जानकारी ही बचाव

Information availability is an important component of Disaster management. The government should focus on information availability for effective disaster Governance.


#Dainik_Jagran
यह कोई नई बात नहीं कि बीमारी या आपदा के नुकसान को न्यूनतम करने के लिए जानकारी बहुत जरूरी है। विज्ञान ने तो यहां तक तरक्की कर ली है कि वज्रपात के पूर्व संबंधित क्षेत्र की सूचना दी जा सकती है। 
    चक्रवात की जानकारी काफी पहले हो जाने से नुकसान को काफी कम किया जा सका है। 
    बाढ़ और भूकंप जैसी आपदा बिहार के लिए आम है। यदि इससे होने वाले नुकसान को कम से कम करना है तो जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसकी जानकारी हो। अगलगी की घटनाएं राज्य में आम हैं।
     हर साल बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान होता है। यह मानव जनित आपदा है। इसके नुकसान को कम से कम करने के लिए स्थानीय स्तर पर किए गए उपाय ज्यादा कारगर होंगे।
राज्य सरकार प्राकृतिक आपदा और मानव जनित हादसों के नुकसान को कम करने के लिए लोगों को प्रशिक्षित करने की योजना पर काम कर रही है। साथ ही हादसों से प्रभावित लोगों को सरकारी स्तर पर दी जाने वाली सहायता के प्रति भी सरकार ने संवेदनशीलता दिखाई है। जैसा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पहले बाढ़ पीडि़तों की सूची काफी विलंब से बनती थी। इस साल आई बाढ़ से प्रभावित 38 लाख परिवार को छह-छह हजार रुपये तत्काल दे दिए गए। किसी हादसे में मारे गए व्यक्ति के परिजन को पांच घंटे के अंदर चार लाख रुपये का अनुग्र्रह अनुदान दे दिया जाता है। वाकई राज्य सरकार ने इस मोर्चे पर बेहतर कार्य किया है। अन्य प्रदेश के लिए भी यह अनुकरणीय है।
भवनों को भूकंपरोधी बनाने की कवायद भी जारी है। ऊंची इमारतों के लिए यह आवश्यक है कि संरचना भूकंपरोधी हो। जो पुलिस भवन निर्माणाधीन हैं उसके बीच के हिस्से को भी भूकंपरोधी बनाया जा रहा है। आपात स्थिति में इसका उपयोग ऑपरेशन सेंटर के रूप में किया जा सकेगा। बिहार के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां वज्रपात की ज्यादा घटनाएं होती हैं। राज्य में आंध्रप्रदेश में विससित ऐसी तकनीक लाई गई है, जिससे पूर्व में ही वज्रपात की सूचना दी जा सकती है। विशेषकर ग्र्रामीण इलाकों में अगलगी की घटनाओं को कम से कम करने के लिए लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। कई घटनाएं ऐसी जगह हो जाती हैं हां फायर ब्रिगेड की गाड़ी नहीं पहुंच पाती। गांव में धीरे-धीरे पानी के स्रोत तालाब समाप्त होते जा रहे हैं। आपदा से बचाव की जानकारी देते समय स्थानीय संसाधनों के महत्व को भी बताना जरूरी है

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