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मध्य प्रदेश में बहने वाली केन नदी को उत्तर प्रदेश से होकर बहने वाली बेतवा नदी के साथ जोडऩे के प्रस्ताव को पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की वन सलाहकार समिति की औपचारिक स्वीकृति मिल गई है। इसके साथ ही लंबे समय से अटकी पड़ी इस परियोजना के 10,000 करोड़ रुपये लागत वाले पहले चरण की अंतिम बड़ी बाधा दूर हो गई है।
- इस बहुद्देशीय परियोजना के माध्यम से 6 लाख हेक्टेयर इलाके में सिंचाई की सुविधा मुहैया कराने, 13.4 लाख लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने और 60 मेगावॉट बिजली का उत्पादन करने का लक्ष्य है।
- इस परियोजना की स्वीकृति से नदियों को आपस में जोडऩे के अन्य प्रस्तावों के भी अनुमोदन का रास्ता साफ होगा।
- अतिरिक्त जल संसाधन वाले नदी बेसिन को पानी की कमी से जूझ रहे नदी बेसिन से जोड़कर देश भर में पानी के वितरण को समान स्तर पर लाने में नदी संपर्क योजनाओं को काफी अहम माना जा रहा है।
- नदियों को आपस में जोड़कर राष्ट्रीय नदी जल नेटवर्क बनाने का विचार एक सदी से भी अधिक पुराना है लेकिन कई लोग व्यावहारिक दिक्कतों के चलते इसे महज काल्पनिक अवधारणा ही मानते रहे हैं।
Is this first of its kind:
वैसे केन-बेतवा परियोजना नदियों को जोडऩे का पहला मामला नहीं होगा। हालांकि राष्ट्रीय जल योजना के तहत जिन 30 नदी-जोड़ योजनाओं के प्रस्ताव रखे गए हैं, यह उनमें से पहला जरूर होगा। गोदावरी और कृष्णा नदियों को वर्ष 2015 में आंध्र प्रदेश में पट्टïीसीमा योजना के तहत पहले ही एक-दूसरे से जोड़ा जा चुका है। इसके पहले भी शारदा-सहायक, ब्यास-सतलज, करनूल-कडप्पा, पेरियार-वैगई और तेलुगू गंगा संपर्क योजनाओं को अमलीजामा पहनाया जा चुका है।
Benefit:
- इससे 3.5 करोड़ क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्रदान करने के अलावा 34,000 मेगावॉट बिजली उत्पादन जैसे बहुतेरे लाभ हो सकते हैं।
- बाढ़ नियंत्रण, नदी परिवहन, मत्स्य पालन और घरेलू पेयजल आपूर्ति जैसे लाभ भी होंगे।
Some apprehension:
- इन कामयाबियों के बावजूद राष्ट्रीय जल ग्रिड का गठन अब भी दूर की कौड़ी ही नजर आ रहा है।
- इतने बड़े पैमाने पर इन परियोजनाओं को क्रियान्वित करने से जनसंख्या के एक हिस्से का एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास जैसी कई परिस्थितिजन्य बाधाएं खड़ी हो सकती हैं जिनसे पार पाना खासा मुश्किल होगा।
- इसके अतिरिक्त पानी के राज्य सूची का विषय होने से अंतर-राज्य नदी संपर्क योजनाओं पर राजनीतिक सहमति बना पाना भी आसान नहीं होगा।
- भारत जैसे देश को पानी से संबंधित तमाम समस्याओं के समाधान के लिए इस तरह के समेकित जल ग्रिड की सख्त जरूरत है।
Water problem of India:
- भारत परंपरागत तौर पर पानी की कमी से जूझने वाला देश नहीं रहा है।
- भारत में वार्षिक बारिश करीब 120 सेंटीमीटर होती है जबकि वैश्विक स्तर पर यह औसत करीब 100 सेंटीमीटर का ही है।
- अगर मॉनसूनी बारिश के दौरान पानी की बड़ी मात्रा को बहकर समुद्र में जाने से रोक लिया जाता है तो मिट्टïी की उपजाऊ ऊपरी सतह को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।
- बचे हुए पानी को समुचित तरीके से वितरित कर सकते हैं जिससे देश का कोई भी हिस्सा पानी की कमी से नहीं जूझेगा।
- हालांकि इस तरह के व्यापक जल पुनर्वितरण परियोजना के भौगोलिक, पारिस्थितिकीय और पर्यावरणीय पहलुओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। केन-बेतवा परियोजना के भी संदर्भ में सरकार को पन्ना बाघ संरक्षित क्षेत्र पर इसके संभावित असर को लेकर काफी सजग रवैया अपनाने की जरूरत होगी। दरअसल केन और बेतवा नदियों को जोडऩे पर इस संरक्षित क्षेत्र का एक हिस्सा पानी में डूब जाने का अनुमान है। ऐसी परिस्थिति बाघ, घडिय़ाल और अन्य पशु-पक्षियों के लिए काफी नुकसानदेह होगा। हालांकि केन-बेतवा योजना के बजट का 5 फीसदी हिस्सा पन्ना अभयारण्य के संरक्षण एवं पुनर्वास के लिए चिह्नित किया गया है लेकिन इस कार्य-योजना को परिणामोन्मुख बनाना होगा।