प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि नीति आयोग अगले पंद्रह वर्षों के लिए एक विकास योजना का खाका तैयार करे। उसका पूर्ववर्ती संगठन योजना आयोग अभी तक पांच वर्षों के लिए प्लानिंग करता था।
- आयोग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए नरेंद्र मोदी ने उससे देश के विकास के लिए दूरगामी दृष्टि वाला एक विजन डॉक्युमेंट तैयार करने को कहा है। जाहिर है, प्रधानमंत्री नीति आयोग को काफी महत्व दे रहे हैं और उसे एक बड़ा लक्ष्य सौंप रहे हैं।
- नीति आयोग को शुरू से ही इस सरकार की एक विवादास्पद पहल माना जाता रहा है और इधर उसकी भूमिका को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं।
- आयोग के लक्ष्य के बारे में कहा गया था कि यह 'राष्ट्रीय उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास की प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करेगा।' पर कुछ मुख्यमंत्रियों का आरोप है कि नीति आयोग के कामकाज में स्पष्टता नहीं है।
★कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि आयोग विभिन्न मंत्रालयों की आवाज बनने और उसके मुद्दों को प्रधानमंत्री कार्यालय या वित्त मंत्रालय तक लाने में नाकाम साबित हुआ है।
★बहरहाल, नई संस्थाओं के साथ शुरू-शुरू में ऐसा होता है, लेकिन अब जबकि प्रधानमंत्री खुद इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं तो आश्वस्त हुआ जा सकता है कि नीति आयोग की परिकल्पना जरूर साकार होगी। 15 वर्षों का लक्ष्य निश्चय ही बेहद चुनौतीपूर्ण है।
★योजना आयोग के लिए यह चुनौती उतनी बड़ी नहीं थी, क्योंकि वह पांच साल के लिए योजना बनाता था और सरकार की आयु भी आम तौर पर पांच वर्ष की ही होती है। सरकारें इसके जरिये अपने मन मुताबिक योजनाओं को अमल में लाती थीं और सरकार बदल जाने पर आयोग के संचालकों के साथ-साथ योजना का स्वरूप भी बदल जाता था।
★लेकिन आज जब मोदी सरकार पंद्रह साल की योजना की बात कर रही हैं तो क्या वह आश्वस्त हैं कि इतने समय तक उनकी पार्टी या वह खुद सत्ता में बने रहेंगे? अगर नहीं, तो इस बात की क्या गारंटी है कि नई सरकार उनके विजन डॉक्युमेंट को इतनी ही तवज्जो देगी?
★प्रधानमंत्री का दावा है कि वह प्रयोग करने का दम रखते हैं। यह एक स्वागतयोग्य बात है। उन्हें हर स्तर पर बड़े प्रयोगों की पहल करनी चाहिए। लेकिन इसके साथ ही उन्हें विपक्ष को भी अपनी सोच का साझीदार बनाना चाहिए और राष्ट्रीय स्तर पर एक आम सहमति भी कायम करनी चाहिए।
★ जिस तरह विदेश या रक्षा नीति पर आम तौर पर राष्ट्रीय सहमति देखने में आती है वैसी ही सहमति आर्थिक और सामाजिक योजनाओं पर बनानी होगी ताकि नीति आयोग की पंद्रह वर्षीय योजना बेरोकटोक चल सके।
★ इसके अलावा नीति आयोग को सक्षम और कार्यकुशल बनाना होगा। उसने अपने ढांचे में और ज्यादा विशेषज्ञों की मांग की है। यह काम अगर बिना किसी भेदभाव के किया जा सका तो इससे एक नई कार्य संस्कृति की शुरुआत हो सकती है।