वर्टिकल फार्मिंग में खेती सपाट ज़मीन पर न होकर बहुमंज़िली इमारतों में होती है. इसे एक तरह का बहुमंजिला ग्रीन हाउस भी कहा जा सकता है.
वर्टिकल फार्मिंग कहाँ- कहाँ?
** अमरीका, चीन, मलेशिया और सिंगापुर जैसे दुनिया के कई देशों में पहले से ही वर्टिकल फार्मिंग हो रही है।
- इसमें एक बहुमंजिला इमारत में नियंत्रित स्थितियों में फल-सब्जियां उगाए जाते हैं।
- इमारत की दीवारें कांच की होती हैं और अत्याधुनिक तकनीक से सिंचाई की जाती है।
- कांच की दीवारों के जरिए फसलों को लगातार सूर्य की रोशनी मिलती रहती है।
भारत में हालांकि अभी वर्टिकल फार्मिंग तो नहीं हो रही, लेकिन हाइड्रोपोनिक्स तरीके से पंजाब में आलू उगाया जा रहा है।
वर्टिकल फार्मिंग के फायदे
Ø बड़े पैमाने पर अगर ये होगा तो खाने-पीने के सामान का दाम भी कम हो जाएगा।
Ø साल भर आलू, टमाटर और पत्तेदार सब्जियां आदि उगाई जा सकेंगी
Ø परिवहन का खर्चा कम हो जाएगा।
Ø इससे पौधों में होने वाली बीमारियां और कीट खत्म हो जाएंगे, जिससे कीटनाशकों का इस्तेमाल कम हो जाएगा।
Ø इसका फायदा हमारी सेहत और पर्यावरण को होगा।
Ø काफी हद तक खाद्य संकट भी खत्म हो पाएगा। इसमें अनाज और सब्जियां शहरों में इमारतों के अन्दर ही पैदा की जाती हैं.
Ø 'वर्टिकल फॉर्मिंग पारंपरिक तरीकों की तुलना में 10 गुना कम पानी और 100 गुना कम भूमि उपयोग करता है।
Ø खेती के पारंपरिक तरीकों को छोड़कर वर्टीकल फॉर्मिंग के प्रयोग से कम लागत के साथ-साथ कम समय में अच्छी पैदावार औऱ अच्छी आमदनी की जा सकती है.
Ø जहां इसकी खपत हो, उसी के पास उगाया जाता है, ताकि आपको लंबी दूसरी के परिवहन की जरूरत न हो।
Ø ये देखने में भी अच्छा लगेंगी और सिंचाई के पानी के लिए रेनवॉटर हार्वेस्टिंग हो सकती है।