दिल जीतने की कला है समानुभूति (Empathy)

This article describes meaning of empathy.  Emathy is not sympahy but more than that.

#Dainik_Tribune

व्यस्त जीवन में संवेदनाएं लुप्त हो रही हैं, एक-दूसरे के प्रति आत्मीयता कम होती जा रही है। यही कारण है कि अब लोगों में बीमारियां, चिंताएं और तनाव अधिक देखने को मिलते हैं। जब व्यक्ति की मानवीय संवेदनाएं और आत्मीयता कम हो जाती है तो वहां पर नकारात्मक विचारों का समावेश होने लगता है, जो संबंधों से लेकर तन-मन को पूरी तरह प्रभावित करता है। हालांकि आज भी वे लोग ही ज्यादा कामयाब होते हैं जो मानवीय गुणों से न केवल ओतप्रोत होते हैं बल्कि दूसरों के प्रति आत्मीय भी होते हैं।

  • वे व्यक्ति जो दूसरों के प्रति समानुभूति रखते हैं, हर स्थान पर सफल होते हैं।
  • What is Empathy? समानुभूति का अर्थ है किसी दूसरे की दुखद स्थिति को वास्तव में ऐसे महसूस करना जैसे कि वह आपके साथ घटित हो रही हो। जब व्यक्ति के अंदर समानुभूति के भाव उत्पन्न होते हैं तो वे दूसरे व्यक्ति की खुले हृदय से मदद करते हैं और उनके साथ खड़े रहते हैं। समानुभूति कोई योग्यता नहीं है, अपितु यह तो चारित्रिक गुण है। जब इस चारित्रिक गुण का उपयोग पूरी ईमानदारी से किया जाता है तो व्यक्ति को अविश्वसनीय परिणाम मिलते हैं। समानुभूति रखने वाले नियोक्ता अपने कर्मचारियों का दिल जीत लेते हैं। समानुभूति का अनुभव करने वाले नेता जन-जन को अपना दीवाना बना लेते हैं। समानुभूति के भाव रखने वाले व्यक्ति बच्चों और वृद्धों पर अनूठी छाप छोड़ते हैं।

मनुष्य तो क्या पशु-पक्षी भी ऐसे ही व्यक्तियों और प्राणी को पसंद करते हैं, जो उनके प्रति सच्ची संवेदना, प्रेम और करुणा प्रदर्शित करते हैं। समानुभूति जैसे चारित्रिक गुण को प्रत्येक व्यक्ति अपने अंदर विकसित कर सकता है। इसके लिए हम परिस्थितियों, स्थितियों और बातचीत को केवल इस दृष्टिकोण से न देखें कि वे हमें किस प्रकार प्रभावित करती हैं, अपितु दूसरों के दृष्टिकोण से भी महसूस करें कि उन्हें वे परिस्थितियां कैसी लगती हैं?

  • समानुभूति स्वयं के बजाय दूसरों पर ध्यान केंद्रित करने का सार है। जो भी व्यक्ति समानुभूति के साथ पेश आता है वह दुनिया पर अपनी अद‍्भुत छाप छोड़ देता है

Example

ब्रिटिश राजनयिक दानी सेसिल रोड्स, जिनके धन से प्रसिद्ध रोड्स छात्रवृत्ति आरंभ की गई थी, वे सही पोशक के पाबंद थे। एक दिन उन्होंने एक युवक को खाने पर आमंत्रित किया। उस युवक को ट्रेन के लेट होने के कारण वहां पहुंचने में देर हो गई। युवक के पास इतना समय नहीं था कि वह घर जाकर कपड़े बदल पाता। वह धूल से सने कपड़ों में ही रोड्स के घर पहुंच गया। वहां पहुंचने के बाद युवक ने देखा कि अन्य अतिथि ईवनिंग ड्रेस में और बेहद सजे-धजे थे। यह देखकर युवक को बेहद ग्लानि महसूस हुई। कुछ देर बाद रोड्स भी अपने मेहमानों से मिलने पहुंच गए। अतिथिगण बेहद हैरान हुए क्योंकि जो रोड्स सही पोशाक पहनने के हिमायती थे, वे उस दिन कोई पुराना-सा सूट पहने हुए ही पार्टी में पहुंच गए। युवक ने जब रोड्स को पुराने सूट में देखा तो उसे थोड़ी राहत महसूस हुई। बाद मंे जब युवक को यह ज्ञात हुआ कि उस दिन रोड्स ने भी बहुत सुंदर ईवनिंग ड्रेस ही पहनी हुई थी लेकिन युवक के गंदे कपड़ों को देखकर वे वापस गए और उन्होंने अपनी महंगी ईवनिंग ड्रेस उतारकर पुरानी ड्रेस पहन ली ताकि युवक को आत्मग्लानि न महसूस हो। यह जानकर तो युवक उनके प्रति श्रद्धा से अभिभूत हो गया। रोड्स के अंदर समानुभूति के भाव थे। उन्हें इस बात का अहसास था कि वे केवल अपने शब्दों से इसे व्यक्त नहीं कर सकते, इसलिए उन्होंने काम करके ऐसा किया। समानुभूति के कारण ही रोड्स आम लोगों में बेहद प्रिय थे।

स्टीफ़न कवी ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘द सेवन हैबिट्स ऑफ हाइली इफेक्टिव पीपुल’ में लिखा है कि पहले समझने की कोशिश करें, फिर समझे जाने की। दूसरों की सच्ची परवाह करके आप अनेक अच्छे मित्र बना लेंगे और लोग आपसे जुड़ने के लिए बेताब रहेंगे।

दूसरों के दृष्टिकोण से हर परिस्थिति को देखना और दूसरों पर सचमुच ध्यान देना न केवल बातचीत एवं संप्रेषण का प्रभावशाली गुण है, बल्कि यह गुण हर व्यक्ति को चुंबक की तरह तेजी से अपने करीब खींच लेता है। समानुभूति रखने वाला व्यक्ति न केवल अपने जीवन में अच्छे मित्र बना लेता है अपितु परेशानी के समय भी अकेला नहीं होता। यदि आपके अंदर समानुभति का अभाव है तो आज से ही इसके लिए स्वयं को प्रशिक्षित करना आरंभ कर दीजिए। इसके लिए आप शुरुआत निम्न तीन बातों से कर सकते हैं : सामने वाले का नाम याद रखें और दोबारा मिलने पर उन्हें नाम के साथ पुकारें। संदेशों का जवाब जल्दी दें। यदि आप संदेश का जवाब देने में देरी करते हैं तो दूसरा व्यक्ति समझ जाता है कि आपको उसमें दिलचस्पी नहीं है। सामने वाले के लिए जो महत्वपूर्ण है, उसे अपने लिए भी महत्वपूर्ण बना लें। प्रारंभ में ऐसा करने से आपके अंदर समानुभूति के भाव उत्पन्न होने लगेंगे और फिर ये भाव आपके हृदय में पूरी तरह विकसित हो जाएंगे।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download