- भारत और ईरान के बीच लंबा सिविलाइजेशनल लिंक है। ईरान भारत के पड़ोस में है और दोनों देशों के बीच आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्रों के बीच आंतरिक संबंध है।
=>प्रधानमंत्री की ईरान यात्रा का मुख्य उद्देश्य :-
- 'प्रधानमंत्री की ईरान यात्रा के दौरान इन अंतरसंबंधों को मजबूत करने के लिए क्षेत्रीय संपर्क तथा बुनियादी ढांचा विकास , ऊर्जा क्षेत्र में भागीदारी, द्विपक्षीय व्यापार प्रोत्साहन, विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों की जनता के बीच परस्पर संपर्क बढ़ाने के लिए सहयोग को प्रोत्साहन देने और इस क्षेत्र में शांति तथा स्थिरता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित होगा।'
- इस यात्रा में परस्पर सयोग के विस्तार और इस साल ईरान के खिलाफ प्रतिबंध हटाए जाने के बाद उत्पन्न नये अवसरों का पारस्परिक लाभ उठाने पर जोर होगा।
- अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान को छोड़कर एक नया रास्ता खोलने के प्रयासों के तहत प्रधानमंत्री की ईरान यात्रा के दौरान भारत वहां चाबहार बंदरगाह के पहले चरण के विकास के लिए उसके साथ एक कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत करेगा।
- भारत वहां से कच्चे तेल का आयात दोगुना करने और वहां की गैस परियोजनाओं में हिस्सेदारी लेने पर विचार कर रहा है। कुछ साल पहले तक ईरान भारत को कच्चा तेल देने वाला दूसरा सबसे बड़ा स्रोत था।
- दोनों देशों के बीच ईरान के रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह विकसित करने का सौदा भी होने वाला है।
* मोदी की यह शिया मुसलमानों के देश ईरान की यह पहली यात्रा है। इस दौरान वह ईरान के नेताओं के साथ क्षेत्र में आतंकवाद एवं चरमपंथ जैसे मुद्दों के साथ-साथ भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए वहां तेल और गैस की परियोजनाएं हासिल करने के विषय में भी चर्चा करेंगे। - इसके साथ ही यात्रा के दौरान ईरान को तेल के बकाया भुगतान के तौर तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
- एस्सार ऑईल एवं एमआरपीएल जैसी भारतीय रिफाइनरियों पर ईरान का 6.4 अरब डॉलर बकाया है।
- 'प्रधानमंत्री की ईरान यात्रा मुख्य रूप से कनेक्टिविटी एवं बुनियादी ढांचे, ईरान के साथ ऊर्जा भागीदारी, द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने, हमारे क्षेत्र की शांति और स्थिरता पर नियमित संवाद को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगी।'
- इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड इस बंदरगाह के पहले चरण में दो टर्मिनल एवं पांच मल्टीकार्गो बर्थ के विकास के लिए आर्या बंदर कंपनी के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करेगी। इंडियन पोर्ट्स जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट और कांडला पोर्ट ट्रस्ट का जॉइंट वेंचर है।
=> चाबहार बंदरगाह का भारत के लिए महत्त्व :-
- दक्षिण पूर्व ईरान में स्थित चाबहार से भारत के लिए अफगानिस्तान का एक रास्ता मिलेगा जिसमें पाकिस्तान से हो कर जाने की जरूत नहीं होगी। भारत के अफगानिस्तान के साथ निकट सुरक्षा एवं आर्थिक संबंध है।
- चाबहार बंदरगाह से अफगानिस्तान का जारांज शहर 833 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग से जुड़ सकता है।
- सीमावर्ती जारांज से डेलराम के बीच हाईवे का निर्माण भारत ने किया है।
- वहां से अफगानिस्तान के चार बड़े शहर हेरात, कंधार, काबुल और मजार-ए-शरीफ हाईवे से जुड़े हैं।
भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच ट्रांसपोर्ट ऐंड ट्रैंसिट कॉरिडोर्स अग्रीमेंट होना हैI
- परियोजना के पहले चरण में भारतीय निवेश 20 करोड़ डॉलर से अधिक होगा जिसमें एक्जिम बैंक की 15 करोड़ डॉलर की लोन सुविधा शामिल है। इसके लिए भी एक समझौता इसी यात्रा के दौरान होगा। - चाबहार परियोजना-एक के लिए वाणिज्यिक समझौते पर हस्ताक्षर के साथ साथ भारत, अफगानिस्तान एवं ईरान के बीच परिवहन और पारगमन गलियारे पर त्रिपक्षीय समझौते भी किया जाएगा।
- जिससे अफगानिस्तान के आर्थिक विकास में बड़ा योगदान मिलेगा। इसके अलावा इससे भारत समेत अफगानिस्तान एवं मध्य एशिया के बीच बेहतर क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा मिलेगा।
- समझौता तीनों देशों के साथ-साथ पूरे इलाके में लोगों और सामानों की ज्यादा आवाजाही के लिए सामरिक बांध के रूप में काम करेगा।'
- चाबहार पोर्ट को अफगानिस्तान के अलावा मध्य एशिया, रूस और यूरोप तक के लिए भारत के गेटवे के रूप में विकसित किया जा रहा है।
=>उर्जा जरूरतों को पूरा करना है भारत का मुख्य लक्ष्य:- - फरजाद-बी गैस क्षेत्र के विकास के अधिकार के बारे में बातचीत होगी, कमर्शियल फाइंडिंग्स और फाइनैंशल मैनेजमेंट को पक्का करने की ओर बढ़ी है। इस ऑफशोर की खोज भारतीय कंपनी ओएनजीसी विदेश लि. ने की है।
- गौरतलब है कि भारत-ईरान ने 2003 में ओमान की खाड़ी में होर्मूज जलडमरू के बाहर चाबहार के विकास पर सहमति जताई थी।
- यह बंदरगाह पाकिस्तान-ईरान सीमा के पास है। ईरान पर से प्रतिबंधों के हटने के बाद पाकिस्तान भारत गैस पाइपलाइन के पुनरुत्थान के बारे में भारत, ईरान से संसाधन लाने के लिए सभी विकल्पों पर विचार करने को तैयार है।