Start up India: स्वावलंबी भारत का नया संकल्प

पिछले कुछ वर्षों में फ्लिपकार्ट, पेटीएम, हाइक, रेडबस, ज़ोमैटो, अर्बन लैडर, हाउसिंग.कॉम वगैरह कुछ ऐसे नाम कॉर्पोरेट जगत में देखने में आए। ये कंपनियां पढ़े-लिखे नौजवानों द्वारा शुरू की गईं और उनमें ज्यादातर इंजीनियर ही हैं। इन्हें स्टार्ट अप के नाम से जाना जाने लगा क्योंकि इन्हें शुरू करने वाले पहली बार किसी तरह का कारोबार कर रहे थे।

- इन युवाओं ने मोटी सैलरी वाली नौकरियां छोड़कर अपना काम शुरू किया और सफलता के शिखर पर पहुंचे। उनमें विदेशियों और भारतीयों ने भी पैसा लगाया क्योंकि उनमें टेलेंट था और कुछ नया करने की चाहत भी। इन कंपनियों ने लाखों युवाओं के मन में उम्मीद की किरण जगा दी। 
नतीजा यह हुआ कि आज भारत में बड़े पैमाने पर स्टार्ट अप खड़े हैं और आगे बढ़ने का रास्ता ढूंढ़ रहे हैं। अगर अर्थव्यवस्था में और तेजी लानी है तो स्टार्ट अप को बढ़ावा देना पड़ेगा।

- सरकार ने इस दिशा में एक पहल की और इस साल 16 जनवरी को इसे मूर्त रूप दे दिया गया। इसके तहत पिछले पांच वर्षों में 25 करोड़ रुपए से कम पूंजी में बिज़नेस करने वालों को कई तरह की रियायतों और टैक्स छूट की व्यवस्था की गई है।
- इसके लिए सरकार ने 10,000 करोड़ रुपए की राशि से एक फंड बनाया है ताकि नई पीढ़ी के इन उद्यमियों को आर्थिक मदद मिले। प्रधानमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी खासियत है कि यह लाइसेंस राज, इंस्पेक्टर राज और टैक्स के शिकंजे से आज़ाद है। उनके इस प्रोजेक्ट में सरकार का रोल सिर्फ फंडिंग में मदद देने का है और शेष कार्य उद्यमी को खुद करना है।

- भारत में बिज़नेस करने वालों के सामने सबसे बड़ी परेशानी लालफीताशाही, इंस्पेक्टर राज और जटिल टैक्स कानून है। लेकिन स्टार्ट अप इंडिया इन सबसे मुक्त है। यहां कोई भी अपना उद्यम शुरू कर सकता है और उसे सरकार से सिंगल प्वाइंट कॉन्टैक्ट मिलेगा। 
* श्रम और पर्यावरण संबंधी मामलों में अपने सर्टिफिकेट खुद ही देने की सुविधा दी जाएगी।

- इसके अलावा उसे टैक्स में इंसेंटिव तो मिलेगा ही, कैपिटल गेन में छूट दी जाएगी। भारतीय उद्यमियों की यह बहुत बड़ी मांग रही है।
* इसके तहत बिज़नेस शुरू करने और जरूरत पड़ने पर बाहर निकलने के लिए 90 दिनों में एग्जिट की व्यवस्था होगी। 
* पेटेंट की समस्या सुलझाने के लिए सरकारी मशीनरी मदद करेगी और इसकी फीस में भी भारी छूट दी जाएगी।
* इनके प्रॉडक्ट की बिक्री आसान बनाने के लिए सरकारी खरीद में इन्हें भी स्थान दिया जाएगा।

- यानी सरकार ने अपनी ओर से वो तमाम रियायतें तथा सुविधाएं मुहैया कराई हैं जो एक नए उद्यमी को चाहिए। दरअसल इस पहल का मकसद यही है कि देश में युवा पीढ़ी को उद्यमी बनाने में मदद की जाए। युवा वर्ग नई टेक्नोलॉजी का साथ लेकर अपना कारोबार शुरू करे। यह डिजिटल इंडिया और उद्यमिता की ओर एक बड़ा कदम है।

- भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार को देखते हुए इसमें लगातार कुछ नया होना जरूरी है, नहीं तो प्रगति ठहर जाएगी। अब अगर इसमें तेजी लानी है तो देश में पब्लिक निवेश और जनता के उपभोग को बढ़ाना होगा। ऐसे में स्टार्ट अप इंडिया एक सही उपाय जान पड़ता है। यह देश में वैकल्पिक निवेश को फिर से शुरू करने तथा उपभोग बढ़ाने के लिए सही मॉडल है। इससे ही देश में नए उद्यम बढ़ेंगे और अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।

- सबसे बड़ी बात यह है कि इस समय देश में नए आइडिया और अवसर बहुत हैं। पढ़े-लिखे नौजवान नई टेक्नोलॉजी को समझते हैं और उनका कारोबार में इस्तेमाल करने को उत्सुक हैं। अब इन्हें सहारा देने की जरूरत है क्योंकि नया व्यवसाय शुरू करने वाला हमेशा भविष्य को लेकर कहीं न कहीं से आशंकित रहता है। भारत में बिज़नेस करना हमेशा मुश्किल रहा है और यहां पचड़े बहुत हैं। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में आसानी से कारोबार करना बेहद मुश्किल है। यहां पग-पग पर कानूनी अड़चनें हैं।

- स्टार्ट अप बिज़नेस के मामले में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है और वह समय दूर नहीं जब देश भर में इस तरह के उद्यम उग जाएंगे। उद्यमियों के लिए पूंजी उगाहना आसान होगा और उन्हें टैक्स की मार से राहत मिलेगी।

- अभी यह कदम नया है और इसके लिए भी रास्ता बनाना होगा। सरकार को यह देखना होगा कि इस तरह की उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में एक माहौल तैयार हो। इससे ही स्टार्ट अप का विकास होगा। आर्थिक सुधारों की गति तेज हो। इसके अलावा देश में उत्पादन की लागत पर नियंत्रण करना जरूरी है। उसे हर तरह के प्रत्यक्ष और परोक्ष टैक्स से बचाना जरूरी है।

- देश में अभी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बहुत काम करना होगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर से सभी का वास्ता पड़ता है। हमारी शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार की जरूरत है। सच तो यह है कि हमारी पाठ्य पुस्तकों में उद्यमिता की भी शिक्षा दी जानी चाहिए और वह भी व्यावहारिक स्तर पर। इतना ही नहीं, बैंकों को भी उनके बारे में नई नीति बनाने की जरूरत है। 
- इस तरह के कई कदम भी उठाने पड़ेंगे कि स्टार्ट अप का सामान या सेवाएं आसानी से बाज़ार में बिक सकें। जीएसटी बिल का पास होना इसके लिए जरूरी है।

- इस तरह के आर्थिक सुधारों की बड़े पैमाने पर जरूरत है। सरकार ने अच्छी शुरुआत तो की है, अब देखना है कि इसके अच्छे परिणाम कितनी तेजी से सामने आते हैं।

** दुष्यंत कुमार की पंक्तियां इस पर कितनी सटीक बैठती हैं-
कौन कहता है आकाश में सुराख नहीं हो सकता, 
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो...!!

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