दूरसंचार नियामक द्वारा नेट न्यूट्रैलिटी का पूरी तरह समर्थन

दूरसंचार नियामक टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने नेट न्यूट्रैलिटी (इंटरनेट की निरपेक्षता) का पूरी तरह समर्थन किया है. एक साल से ज्यादा समय तक विचार-विमर्श करने के बाद ट्राई ने नेट न्यूट्रैलिटी पर अपनी सिफारिशें जारी की हैं.

  • इसके मुताबिक इंटरनेट का इस्तेमाल किसी कॉन्टेंट तक पहुंच में भेदभाव करने पर पूरी तरह पाबंदी लगाने के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए.
  • ट्राई ने इस पर निगरानी रखने के लिए एक बहुपक्षीय संस्था बनाने का सुझाव दिया है. इसमें दूरसंचार और इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनियों के अलावा कॉन्टेंट प्रोवाइडर, नागरिक समाज के संगठन और उपभोक्ताओं के प्रतिनिधि शामिल होने चाहिए.
  • नेट न्यूट्रैलिटी का सिद्धांत इंटरनेट के डेटा को सभी तरह के उपयोग में बराबरी का दर्जा देने पर आधारित है. इसका मतलब है कि इंटरनेट सेवा देने वाली कोई कंपनी किसी खास वेबसाइट या सेवा के लिए इंटरनेट की स्पीड न तो घटा और न ही बढ़ा सकती है.
  •  इसके अलावा इंटरनेट के अलग-अलग इस्तेमाल के लिए अलग-अलग कीमतें भी तय नहीं की जा सकती हैं.
  •  दूरसंचार नियामक ट्राई ने अपनी सिफारिश में कहा है कि दूरसंचार कंपनियों पर किसी संस्था के साथ कॉन्टेंट तक पहुंच के साथ भेदभाव करने वाले समझौते करने पर पाबंदी लगनी चाहिए.
  • ट्राई के मुताबिक दूरसंचार या इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनियों द्वारा किसी सामग्री को रोकना, उसे कमजोर करना, उसकी रफ्तार घटाना या अन्य के मुकाबले किसी सामग्री को ज्यादा तरजीह देना सामग्री के साथ भेदभाव करने के दायरे में आएगा.
  • दूरसंचार नियामक ने इस पाबंदी को सख्ती से लागू करने के लिए कंपनियों की लाइसेंस शर्तों में बदलाव का समर्थन किया है. हालांकि, भारत में ट्राई की सिफारिशें ऐसे समय में आई हैं जब अमेरिका नेट न्यूट्रैलिटी से पीछे हटने की तैयारी कर रहा है. हाल में अमेरिकी नियामक फेडरल कम्यूनिकेशंस कमीशन ने कहा है कि वह 2015 में अपनाए गए नेट न्यूट्रैलिटी के नियमों को वापस लेने की योजना बना रहा है. इस पर दिसंबर में मतदान होना है.

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download