अपनी एक रिपोर्ट के जरिये संयुक्त राष्ट्र ने संसद और अन्य निर्वाचित निकायों में महिला आरक्षण लागू करने की पुरजोर पैरवी की है। रिपोर्ट का शीर्षक 'लीव नो वन बिहाइंडः एक कॉल टू एक्शन फॉर जेंडर इक्वलिटी एंड वूमेंस इकोनॉमिक एंपावरमेंट' है।
क्या है इस रिपोर्ट में :
- पंचायती राज संस्थानों में महिला आरक्षण लागू होने से लैंगिक भेदभाव को कम करने में मदद मिली है।
- इसमें महिलाओं के लिए आरक्षण की जरूरत पर बल दिया गया है। यह रिपोर्ट खासा महत्वपूर्ण है क्योंकि संसद में महिला आरक्षण का मुद्दा काफी समय से लंबित है।
- रिपोर्ट के अनुसार, 110 से अधिक देशों की संसद में महिलाओं के लिए किसी न किसी तरह के आरक्षण का प्रावधान है।
- वहीं 11 देशों में सरकारी एजेंसियों में लैंगिक समानता बढ़ाने के लिए आरक्षण की व्यवस्था है।
- इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 1993 में स्थानीय निकायों में महिलाओं की हिस्सेदारी पांच फीसद थी, जो भारत के पंचायती राज अधिनियम के जरिये 2005 में बढ़कर 40 प्रतिशत तक पहुंच गई।
महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए सरकार ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' 'स्वच्छ भारत अभियान', 'प्रधानमंत्री उज्ज्वल योजना', 'मुद्रा योजना' और 'स्टैंड-अप इंडिया' जैसी कई पहल की है।'