मंत्रिमंडल ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधीन स्वायत्तशासी निकायो को युक्तिसंगत बनाने का मंजूरी दी


     मंत्रिमंडल ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधीन स्वायत्तशासी निकायो को युक्तिसंगत बनाने को मंजूरी दी। इन निकायों में राष्ट्रीय आरोग्य निधि (आरएएन) और जनसंख्या स्थिरता कोष (जेएसके) शामिल हैं। इनके कामकाज को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तहत करने का भी प्रस्ताव है।
     स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधीन स्वायत्तशासी निकायों को युक्तिसंगत बनाने में अंतर-मंत्रालयी परामर्श तथा इन निकायों के मौजूदा उप-नियमों की समीक्षा शामिल है।
राष्ट्रीय आरोग्य निधि
     राष्ट्रीय आरोग्य निधि का गठन एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में किया गया था, ताकि केन्द्रीय सरकारी अस्पतालों में उपचार कराने वाले निर्धन मरीजों को वित्तीय चिकित्सा सहायता दी जा सके। अग्रिम धन राशि इन अस्पतालों को चिकित्सा निरीक्षकों को दी जाएगी, जो हर मामले को देखते हुए सहायता प्रदान करेंगे। चूंकि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग अस्पतालों को धनराशि प्रदान करता है इसलिए विभाग द्वारा अस्पतालों को सीधे अनुदान दिया जा सकता है। इस तरह आरएएन का कामकाज स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधीन लाया जाएगा। आरएएन, सोसायटी की प्रबंध समिति सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के प्रावधानों के तहत स्वायत्तशासी निकायों को रद्द करने के लिए बैठक करेगा। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री के कैंसर रोगी निधि को भी विभाग को स्थानांतरित कर दिया जाएगा। इसके लिए एक वर्ष का समय रखा गया है।
जनसंख्या स्थिरता कोष
     जनसंख्या स्थिरता कोष वर्ष 2003 में 100 करोड़ रुपये की निधि के साथ स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य जनसंख्या स्थिरीकरण रणनीतियों को प्रति जागरूकता बढ़ाना था। जेएसके लक्षित आबादी के मद्देनजर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करता है। मंत्रालय द्वारा जेएसके का कोई लगातार वित्तपोषण नहीं किया जाता। जनसंख्या स्थिरीकरण रणनीतियों के निजी और कार्पोरेट वित्तपोषण की जरूरत होती है, जो जेएसके के जरिए संभव है। यद्यपि जेएसके जनसंख्या स्थिरीकरण रणनीतियों में अहम भूमिका निभाता रहेगा, लेकिन एक स्वायतशासी निकाय के रूप में उसका अस्तित्व आवश्यक नहीं होगा। इस प्रकार एक स्वायशासी निकाय के रूप में जेएसके को बंद किया जा सकता है क्योंकि निधि के तौर पर उसका कामकाज विभाग द्वारा संभव है।
पृष्‍ठभूमि:
     व्यय प्रबंधन आयोग कि सिफारिशों के आधार पर नीति आयोग ने 19 स्वायतशासी निकायों की समीक्षा की थी। ये सभी निकाय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधीन थे और उन्हें सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत कायम किया गया था। नीति आयोग ने समीक्षा समिति को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें इन निकायों को युक्तिसंगत बनाने की सिफारिशें की गयी हैं। सरकार का मुख्य प्रयास यह है कि स्वायशासी निकायों की समीक्षा की जाए और उन्हें युक्तिसंगत बनाया जाए, ताकि उनके कामकाज, प्रभाव और कार्यकुशलता में सुधार हो, वित्तीय और मानव संसाधनों का उचित इस्तेमाल हो, मौजूदा निति में उनकी प्रासंगिकता एवं प्रशासन में इजीफा हो और उनकी निगरानी उचित तरीके से हो सके। समिति ने आरएएन और जेएसके को बंद करने की तथा उनके कामकाज को मंत्रालय के अधीन लाने की सिफारिश की है
 

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