ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स' में शामिल 144 देशों में भारत 87वें स्थान पर

विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) द्वारा जारी वैश्विक लैंगिक असमानता सूचकांक में उसने पिछले साल के मुकाबले 21 पायदानों की छलांग लगाई है. हालांकि, इस मामले में भारत की स्थिति अब भी बांग्लादेश से खराब है.

★2015 की सूची में भारत जहां 108वें पायदान पर था वहीं, 2016 में प्रदर्शन में सुधार करते हुए वह 87वें स्थान पर पहुंच गया है
★दक्षिण एशियाई देशों की बात करें तो बांग्लादेश इस सूची में 72वें, श्रीलंका 100वें, नेपाल 110वें और भूटान 121वें स्थान पर है. 
★भारत की रैंकिंग में सुधार पिछले एक साल के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में विकास की वजह से हुआ है. रैंकिंग में सुधार के साथ ही महिला और पुरूष के बीच असमानता में दो फीसदी की कमी हुई है. हालांकि, यह अभी भी 68 फीसदी है.

★डब्ल्यूईएफ आर्थिक स्थिति, शिक्षा, स्वास्थ्य और राजनीतिक प्रतिनिधित्व जैसे चार मानकों के आधार पर यह सूचकांक जारी करता है.
★ भारत के संदर्भ में संस्था का कहना है, ‘भारत ने प्राथमिक और माध्यमिक स्तर शिक्षा में लड़कों और लड़कियों के बीच अंतर को पूरी तरह खत्म कर दिया है.’ हालांकि संस्था के मुताबिक आर्थिक और स्वास्थ्य क्षेत्र में अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है. 
★शिक्षा के क्षेत्र में भारत 144 देशों के बीच 113वें, स्वास्थ्य में 142वें और आर्थिक मामलों में 136वें पायदान पर है. सूची में भारत का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन राजनीतिक क्षेत्र में है जहां यह नौवें पायदान पर बना हुआ है.

★लैंगिक असमानता को दूर करने के लिहाज से आइसलैंड ने बाजी मारी है जो सूचकांक में पहले पायदान पर है. इसके बाद फिनलैंड, नॉर्वे और स्वीडन ने अपना दबदबा कायम किया है. 
★इस मामले में सबसे बदतर स्थिति यमन की है जो सूची में 144वें पायदान पर है.

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