सीमित निष्कर्ष : World Bank Ranking

#Business_Standard

विश्व बैंक की वर्ष 2018 की कारोबारी सुगमता संबंधी वैश्विक रैंकिंग में भारत 30 स्थान की उछाल के साथ अब 100वें स्थान पर आ गया है। वह उन 10 देशों में शामिल है जिन्होंने सबसे ज्यादा सुधार किया है।

  • गत वर्ष अपेक्षाकृत धीमी शुरुआत के बाद हमने महज एक स्थान का सुधार किया था। लेकिन अब शायद सरकार की कोशिशें रंग ला रही हैं।
  • यह बात ध्यान देने लायक है कि ऐसे सूचकांक, खासतौर पर इस सूचकांक की चाहे जो भी सीमा हो, लेकिन वे वैश्विक निवेशकों के निर्णय को प्रभावित करते हैं। इसलिए सरकार का भारत की रैंकिंग सुधारने पर ध्यान देने का निर्णय उचित है। इसके सकारात्मक परिणाम भी नजर आ रहे हैं।
  • विश्व बैंक के मुताबिक करों का ऑनलाइन भुगतान आसान होना, किसी निर्माण अनुमति के लिए भवन योजना को पहले जमा करने की संभावना, पैन और टैन (स्थायी खाता संख्या और कर खाता संख्या) के साथ एक नया कारोबारी ढांचा और भविष्य निधि और सरकारी बीमा निस्तारण के लिए लगने वाले समय में कमी भारत के प्रदर्शन में इस सुधार की सबसे बड़ी वजह हैं।
  • विश्व बैंक की रिपोर्ट में दिवालिया कानून के प्रवर्तन का भी जिक्र किया गया है। इसके अलावा मुंबई में न्हावा शेवा बंदरगाह में बुनियादी सुविधाओं को उन्नत बनाए जाने का भी इसमें उल्लेख है।
  • रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ आयातक फिलहाल वस्तुओं के लिए ऑनलाइन मंचों का लाभ ले सकते हैं। हालांकि इस बीच कई ऐसी बातें हैं जिनको लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है। विश्व बैंक का कारोबारी सूचकांक अतीत में आलोचना का पात्र रहा है क्योंकि इसका ध्यान बहुत सीमित क्षेत्रों पर रहता है। इसके मूल्यांकन में विशेषज्ञों का साक्षात्कार, दिल्ली और मुंबई में कारोबार संबंधी विशिष्टï कठिनाइयां शामिल हैं। अन्य पहलू मसलन कर और दिवालिया कानून का भी परीक्षण किया गया है। भारत ने अल्पांश हिस्सेदारी रखने वालों के हित में पहले भी मजबूत उपाय कर रखे हैं लेकिन सूचकांक के अन्य पहलुओं पर काम करना जरूरी है। देश के दोनों बड़े शहरों दिल्ली और मुंबई में बिजली का कनेक्शन लेने में जो कागजी कार्रवाई होती रही है उसमें भी हाल के वर्षों में सुधार देखने को मिले हैं।

यह बात ध्यान देने लायक है कि ये सुधार तो अपने आप में महत्त्वपूर्ण हैं लेकिन अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। निश्चित रूप से कर अनुपालन और भुगतान करना आसान होने की बात लोगों को चकित करेगी क्योंकि जीएसटी के क्रियान्वयन और उसकी दिक्कतों को लेकर कई तरह के असंतोष हैं। इसमें बदलाव भी हो रहे हैं। विश्व बैंक की रैंकिंग में जीएसटी को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि यह आकलन अवधि में लागू ही नहीं हुआ था। बहरहाल, यह एक उदाहरण है जो बताता है कि किस तरह यह रैंकिंग वास्तविक आंकड़ों से अलहदा है।

नीति आयोग का भारतीय राज्यों में कारोबारी सुगमता संबंधी अपना अनुमान हाल ही में जारी हुआ था। वह बताता है कि देश के अलग-अलग राज्यों में इस संबंध में कितना अंतर है और भारतीय कारोबारों को किस तरह की कारोबारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

सरकार को विश्व बैंक की रैंकिंग में सुधार पर काम करने का श्रेय मिलना चाहिए परंतु विश्व बैंक स्वयं कह चुका है कि रैंकिंग का आकलन करते वक्त सभी कारोबारी पहलुओं का ध्यान नहीं रखा गया है। ऐसे में एक ओर जहां यह रैंकिंग उचित दृष्टिï प्रदान करती है वहीं काफी संभावना है कि यह जमीनी हकीकत से दूर भी हो।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download