- वर्ष 2013 में वैज्ञानिक प्रकाशन के मामले में भारत विश्व में छठे स्थान पर था।
- इस रैंकिंग में लगातार सुधार हो रहा है। 2009-14 के बीच वार्षिक प्रकाशन की वृद्धि दर लगभग 14 प्रतिशत रही थी। एससीओपीयूएस डाटाबेस के अनुसार, इससे 2009 से 2014 के बीच वैश्विक प्रकाशनों में भारत की हिस्सेदारी 3.1 प्रतिशत से बढ़कर 4.4 प्रतिशत हो गई।
- मोटे तौर पर प्रकाशन के रुझान से स्पष्ट होता है कि प्रकाशनों की संख्या के मामले में भारत के प्रदर्शन का स्तर क्रमिक रूप से सुधर रहा है।
- भारत की घरेलू पेटेंट प्रणाली एक बड़ी चुनौती रही है। भले ही दूसरे देशों में भारत के पेटेंट आवेदन और स्वीकृतियों की संख्या तेजी से बढ़ी है, लेकिन देश में यह स्थिति नहीं है। भारत के 2005 में अंतरराष्ट्रीय पेटेंट व्यवस्था से जुड़ने के बाद क्षेत्रीय आवेदनों की संख्या तेजी से बढ़ी है। हालांकि 2008 के बाद स्वीकृत पेटेंट की संख्या तेजी से घटी है और इनका स्तर कम बना हुआ है। जहां 2015 में विदेशी कार्यालयों में भारतीय नागरिकों के 5000 पेटेंट को स्वीकृति मिली, वहीं भारत में फाइल करने वाले नागरिकों की संख्या 800 से कुछ ज्यादा रही।