भारत के लिए मिथनोल अर्थव्यवस्थाः ऊर्जा सुरक्षा, मेक इन इंडिया तथा शून्य कार्बन प्रभाव


भारत में मेथनोल अर्थव्यवस्था पर नोट इस प्रकार हैः
    भारत को वर्तमान में प्रतिवर्ष 2900 करोड़ लीटर पेट्रोल और 9000 करोड़ लीटर डीजल की आवश्‍यकता है, भारत विश्‍व में छठा बड़ा उपभोक्‍ता है यह खपत वर्ष 2030 तक दोगुनी हो जाएगी और भारत तीसरा बड़ा उपभोक्‍ता बन जाएगा। कच्चे तेल के लिए हमारा आयात बिल लगभग 6 लाख करोड़ रुपये है।
    हाइड्रोकार्बन ईंधन ने ग्रीन हाउस गैस उत्‍सर्जन (जीएचजी) सहित पर्यावरण को भी विपरीत रूप से प्रभावित किया है। भारत विश्‍व में तीसरा बड़ा ऊर्जा संबंधी कार्बन डाइ आक्‍साइड उत्‍सर्जक देश है। दिल्‍ली जैसे शहरों में लगभग 30%प्रदूषण ऑटोमोबाइल से है और सड़कों पर ऑटोमोबाइलों की बढ़ती संख्‍या प्रदूषण को और विकृत कर रही है। यह अवश्‍य ध्यान दिया जाना चाहिए कि हाल की स्‍थिति गंभीर है और अब सरकार के लिए देश में शहरी प्रदूषण को कम करने के लिए विस्‍तृत योजना (रोड मैप) प्रस्‍तुत करने और प्रदूषण संबंधी मौतों को पूरी तरह से रोकने का समय आ गया है।
मेथनोल ही क्‍यों?
    मेथनोल ईंधन में विशुद्ध ज्‍वलन कण है जो परिवहन में पेट्रोल और डीजल दोनों का और रसोई ईंधन में एलपीजी, लकड़ी, मिट्टी तेल का स्थान ले सकता है। यह रेलवे, समुद्री क्षेत्र, जेनसेट्स, पावर जेनरेशन में डीजल को भी प्रतिस्‍थापित कर सकता है और मेथनोल आधारित संशोधक हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए आदर्श पूरक हो सकते हैं। मेथनोल अर्थव्‍यवस्‍था संपूर्ण ‘हाइड्राजेन आधारित ईंधन प्रणालियों’ के सपने के लिए ‘सेतु’ है।
    मेथनोल सभी आंतरिक दहन ईंजनों में प्रभावशाली रूप से जलती है, कोई पार्टिकुलेट मैटर नहीं पैदा करती, कोई कालिख नहीं होती, लगभग शून्‍य एसओएक्‍स और एनओएक्‍स उत्‍सर्जन (लगभग शून्‍य प्रदूषण) होता है। मेथनोल का गैसीय रूप-डीएमई को एलपीजी के साथ मिलाया जा सकता है और यह बड़ी बसों और ट्रकों में डीजल के लिए बेहतर पर्याय हो सकता है।
    पेट्रोल में मेथनोल 15 (एम 15) प्रदूषण को 33% तक कम करेगा और मेथनोल द्वारा डीजल प्रतिस्‍थान 80% से अधिक प्रदूषण कम करेगा।
    मेथनोल को प्राकृतिक गैस, इंडियन हाई ऐश कोल, बायो-मास, एमएसडब्‍ल्‍यू,  स्‍ट्रैंडेड और फ्लेर्ड गैसों से बनाया जा सकता है और भारतीय कोयले और सभी अन्‍य फीडस्‍टोक से 19 रु. प्रति लीटर की दर से मेथनोल के उत्‍पादन (उचित प्रौद्योगिकी संयोजन के माध्‍यम से) को प्राप्‍त किया जा सकता है। विश्‍व का बेहतर हिस्‍सा कार्बन डाइआक्‍साइड से नवीकरणीय मेथनोल की दिशा में पहले ही जा रहा है और कार्बन डाइआक्‍साइड से मेथनोल का निरंतर रीसाइकिलिंग अर्थात स्‍टील प्‍लांटों से उत्‍सर्जित कार्बन डाइआक्‍साइड, जियोथर्मल एनर्जी अथवा कार्बन डाइआक्‍साइड का कोई अन्‍य स्रोत, प्रभावी रूप से ‘हवा से मेथनोल’।


मेथनोल के लिए विश्‍व परिदृश्‍य:


    पिछले कुछ वर्षों के दौरान, ईंधन के रूप में मेथनोल और डीएमई का उपयोग काफी बढ़ा है। मेथनोल मांग काफी रूप से सालाना 6 से 8% तक बढ़ रही है। विश्‍व ने मेथनोल की 120 एमटी की क्षमता संस्‍थापित की है और यह वर्ष 2025 तक लगभग 200 एमटी हो जाएगी। 
    वर्तमान में मेथनोल चीन में परिवहन ईंधन का लगभग 9 प्रतिशत है। चीन ने लाखों वाहनों को मेथनोल पर चलने के लिए बदला है। अकेला चीन विश्‍व मेथनोल का 65 प्रतिशत का उत्‍पादन करता है और वह मेथनोल पैदा करने के लिए अपने कोयले का इस्‍तेमाल करता है। इजरायल, इटली ने पेट्रोल के साथ मेथनोल के 15 प्रतिशत के मिश्रण कार्यक्रम को अपनाया है और यह तेजी से एम 85 और एम 100 की ओर बढ़ रहा है। जापान, कोरिया मेथनोल और डीएमई का काफी उपयोग कर रहे हैं और आस्‍ट्रेलिया ने जीईएम ईंधन (गैसोलीन, एथेनॉल और मेथनोल अपानाया है और लगभग 56 प्रतिशत मेथनोल को मिश्रित करते हैं। मेथनोल विश्‍व भर में समुद्री क्षेत्र में ईंधन की पसंद बन गया है और स्‍वीडन जैसे देश इसके उपयोग में सबसे आगे हैं। 1500 से ज्यादा लोगों को ढोने वाले बड़े यात्री जहाज पहले ही 100 प्रतिशत मेथनोल पर चल रहे हैं। 11 अफ्रीकी और कई कैरेबियन देशों ने मेथनोल रसोई ईंधन को अपनाया है और पूरे विश्‍व में जेनसेट और औद्योगिक बॉयलर डीजल की बजाए मेथनोल पर चल रहे हैं।
    वातावरण से कार्बन डाईआक्‍साइड से वापस पकड़कर नवीकरणीय मेथनोल काफी प्रसिद्ध हो रहा है और विश्‍व द्वारा इसे ‘मानवता के लिए जाने जाना वाला स्‍थायी ईंधन समाधान’ के रूप में देखा जाता है। विश्‍व भर में शहरी जनसंख्‍या की ज्‍वलन समस्‍या के लिए मेथनोल एक महत्‍वपूर्ण समाधान है। 
भारत क्‍या कर सकता है?
    भारत ने 2 एमटी प्रतिवर्ष की मेथनोल उत्‍पादन क्षमता संस्‍थापित की है। नीति आयोग द्वारा तैयार की गई योजना के अनुसार इंडियन हाई ऐश कोल, स्‍ट्रैंडेड गैस और बायो-मास का उपयोग करके वर्ष 2025 तक वार्षिक रूप से 20 एमटी मेथनोल का उत्‍पादन कर सकता है। भारत में जिसके पास 125 बिलियन टन का प्रमाणित कोल रिजर्व है और जो प्रतिवर्ष 500 मिलियन टन बायो-मास पैदा करता है और जिसके पास स्‍ट्रैंडेड और फ्लेर्ड गैसों की बहुत अधिक मात्रा है,वैकल्‍पिक फीडस्‍टोक और ईंधनों के आधार पर ईंधन सुरक्षा सुनिश्‍चित करने की बहुत अधिक संभावना है।
    नीति आयोग ने वर्ष 2030 तक अकेले मेथनोल द्वारा 10 प्रतिशत कच्चे तेल के आयात के प्रतिस्थापन के लिए एक योजना (रोड मैप) तैयार की है। इसके लिए लगभग 30 एमटी मेथनोल की आवश्‍यकता होगी। मेथनोल और डीएमई पेट्रोल और डीजल से काफी हद तक सस्‍ते हैं और भारत वर्ष 2030 तक अपना ईंधन बिल 30 प्रतिशत तक कम करने की ओर देख सकता है।


मेथनोल अर्थव्‍यवस्‍था के लिए नीति आयोग की योजना (रोड मैप) में निम्‍नलिखित शामिल हैं:-


    देशी प्रौद्योगिकी से इंडियन हाई ऐश कोल से बड़ी मात्रा में मेथनोल का उत्‍पादन और क्षेत्रीय उत्‍पादन कार्य-नीतियों को अपनाना और बड़ी मात्रा में 19 रुपये प्रति लीटर की दर से मेथनोल का उत्‍पादन। भारत कोयले के उपयोग को पूर्णत: पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए और सीओपी 21 के प्रति हमारी प्रतिबद्धताओं के लिए कार्बन डाइआक्‍साइड को पकड़ने की प्रौद्योगिकी को अपनाएगा।
    मेथनोल उत्‍पादन के लिए बायो-मास, स्‍ट्रैंडेड गैस और एमएसडब्‍ल्‍यू। लगभग 40% मेथनोल उत्‍पादन इन फीडस्‍टोकों से हो सकता है। 
    मेथनोल और डीएमई का परिवहन - रेल, सड़क, समुद्री और रक्षा में मेथनोल का उपयोग। औद्योगिक बॉयलर, डीजल जेनसेट्स और पावर जेनरेशन और मोबाइल टावर अन्‍य अनुप्रयोग हैं।
    मेथनोल और डीएमई का घरेलू रसोई ईंधन – रसोई स्टोव के रूप में उपयोग। एलपीजी = डीएमई मिश्रण कार्यक्रम।
    मैरीन, जेनसेट्स और परिवहन में फ्यूल सेल एप्‍लीकेशंस में मेथनोल का उपयोग।
 

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download