रिश्ते सुधारने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए अमरीका के साथ लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट करने पर सहमत हो गया है।
क्या है इसके मायने
- इस समझौते के तहत भारत और अमरीका एक दूसरे के सैन्य हवाई अड्डे और बंदरगाह इस्तेमाल कर सकेंगे
- एक-दूसरे की सेनाओं के विमानों और सैन्य नौकाओं को दूसरे के यहां ईधन भरने, मरम्मत करवाने और आराम करने की छूट होगी।
- भारतीय सेना ने नेपाल में भूकंप के बाद मानवीय आधार पर जैसा ऑपरेशन चलाया था, उस तरह के किसी भी ऑपरेशन के दौरान सेना को अगर ईधन या दूसरी मदद की जरूरत होगी तो यह समझौता काम आएगा।
- मंजूरी हमेशा मान्य नहीं होगी, बल्कि मामले के आधार पर इसे तय किया जाएगा
- इस समझौते को चीन के खिलाफ सामरिक गठबंधन मानने से भारतीय अधिकारियों ने इनकार किया है। इस समझौते के जरिए भारत-अमरीकी सैन्य संबंधों को मजबूत करना है। भारत अमरीकी हथियारों का बड़ा आयातक है।
कितना लाभकारी है यह
- इससे आगे भारत-अमरीका समुद्री रक्षा सहयोग को मजबूत करेंगे।
- भारतीय सेना अपने तटों से दूर कभी-कभार ही संचालन करती है। पर अमरीकी सैन्य अड्डों जैसे जिबूती और डिएगो गर्सिया तक भारत की पहुंच लाभदायक हो सकेगी।
चीन व एग्रीमेंट
- इसमे दोनों देशों के हित शामिल है। कहीं भी किसी का हित प्रभावित होता दिखे तो वह नोटिस देकर इस सहमति का समाप्त भी कर सकता है। ऐसे में जब दक्षिणी चीन सागर व एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन की गतिविधियां भारत को नुकसान पहुंचाने वाली दिख रही है। भारत और अमरीका के बीच सम्बन्ध मजबूत होते हैं तो एक तरह से चीन की गतिविधियों पर अंकुश लगाने का काम ही होगा।
- चीन के आक्रामक रवैये से अमेरिका-भारत सहित दुनिया के अग्रणी देशों को यह चिंता सताने लगी है कि वह दक्षिण चीन सागर पर प्रभुत्व स्थापित कर इलाके में अपनी दादागिरी स्थापित कर सकता है। चीन ने जिस तरह आतंकवाद के मसले पर भारत के खिलाफ पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया, वह भी भारत के लिए चिंताजनक है। इससे चीन और अमेरिका व इसके साथी देश आमने-सामने होते लग रहे हैं। ऐसे में लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट(एलईएमए) की विशेष सामरिक अहमियत दीखती है।
अमेरिका के अधिक नजदीक जाने से रूस भारत के साथ रक्षा सहयोग रिश्तों को लेकर सचेत हो सकता है क्योंकि भारतीय सेनाओं में रूसी सैनिक साजो-सामान बहुतायत में हैं। डर यह भी है कि अमेरिका के साथ सामरिक रिश्ते गहराने से चीन भारत से लगी सीमाओं पर अशांति पैदा कर तनाव बढ़ा सकता है। इससे भारतीय सेनाओं पर रणनीतिक दबाव बढ़ेगा। इसीलिए अमेरिका के साथ रिश्तों को सामरिक रंग देने के पहले चीन और रूस के भारत के प्रति नजरिए को भी ध्यान में रखना होगा