- 28 देशों का समूह यूरोपीय संघ (ईयू) टूट के कगार पर पहुंच गया है। ब्रिटेन को बनाए रखने की कोशिशें अंजाम तक पहुंचती नजर नहीं आ रही। दूसरी ओर, शरणार्थियों के मसले पर भी सदस्य देशों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है।
- दोनों मसलों पर मतभेद दूर करने के लिए ब्रसेल्स में ईयू- ब्रिटेन बातचीत हुई। पर इसका ठोस नतीजा नहीं निकल पाया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने बताया कि बातचीत में प्रगति हुई है। पर कोई समझौता नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के पास सभी विकल्प खुले हुए हैं। यदि समझौता नहीं हुआ तो ब्रिटेन संघ से अलग होने की राह पर आगे बढ़ेगा।
- ईयू के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने भी कहा है कि समझौते तक पहुंचने के लिए काफी कुछ करने की जरूरत है। कैमरन ने ईयू अधिकारियों के अलावा फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और बेल्जियम व चेक गणराज्य के अपने समकक्षों से घंटों चर्चा की। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने बताया कि सभी सदस्य देश चाहते हैं कि ब्रिटेन संघ में बना रहे। पर कुछ देशों के लिए ब्रिटेन की मांगें स्वीकार करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में प्रयास जारी हैं।
संघ में बने रहने के लिए ब्रिटेन शरणार्थी, सामाजिक व कल्याणकारी योजनाओं, आर्थिक प्रबंधन से जुड़ी नीतियों में बदलाव चाहता है। कैमरन चाहते हैं कि जनमत संग्रह से पहले ईयू इनमें सुधार का वादा करें। ब्रिटेन में प्रवेश करने वाले प्रवासियों पर नियंत्रण और वित्तीय सुरक्षा के मसले शामिल हैं। कैमरन ब्रिटेन के हितों को सुरक्षित करते हुए समझौते को अंजाम तक पहुंचाने के लिए तत्पर हैं।
- संघ में बने रहने को लेकर ब्रिटेन में जून में जनमत संग्रह होना है। यदि कैमरन की मांगें मान ली जाती हैं तो वे लोगों से बने रहने के लिए मतदान करने की अपील करेंगे। पर फ्रांस, ग्रीस, बेल्जियम जैसे देशों ने उनकी मांगों पर वीटो की चेतावनी दी है।
- गौरतलब है कि यदि ब्रिटेन ईयू से अलग होता है तो वह साठ साल के इतिहास में अलग होने वाला पहला देश होगा। हालांकि ईयू का मौजूदा स्वरुप 1993 में अस्तित्व में आया था। ईयू से अलग होने की सूरत में ब्रिटेन नाटो की तरह बड़े यूरोपीय देशों का एक गठबंधन बनाने की योजना पर भी काम कर रहा है।