विशेष आर्थिक जोन (SEZ) क्या सफल हैं

विशेष आर्थिक जोन क्या हैं ?
SEZ एक किस्म का ऐसा क्षेत्र होता है जहां काम करने वाली कंपनियों को इनकम टैक्स, उत्पाद शुल्क और कस्टम में छूट मिल जाती है. 
- इन एसईजेड में कुल 50 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि का अधिग्रहण हुआ.

- अब तक सरकार ने 523 एसईजेड मंजूर किए हैं जिनमें से करीब 352 को अधिसूचित कर दिया है और 196 पूरी तरह से काम करने लगे हैं.

- अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय ही विशेष आर्थिक जोन का विचार शुरू हुआ था. इस पर अमल करते करते 2006 बीत गया. मनमोहन सिंह सरकार ने भी इस योजना को आगे बढ़ाते हुए सरकारी और निजी कंपनियों को एसईजेड बनाने के लिए जमीन दी गई.

- जमीन अधिग्रहण को लेकर देश में अनेक जगह किसानों और पुलिस के बीच खूनी संघर्ष भी हुआ.

- इसका उदाहण गुड़गांव का अंबानी एसईजेड, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में किसानों ने जबरन जमीन अधिग्रहण के खिलाफ जमकर विरोध किया.

=> क्या विशेष आर्थिक जोन सफल हुए ?
- उम्मीद थी कि इन एसईजेड के कारण देश का निर्यात बढ़ेगा और देश का विदेशी व्यापार घाटा खत्म हो जाएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. 
** देश का विदेशी घाटा घटने के जगह बढ़ा है.

- पिछले 10 सालों में करीब 1 लाख 35 हजार करोड़ रपए के निवेश अनुमान लगाया है और 12 लाख लोगों को रोजगार मिलने की भी बात की जा रही है. लेकिन नीति आयोग का कहना है कि एसईजेड सफल नहीं हो पाया है. यह योजना उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा रही है लेकिन देश को फायदा नहीं हो रहा है.

- आर्थिक गतिविधियों खासकर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बनाए जा रहे विशेष आर्थिक जोन जमीन कब्जा करने का अड्डा बन गया है.
- नए नीति आयोग ने इस व्यवस्था का विरोध करते हुए इसकी जगह समुद्र तटीय इलाकों में निर्यात संवर्धन क्षेत्र बनाने की वकालत की है.

- आयोग ने सुझाव दिया है कि कोस्टल इकनोमिक जोन बनाए जाएं, क्योंकि निर्यात तटों से ही होता है.
- कांधला निर्यात जोन 1965 में शुरू किया गया था और आज भी यह सबसे सफल है. इसी तरह के जोन बनाने के बारे में आयोग ने सुझाव दिया है.

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download