वित्त मंत्रालय के अनुसार जनरल एंटी अवायडेंस रूल्स-गार (GAAR) 1 अप्रैल 2017 से लागू कर दिया जाएगा.
सीबीडीटी (सेंटल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स) ने आज जीएएआर प्रावधानों के लागू करने पर स्पष्टीकरण जारी किया है जिससे इसके लागू होने का रास्ता साफ हो गया है. गार अर्थात जनरल एंटी अवॉयडेंस रूल्स नियमों का एक ऐसा समूह है जिसके तहत कानून बनाया जाएगा कि जो भी विदेशी कंपनी भारत में निवेश करें, वो यहां के टैक्स नियमों के मुताबिक ही टैक्स अदा करें.
गार टैक्स की चोरी और कालेधन पर रोकथाम के लिए बनाया गया खास कानून है जिसे लागू करने में अब सरकार किसी तरह की देरी नहीं करना चाहती है.
★गार के लागू होने से टैक्स अधिकारी टैक्स हैवन देशों में कंपनियां खोलकर या अन्य कंपनियों के जरिए टैक्स एडवांटेज लेने वाले लोगों की रोकथाम कर पाएंगे.
=>>GAAR के प्रमुख तथ्य :-
- गार की शुरुआत 2 चरणों में की जाएगी. पहला चरण, आयकर के मुख्य आयकर आयुक्त के स्तर पर और दूसरा हाईकोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति की ओर से होगा.
- गार टैक्सपेयर के ट्रांजैक्शन लागू करने के तरीके चुनने के अधिकार को प्रभावित नहीं करेगा. गार टैक्सपेयर के लेनदेन के चयन के तरीके के अधिकार में आड़े नहीं आएगा.
- कर अपवर्जन के सामान्य नियम (गार) एक अप्रैल 2017 से प्रभावी होंगे.
- आयकर नियमों के मुताबिक गार के तहत कन्वर्टेबल इन्स्ट्रूमेंट्स, बोनस इश्योएंसेस या स्पिल्ट या होल्डिंग के कंसॉलिडेशन के लिए 1 अप्रैल 2017 से पहले किए गए निवेश पर लागू होंगे.
- यदि टैक्स ट्रीटी बेनेफिट लिमिटेशन ऑफ बेनेफिट्स प्रोविजन्स के तहत है तो वह गार के दायरे से बाहर होगा. ऐसे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर तब गार लागू नहीं होगा जिनका किसी न्याय क्षेत्र (देश) को चुनने का मुख्य टैक्स लाभ हासिल करना नहीं है.
- यानी गार ऐसे फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स पर लागू नहीं होगा, जिनका मुख्य उद्देश्य टैक्स बेनेफिट लेना नहीं है.
=>>क्या है GAAR?
- टैक्स चोरी और काले धन को रोकने के लिए जीएएआर एक प्रकार का नियम है. इसके पीछे सरकार का एक ही लक्ष्य है, जो भी विदेशी कंपनी भारत में निवेश करे, वह यहां पर तय नियमों के मुताबिक टैक्स दे.
- इसका मुख्य उद्देश्य टैक्सेशन की खामियां दूर करना और टैक्स चोरी करने वालों का पता लगाना है.
- जीएएआर का मुख्य उद्देश्य उन सौदों या इनकम को टैक्स के दायरे में लाना है, जिसको केवल टैक्स का भुगतान से बचने के लिए किया गया है
- टैक्स चोरी को रोक कर सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी करना भी इसका उद्देश्य है.
- गार नियम मूल रूप से प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) 2010 में प्रस्तावित है और तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने आम बजट 2012-13 को प्रस्तुत करते समय गार के प्रावधानों का उल्लेख किया था.
=>>GAAR का इतिहास :-
- -गार का प्रस्ताव सबसे पहले 2012-13 में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पेश किया था.
- विदेशी कंपनियां टैक्स बचाने के लिए कई तरीकों से टैक्स बचाती रही हैं. इस पर रोक लगाने के लिए सरकार ने गार कानून को लाने का प्रस्ताव रखा था
- लेकिन तब विदेशी निवेशकों की आशंकाओं के चलते इसे बार बार टाला गया.
- पार्थसारथी शोम कमिटी ने 3 साल बाद जीएएआर लागू करने का सुझाव दिया था. लिहाजा जीएएआर पहले 1 अप्रैल 2014 से लागू करने का प्रस्ताव था अब यह 1 अप्रैल 2017 से लागू होगा.
- इसका असेसमेंट 2018-19 में होगा.
- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015 के बजट में गार के क्रियान्वयन को 2 साल के लिये टाल दिया था. उन्होंने यह भी कहा था कि 31 मार्च 2017 तक किये गये निवेश को गार के तहत नहीं लाया जायेगा.
- गार 3 करोड़ रुपये से अधिक के टैक्स बेनेफिट वाले दावों पर ही लागू होगा.