देश के दो-तिहाई हिस्से में जलवायु परिवर्तन से लड़ने की क्षमता नहीं बची है

A recent survey has highlighted that 2/3rd indian area not in position to withstand changing climate dynamics

जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. लेकिन, भारत में हुए एक हालिया शोध के नतीजों ने इस मामले में और ज्यादा चिंता बढ़ा दी है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के इस शोध के मुताबिक देश का दो तिहाई हिस्से में जलवायु परिवर्तन से पैदा होने वाली समस्याओं से निपटने की क्षमता ही नहीं है. इसके अनुसार देश की 22 नदी घाटियों में से केवल छह के पारिस्थितिकीय तंत्र में ही जलवायु परिवर्तन, खासतौर पर सूखे का सामना करने की क्षमता बची है

  • शोधकर्ताओं के मुताबिक 22 में से जिन महज छह नदी घाटियों के पारिस्थितिकीय तंत्र में सूखे को सहन करने की क्षमता पाई गई है, उनमें ब्रह्मपुत्र, सिंधु, पेन्नार, लूनी, कच्छ एवं सौराष्ट्र की पश्चिम में बहने वाली नदियां कृष्णा और कावेरी के बीच स्थित पूर्व की ओर बहने वाली नदियां शामिल हैं
  • अध्ययन से यह भी स्पष्ट हुआ है कि सदाबहार वन क्षेत्रों के पारिस्थितिकीय तंत्रों में जलवायु परिवर्तन के खतरों के मुताबिक बदलाव करने की अधिक क्षमता होती है. शोधकर्ताओं ने ब्रह्मपुत्र घाटी के वन-क्षेत्र समेत पूर्वोत्तर भारत के अन्य क्षेत्रों के पारिस्थितिकीय तंत्र से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है. हालांकि, पश्चिमी घाट और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में जंगलों को जलवायु परिवर्तन के लिहाज से संवेदनशील पाया गया है. शोध से यह भी पता लगा है कि गंगा के किनारे के सबसे ज्यादा आबादी वाले वाले वे इलाके जो खेती के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं, जलवायु परिवर्तन के लिहाज से बेहद कमजोर हैं.

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