न विवरण ऑनलाइन उपलब्ध होगा।         

छात्रवृत्ति योजना:-

सरकार ने मैट्रिक के पहले (46000 स्लॉट्स), मैट्रिक के बाद (16650 स्लॉट्स) और उच्च स्तरीय शिक्षा (100 स्लॉट्स) पाने के इच्छुक छात्रों के लिए भी योजना शुरू की है।                        

 स्वावलंबन:-  
दिव्यांग व्यक्तियों के कौशल प्रशिक्षण के लिए पिछले वर्ष एक राष्ट्रीय कार्ययोजना का शुभारंभ किया गया। एनएसडीसी के सहयोग से दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने अगले तीन वर्षों (पहले वर्ष में एक लाख, दूसरे वर्ष में डेढ़ लाख और तीसरे वर्ष में ढ़ाई लाख) में पांच लाख दिव्यांग व्यक्तियों को कौशल प्रशिक्षण देने का महत्वकांक्षी लक्ष्य तय करने का प्रस्ताव किया है। कार्य योजना का उद्देश्य 2022 के अंत तक 25 लाख दिव्यांगजनों को कौशल प्रशिक्षण देना है।

सामाजिक अधिकारिता शिविर:- 

विभाग दिव्यांगजनों को सहायता और उपकरण वितरित करने के लिए शिविर आयोजित करता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सितंबर में गुजरात में आयोजित ऐसे एक शिविर में 11 हजार से अधिक दिव्यांगजनों को सहायता और सहायक उपकरण वितरित किए। देश भर के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले दिव्यांगजनों की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी इसी प्रकार के शिविर आयोजित किए गए।                              

चिंता के क्षेत्र (Some cause of concern) :----                           

  • दिव्यांगजनों के लिए पहले कानून के एक दशक से भी अधिक गुजर जाने और समय-समय पर विशेष भर्ती अभियान के बावजूद सरकारी नौकरियों में तीन प्रतिशत आरक्षित सीटों में से लगभग एक प्रतिशत भर्तियां ही हो पाई हैं और यह बात सरकार ने स्वयं स्वीकार की है।
  • 14,000 से अधिक चिन्हित पदों पर अभी भी भर्तियां होनी शेष है। लगभग 10,000 नेत्रहीनों के लिए आरक्षित सीटें भरी जानी है।
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की 2011 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अभी भी 73 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगजन श्रमशक्ति से बाहर हैं और मानसिक रूप से विक्लांग, दिव्यांग महिलाएं और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले दिव्यांगजन सबसे अधिक उपेक्षित हैं।    
  • सरकार द्वारा दिव्यांग बच्चों को स्कूल में भर्ती कराने के लिए कई कदम उठाने के बावजूद आधे से अधिक ऐसे बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं।

 आशाएं और आकांक्षाएं:----

पिछले दो वर्षों के दौरान शुरू की गई कई योजनाओं और कार्यक्रमों की तेजी से समावेशी और न्यायसंगत विश्व बनाने की परिकल्पना साकार हो सकती है।

साभार : विशनाराम माली 

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