देश के किस इलाके के किस स्कूल में कितने बच्चों ने मिड-डे मील खाया या नहीं खाया और क्या खाया, कितने बजे खाया इसकी पूरी रिपोर्ट स्कूल की छुट्टी होने से पहले केंद्र सरकार को मिल जाया करेगी।
★मानव संसाधन विकास मंत्रालय देशभर के सभी बच्चों को समय से मिड-डे मील मुहैया करवाने के लिए प्रतिदिन ऑनलाइन मॉनेटरिंग करेगा।
★ सरकार जुलाई से इस योजना को शुरू करेगी।
उद्देश्यश। :-
★मानव संसाधन विकास मंत्रालय चाहता है कि देशभर के सभी बच्चों को समय से मिड-डे मील मिले। हालांकि स्कूल राज्य सरकारों के अधीन आते हैं, जिसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को तीन या छह महीने के आधार पर मिलती है। लेकिन उस रिपोर्ट में भी स्कूल वाइज जानकारी नहीं होती है।
- यानी किन स्कूलों में बच्चों को मिड-डे मील नहीं मिल पा रहा है, उसकी कोई जानकारी न मिलने के चलते मंत्रालय मिड-डे मील को प्रतिदिन ऑनलाइन मॉनेटरिंग करने जा रहा है।
बता दें कि देशभर में 11.51 शिक्षण संस्थानों में 10.13 करोड़ छात्र मिड-डे मील का लाभ उठाते हैं। इसमें से 60 से 100 सौ फीसदी तक का खर्च केंद्र सरकार उठाती है।
=>इंटीग्रेडिट वाइस रिस्पॉस सिस्टम से होगी मॉनेटरिंग :-
★सरकार ऑनलाइन मॉनेटरिंग के लिए इंटीग्रेडिट वाइस रिस्पांस सिस्टम बना रहा है। यह सिस्टम एनआईसी (नेशनल इंफोरमेटिकस सेंटर) के सर्वर से जुड़ा होगा। इसमें देशभर के शैक्षणिक संस्थानों के प्रभारियों (हेडमास्टर, प्रिंसिपल या सीनियर टीचर) के मोबाइल नंबर भी जोड़े गए होंगे।
★इंटीग्रेडिट वाइस रिस्पांस सिस्टम से ऑटोमेटिक कॉल जनरेट होगी और सीधे स्कूल प्रभारी के मोबाइल पर जाएगी।
† इस कॉल में करीब चार या पांच स्तर के सवाल होंगे। पहला कितने बच्चों ने खाना खाया या नहीं खाया? खाना बना, लेट बना या फिर क्यों नहीं बना? खाना बनाने के लिए सामान था या नहीं, खाना बनाने वाली आयी थी या नहीं।
† साथ ही बच्चों ने क्या खाना खाया के बारे में भी जानकारी देनी होगी। इस ऑटोमेटिक कॉल जनरेट में स्कूल प्रभारी को मोबाइल एसएमस की तर्ज पर जानकारी देनी होगी।
† यह जानकारी इंटीग्रेटिड वाइस रिस्पांस सिस्टम पर अपलोड हो जाएगी। हालांकि सरकार यह भी ध्यान रखेगी कि कोई स्कूल या प्रभारी मिड-डे मील से संबंधित कोई भी जानकारी गलत न दें।
★इसके लिए विशेषज्ञों की टीम क्रॉस चैक भी करेगी। अक्सर मिड-डे मील में धांधली की शिकायतें सामने आती रहती हैं। लेकिन इस नई योजना के बाद कोई धांधली नहीं कर सकेगा। क्योंकि सरकार प्रतिदिन यह जांच करवाएगी कि बच्चों को खाना मिल रहा है या नहीं? जब बच्चों तक खाना नहीं पहुंचेगा तो सरकार संबंधित राज्य सरकारों से सवाल कर सकती है कि आखिर बच्चों को खाना क्यों नहीं मिल रहा है।