Ø प्रदूषण के चलते हर साल दुनिया में पांच साल से कम उम्र के 17 लाख बच्चों की मौत हो जाती है. यह आंकड़ा इस आयु वर्ग में हर साल होने वाली मौतों का करीब एक चौथाई है.
Ø दो रिपोर्टों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने यह बात कही है कि प्रदूषित हवा और पानी, साफ-सफाई की कमी और प्रतिकूल माहौल में रहने के चलते बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो रही है
Ø डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट ‘इन्हेरिटिंग ए सस्टेनेबल वर्ल्ड: एटलस ऑन चिल्ड्रेन्स हेल्थ एंड एनवायरमेंट’ और ‘डॉन्ट पॉल्यूट माई फ्यूचर’ के मुताबिक बच्चों की मौत की बड़ी वजहों में डायरिया, मलेरिया और न्यूमोनिया जैसी बीमारियां हैं
Ø हर साल 5.7 लाख बच्चे न्यूमोनिया के शिकार बनते हैं. डायरिया से मरने वाले बच्चों की संख्या 3.6 लाख है तो वहीं मलेरिया से मरने वाले बच्चों का आंकड़ा दो लाख है. इसके अलावा अनजाने में चोट लगने, जहरीली चीजें खाने, डूबने और गिरने की वजह से भी मौतें होती हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 2.7 लाख बच्चे जन्म लेने के एक महीने के अंदर ही मर जाते हैं.