आईएएस की तैयारी कब शुरू करें

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संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा जिसके माध्यम से IAS, IPS जैसे पदों पर चयन होता है को देश की सबसे प्रतिष्ठित एवं कठिन परीक्षा मानी जाती है। देश के लाखों युवा आईएएस बनने का सपना देखते हैं, परन्तु इस परीक्षा की प्रकृति एवं प्रक्रिया को देखते हुए इसमें सफलता हेतु एक बेहतर रणनीति के साथ अच्छी तैयारी की आवश्यकता होती है। अब प्रश्न उठता है कि आईएएस की तैयारी कब शुरू करें ?

सवाल बस यही उठता है कि यह प्लानिंग और तैयारी शुरू कब कर देनी चाहिए। आखिर आधिकारिक तौर पर इस परीक्षा की तैयारी की कोई समय-सीमा नहीं है। इस बात को लेकर कायम भ्रम तब और बढ़ जाता है,
जब हर साल इस परीक्षा के टॉपर्स अपनी तैयारी संबंधी अलग-अलग बयान देते हैं। एक ओर ऐसे टॉपर हैं, जिन्होंने 10वीं से ही इस परीक्षा के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दिया था। वहीं दूसरी ओर ऐसे लोग भी देखे गए हैं, जिन्होंने ग्रेजुएशन के बाद महज 1 साल तैयारी करके पहले ही प्रयास में बाजी मार ली! ऐसे में अनेक भावी परीक्षार्थी गफलत में पड़ जाते हैं कि वे इनमें से किसका अनुसरण करें, कौन-सी रणनीति अपनाएं!
मोटे तौर पर देखा जाए, तो इस परीक्षा की तैयारी का कालखंड 3 भागों में बांटा जा सकता है:

स्कूल-स्तरीय तैयारी
ऐसे विद्यार्थी, जिनके परिवार में ही एक या अधिक आईएएस अधिकारी हुए हैं, अक्सर स्कूल के समय से ही इसकी तैयारी करना शुरू कर देते हैं। इस अप्रोच के फायदे व नुकसान दोनों हैं। इसमें कोई शक नहीं कि इतनी जल्दी तैयारी शुरू कर देने से एक मजबूत नींव बन जाती है। विद्यार्थी एनसीईआरटी की स्कूली किताबें विस्तार से पढ़ना शुरू कर सकते हैं। ये किताबें आईएएस में सफलता प्राप्ति के लिहाज से किसी धर्मग्रंथ से कम नहीं मानी जातीं। इन्हें पढ़कर आप आईएएस परीक्षा में कवर होने वाले सारे टॉपिक्स को अच्छी तरह जान-समझ सकेंगे।

तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि स्कूल स्तर से ही तैयारी शुरू करने वाले विद्यार्थी जब तक यूपीएससी सिविल सर्विसेज एग्जाम में बैठने की पात्रता पा जाएं, तब तक परीक्षा का पैटर्न, सिलेबस, ट्रैंड्स आदि में बड़े-बड़े बदलाव आ जाने की संभावना रहती है। यदि ऐसा हुआ, तो अब तक की गई लगभग सारी तैयारी बेकार चले जाने का खतरा रहता है। एक और खतरा यह है कि इतने पहले से तैयारी करने के बाद यदि उम्मीदवार पहले एक-दो प्रयास में परीक्षा क्लियर नहीं कर पाए, तो वे थकान और ऊब का शिकार होकर आईएएस का इरादा ही त्याग सकते हैं। मगर फिर वे करेंगे क्या? उन्होंने किसी और विकल्प की तैयारी भी तो नहीं की होती!

ग्रेजुएशन-स्तरीय तैयारी
ग्रेजुएशन की पढ़ाई का समय विद्यार्थी जीवन का सबसे रोमांचक काल माना जाता है। यही आईएएस की तैयारी शुरू करने के लिहाज से भी स्वर्णिम समय कहा जाता है। आम तौर पर ग्रेजुएशन का पहला और दूसरा साल काफी तनावरहित रहता है, जिससे आईएएस की आरंभिक तैयारी अच्छे से की जा सकती है। यह तैयारी सेल्फ स्टडी के रूप में भी की जा सकती है और किसी कोचिंग क्लास के जरिए भी। इस परीक्षा के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता ग्रेजुएशन ही है। इसलिए ग्रेजुएशन पूरा करते ही उम्मीदवार यूपीएससी परीक्षा में बैठ सकते हैं और इस दौरान परीक्षा के पैटर्न में कोई बड़ा बदलाव आने की संभावना भी न के बराबर रहती है।

इस कालखंड में तैयारी शुरू करने से एक फायदा यह भी होता है कि आप डिग्री पाते ही यूपीएससी परीक्षा में अपना पहला प्रयास कर सकते हैं व आपके पास और प्रयासों के लिए पर्याप्त समय भी रहता है और उत्साह भी। आईएएस टॉपर्स में सबसे बड़ी संख्या उन्हीं युवाओं की है, जिन्होंने ग्रेजुएशन के दौरान इस परीक्षा की तैयारी शुरू की थी।
अगर नुकसान की बात की जाए, तो यह स्वीकार करना पड़ेगा कि ग्रेजुएशन की पढ़ाई के साथ-साथ ही आईएएस की पढ़ाई करने से आपके पास एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज के लिए समय नहीं रह पाता, जोकि सीखने की प्रक्रिया का अहम हिस्सा है। सच तो यह है कि महज किताबी कीड़ा बने रहना अंतत: आईएएस परीक्षा में कामयाबी पाने के लिहाज से भी मददगार नहीं होता।


ग्रेजुएशन के बाद
इस समय परीक्षा की तैयारी अक्सर वे शुरू करते हैं, जिन्हें आईएएस में जाने की प्रेरणा जरा देर से मिली हो। कई लोग यह भी कहते हैं कि ग्रेजुएशन कर लेने के बाद आईएएस की तैयारी शुरू करना 'बहुत देर कर दी" का मामला बनता है और ऐसा करने वालों को सफलता नहीं मिल सकती। इसके बावजूद आंकड़े बताते हैं कि ऐसे युवा भी काफी संख्या में सफल होते हैं, जिन्होंने ग्रेजुएशन के बाद आईएएस परीक्षा की तैयारी शुरू की। ये युवा अपनी पूरी ऊर्जा और पूरा समय इसी परीक्षा की तैयारी को दे सकते हैं। ऐसे में उनकी तैयारी ज्यादा फोकस्ड रहती है। फिर, ग्रेजुएशन कर चुके युवा की, अपने विषयों में तो अच्छी नींव डल ही चुकी होती है। यह बात आईएएस परीक्षा में निश्चित ही फायदेमंद साबित होती है।

ये तो हुए आईएएस की तैयारी शुरू करने के तीन कालखंड। मगर कई मामले ऐसे भी देखे गए हैं, जिनमें विद्यार्थियों ने ग्रेजुएशन करने के बाद कोई नौकरी शुरू कर दी और फिर आईएएस में जाने का इरादा कर इसकी परीक्षा दी तथा सफलता भी पाई! इससे स्पष्ट है कि इस परीक्षा की तैयारी शुरू करने का कोई 'सही" समय नहीं होता। दरअसल, 'सही समय' से ज्यादा महत्वपूर्ण है आईएएस क्लियर करने के प्रति आपका समर्पण और प्रतिबद्धता। इस समर्पण, प्रतिबद्धता और कठोर परिश्रम के बल पर ही आप आईएएस अधिकारी बनने का अपना सपना साकार कर सकते हैं।

=>वैसे स्नातक के दौरान तैयारी शुरू करना ज्यादा उचित समय होगा -
- अभ्यर्थी यदि अपनी स्नातक शिक्षा के दौरान ही आईएएस परीक्षा की तैयारी शुरू कर दें तो इस प्रतिष्ठित सेवा में जाने के अपने सपने को आसानी से साकार कर सकते हैं. अभ्यर्थी को स्नातक शिक्षा के दौरान ही सिविल सेवा परीक्षा के पाठ्यक्रम के हिसाब से अध्ययन शुरू कर देना चाहिए। एक योजना और रणनीति के तहत अपने अध्ययन को पूरा करना चाहिए। स्नातक के छात्र के लिय सबसे बड़ा लाभ है कि स्नातक में लिए हुए विषय को ही सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के एक विषय के रूप में ले सकता है। इसलिए स्नातक के दौरान ही उक्त विषय का गंभीर अध्ययन शुरू कर देना चाहिए । उक्त विषय से सम्बंधित विश्वसनीय किताब का अध्ययन लाभदायक होगा। अगर वैकल्पिक विषय की गुणवत्तापूर्ण तैयारी स्नातक के दौरान ही कर ली जाए तो अन्य विषयों जैसे सामान्य अध्ययन आदि पर अधिक समय दिया जा सकेगा. और अभ्यर्थी पर अधिक बोझ नहीं पड़ेगा. और उसके पास तैयारी के लिए पर्याप्त समय रहेगा.

 

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