समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) अम्‍ब्रेला स्‍कीम के अंतर्गत उपयोजनाओं को जारी रखने की मंजूरी


आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने समेकित बाल विकास (आईसीडीएस) अम्‍ब्रेला स्‍कीम के अंतर्गत उपयोजनाओं अर्थात आंगनवाडी सेवा, किशोर स्‍कीम, बाल संरक्षण सेवा तथा राष्‍ट्रीय शिशु गृह योजना को 01 अप्रैल 2017 से 30 नवंबर 2018 तक जारी रखने के लिए 41 हजार करोड़ रुपये से अधिक परिव्‍यय के साथ अनुमोदन प्रदान किया है। ये उपयोजनाएं समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) अम्‍ब्रेला स्‍कीम के अंतर्गत उपयोजनाएं हैं: 
विशेषताएं: 
·            अनुमोदित योजनाओ के नाम निम्नवत हैं: 
        I.   आंगनवाड़ी सेवा
       II.   किशोरी योजना
      III.   बाल संरक्षण सेवा
      IV.   राष्‍ट्रीय शिशुगृह योजना 
·         मंत्रिमंडल ने निम्‍नलिखित की मंजूरी भी दी है। 
        I.    11-14 आयु वर्ग के स्‍कूल बाह्य लड़कियों के लिए किशोरी योजना का कार्यान्‍वयन तथा इसका चरणबद्ध विस्‍तार
       II.    और 11-14 आयु वर्ग के स्‍कूल बाह्य लड़कियों के लिए चल रही किशोरी शक्ति योजना का चरणबद्ध तरीके से समापन। 
·         सभी राज्‍यों तथा विधानमंडल वाले संघ राज्‍य क्षेत्रों के लिए 60-40 एनईआर तथा हिमालयन राज्‍यों के लिए 90:10 और विधानमंडल रहित संघ राज्‍य क्षेत्रों के लिए 100 प्रतिशत के रूप में केन्‍द्र और राज्‍यों के बीच संशोधित लागत भागीदारी के साथ राष्‍ट्रीय शिशु गृह योजना का केन्‍द्रीय क्षेत्र की योजना से केन्‍द्र प्रयोजित योजना के रूप में परिवर्तन तथा विद्यमान कार्यान्‍वयन एजेंसियों के बजाय राज्‍यों/संघ क्षेत्रों के माध्‍यम से योजना का कार्यान्‍यवन। 
प्रभाव: 
उपयुक्‍त उप-योजनाएं कोई नई योजनाएं नहीं है पिछले पंचवर्षीय योजनाओं से चल रही है उपायों के माध्यम से यह कार्यक्रम कुपोषण, रक्ताल्पता तथा जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों की संख्या कम करने, किशोरियों का सशक्तिकरण सुनिश्चित करने, कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों का संरक्षण प्रदान करने कामकाजी माताओं के बच्चों को देख रेख हेतु सुरक्षित स्थान प्रदान करने तालमेल स्थापित करने, बेहतर निगरानी सुनिश्चित करने, समय पर कार्यवाही के लिए नकारात्मक अलर्ट जारी करने राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को बेहतर निष्पादन के लिए प्रोत्साहित करने, निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने तथा अधिक पारदर्शिता लाने हेतु संबोधित मंत्रालय एवं राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों का मार्गदर्शन करने एवं पर्यवेक्षण करने का प्रयास करेगा। 
लाभार्थी: 
इस स्‍कीम के अंतर्गत 11 करोड़ से अधिक बच्‍चों, गर्भवती महिलाओं, स्‍तनपान कराने वाली माताओं के अतिरिक्‍त किशोर युवतियों को भी लाभ प्रदान किया जाएगा। 
कार्यान्वन रणनीति और लक्ष्य: 
आंगनवाड़ी सेवा (आईसीडीएस) और बाल संरक्षण सेवा पूरे देश में पहले से ही चल रही है किशोरी योजना का चरणबद्ध ढंग से विस्तार किया जाएगा। राष्ट्रीय शिशु गृह स्कीम को 23555 शिशु गृहों क्रियान्‍वयन जारी रहेगा। राष्ट्रीय पोषण मिशन के अनुमोदन के लिए अलग से प्राप्त किया जाएगा। 
शामिल राज्‍य/जिले: 
जैसा कि ऊपर बताया गया है आंगनवाडी सेवा (आईसीडीएस) और बाल संरक्षण सेवा पूरे देश में पहले से ही चल रही है। राष्‍ट्रीय पोषण मिशन की चरणबद्ध ढंग से शुरूआत की जाएगी। इसी तरह किशोरी योजना का भी चरणबद्ध ढंग से विस्‍तार किया जाएगा। 
पृष्‍ठभूमि 
सरकार ने इन चल रही परियोजनाओं का वित्तीय वर्ष 2016-17 में युक्तिकरण कर दिया है और इन्हें अम्ब्रेला स्कीम आईसीडीएस में इसकी उपयोजनाओं के रूप में शामिल कर लिया गया है लक्षित लाभार्थियों तक बच्चो सम्बन्धी सेवाओं की सुपुर्दगी के लिए इन उप-योजनाओं को जारी रखने की जरूरत है। इन योजनाओं के लक्ष्य निम्नलिखित हैं: 
क.         आंगनवाडी सेवा (आईसीडीएस) का उद्देश्‍य छह साल से कम आयु के बच्‍चों का समग्र विकास करना है तथा इस आयु वर्ग के बच्‍चे और गर्भवती महिलाएं एवं धात्री माताएं इसके लाभार्थी हैं। 
ख.         किशोरी योजना का उद्देश्‍य किशोरियों को सुगमता प्रदान करना, शिक्षित करना और सशक्‍त बनाना है ताकि पोषण एवं स्‍वास्‍थ्‍य स्‍तर में सुधार के माध्‍यम से वे आत्‍मनिर्भर एवं जागरूक नागरिक बन सकें। स्‍वास्‍थ्‍य, स्‍वच्‍छता, पोषण के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना, स्‍कूल बाहय किशारियों को औपचारिक/अनौपचारिक शिक्षा में शा‍मिल करना तथा विद्यमान सरकारी सेवाओं के बारे में सूचना/मार्गदर्शन प्रदान करना भी इसके उद्देश्‍यों में शामिल हैं। 
ग.          बाल संरक्षण सेवा का उद्देश्य कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों के साथ देखरेख एवं संरक्षण के जरूरतमंद बच्चों के लिए सुरक्षित एवं निरापद परिवेश प्रदान करना सामाजिक संरक्षण में व्यापक उपायों के माध्यम से असुरक्षिता घटाना, बच्चों के दुरुपयोग, उपेक्षा, शोषण, परित्याग तथा परिवार आदि से अलगाव का मार्ग प्रशस्त करने वाली कार्यवाहियों को रोकना, गैर संस्थानिक देखरेख पर बल देना, सरकार एवं सभ्य समाज के बीच साझेदारी के लिए एक मंच विकसित करना तथा बाल संबद्ध सामाजिक संरक्षण सेवाओं में तालमेल स्थापित करना है। 
घ.          राष्ट्रीय शिशु गृह योजना का उद्देश्य माताओं के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करना है ताकि काम पर होने के दौरान वे अपने बच्चों को सुरक्षित छोड़ सके और इस प्रकार यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम होगा, क्योंकि यह उन को रोजगार देने में समर्थ बनाता है।  साथ ही यह 6 माह से 6 साल तक के बच्चों के संरक्षण और विकास की दिशा में भी एक पहल है।
 

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