बजट 2018 : खेती-किसानी पर बजट की महत्वपूर्ण बातें 

कृषि बजट : देश के किसानों की आमदनी बढ़ाकर साल 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य 

- 86 प्रतिशत से ज्यादा किसान छोटे या सीमांत किसान हैं। इनके लिए मार्केट तक पहुंचना आसान नहीं है। इसलिए सरकार इन्हें ध्यान -रखकर इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करेगी। 
- भारत एक कृषि प्रधान देश है। ऐसे में हमें हमारे जिलों में क्लस्टर बेस्ड डिवेलपमेंट मॉडल तैयार करने की आवश्यकता है। 
- देश के किसानों के अथक परिश्रम का परिणाम है। 
- लगभग 300 मिलियन टन फलों और सब्जियों का रेकॉर्ड उत्पादन हुआ है। 
- ई-नैम को भी हमने किसानों को तहत जोड़ा है। ताकि किसानों को जहां ज्यादा मूल्य मिलती है। 
- 585 APMC को ई-नैम के जरिए जोड़ा जाएगा। यह काम मार्च 2019 तक ही खत्म हो जाएगा। 
- जितने गांव हैं उनको कृषि के बाजारों के साथ बढ़िया सड़क मार्गों से जोड़ने की योजना है। 
- हर जिले में क्लस्टर मॉडल पर विकसित करने की आवश्यकता है। 

- ऐसे पौधे जिनका दवाइयों में इस्तेमाल होता हो उनका भी सरकार उत्पादन बढ़ाने के लिए बढ़ावा देगी। 
- जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए सरकार पूरा प्रयास कर रही है। 
- टमाटर, आलू, प्याज का इस्तेमाल मौसम के आधार पर होता है, सालभर। ऑपरेश ग्रीन लॉन्च की जाएगी, ऑपरेशन फ्लड की तौर पर। 500 करोड़ रुपये इसके लिए रखे जाएंगे। 
- क्रेडिट कार्ड मछुआरों और पशुपालकों को भी मिलेगा। 
- 42 मेगा फूड पार्क बनेगा। 
- मछली पालन और पशुपालन के लिए 10 हजार करोड़ रुपये रखे जा रहे हैं। 
बांस की पैदावार बढ़ाने के लिए 
- किसान कृषि लोन की सुविधा से वंचित रह जाते हैं, ये बंटाईदार होते हैं, जिनको बाजार से कर्ज लेना पड़ता है। नीति आयोग ऐसी व्यवस्था बना रहा है कि ऐसे किसानों को कर्ज लेने में सुविधा मिले। 

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