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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सेनाओं में व्यापक स्तर पर सुधार की अनुशंसा करने वाली शेकतकर समिति की 65 सिफारिशों को मान लिया है. इन्हें लागू करने के लिए पहले चरण की प्रक्रिया भी शुरू हो रही है.
- लेफ्टिनेंट जनरल डीबी शेकतकर की अध्यक्षता में बनी समिति ने दिसंबर 2016 में पेश की गई रिपोर्ट में सेनाओं में सुधार के लिए कुल 120 सिफारिशें की थीं.
- इनमें से 99 सिफारिशाे को सेनाओं के पास भेजा गया था. ताकि वे इन्हें लागू करने की योजना बनाकर सरकार को दे सकें.
- इन्हीं में से 65 को लागू करने के लिए अभी मंज़ूरी दी गई है. जबकि अन्य 34 सिफारिशें तीनों सेनाओं से संयुक्त रूप से जुड़े मसलाे से संबंधित हैं.
- इन्हें दूसरे चरण में लागू किए जाने की संभावना है.
- समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि अगर अगले पांच साल में उसकी अधिकांश अनुशंसाएं मानी गईं तो क़रीब 25,00 करोड़ रुपए बचेंगे. यह रकम सेनाओं की युद्ध क्षमता बढ़ाने में इस्तेमाल हो सकती है.
इन सिफारिशों के हिसाब से ही सरकार ने पहले देशभर में चल रहे 39 सैन्य फार्म बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. ये फार्म हाउस क़रीब 20,000 एकड़ में फैले हुए हैं. इनमें 25,000 जानवर पाले जा रहे हैं. इन फार्म हाउसों को बंद करने का मामला तीन दशक से लंबित है. जबकि सेना ख़ुद 2012-13 में इन्हें बंद करने की पेशकश कर चुकी है. सूत्रों की मानें तो सैन्य सुधार प्रक्रिया में एनसीसी (नेशनल कैडिट कॉर्प्स) को भी शामिल किया जाएगा. इसकी कार्यक्षमता भी बढ़ाई जाएगी. साथ ही इसमें मौज़ूदा सैन्य अफसर और जवानों की जगह पूर्व सैन्यकर्मियों की तैनाती की जाएगी.
रक्षा मंत्री बताया, ‘सुधार के पहले चरण में जवानों और अफसरों के 57,000 पदों का पुनर्गठन किया जाएगा. इन्हें दोबारा नए सिरे तैनाती दी जाएगी. ताकि सेनाओं की युद्धक क्षमता को बढ़ाया जा सके. पहले चरण की प्रक्रिया 2019 के आखिर तक पूरी कर ली ली जाएगी. इस बाबत सेनाओं से सलाह-मशविरे की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.’