मृदा प्रदूषण और बायो-फर्टिलाइजेशन

- मानव निर्मित विषैले पदार्थों के मिट्टी में जमा होने को मृदा प्रदूषण कहा जाता है। 
- खरपतवारनाशक कीटनाशक, फर्टिलाइजर, कूड़ा-करकट एवं अपशिष्ट पदार्थ प्रमुख प्रदूषक हैं। आमतौर पर गलत कृषि पद्धतियों के अपनाने की वजह से मिट्टी प्रदूषित होती है और इसका पौधों एवं प्राणियों पर बुरा असर पड़ता है। 
- केमिकल फर्टिलाइजर के बजाय आर्गेनिक फर्टिलाइजर के उपयोग से मिट्टी के पोषक तत्वों में इजाफा किया सकता है। इसमें नया अध्याय बायो-फर्टिलाइजेशन का जुड़ गया है। इस तरह की पद्धति में कई सूक्ष्मजीवों के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में इजाफा किया जाता है।

- इसी तरह आर्गेनिक कीटनाशक के इस्तेमाल से पर्यावरण के नुकसान के बिना कीटों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। खरपतवार मिट्टी के आवश्यक खनिजों को नष्ट कर देते हैं। इसलिए इनको खत्म करके मिट्टी में प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 
- इसके लिए लोगों को प्रशिक्षित कर निजी स्तर और सामुदायिक स्तर पर सहभागिता से मृदा प्रदूषण कम किया जा सकता है। भूजल में पाये जाने वाले कई रासायनिक तत्वों फ्लोराइड, आर्सेनिक, लोहा और नाइट्रेट हमारे स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं।

- भारत दुनिया में तीसरा सबसे ज्यादा ग्रीनहाउस गैसों को उत्सर्जित करने वाला देश है। एक अध्ययन के मुताबिक यूरोपीय लोगों की तुलना में आमतौर पर भारतीयों के फेफड़ों की कार्यक्षमता 30 प्रतिशत कम है। 2013 के पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में भारत का अपेक्षाकृत निचला 155वां स्थान है।

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